व्यक्तित्व के विकास में शैक्षणिक यात्राओं का महत्व : संदर्भ विज्ञान मंथन यात्रा -अमिताभ श्रीवास्तव विभिन्न क्षेत्रों की जलवायु , वातावरण ,...
व्यक्तित्व के विकास में शैक्षणिक यात्राओं का महत्व : संदर्भ विज्ञान मंथन यात्रा
-अमिताभ श्रीवास्तव
विभिन्न क्षेत्रों की जलवायु , वातावरण , भूगोल , सभ्यता , संस्कृति , परिवेश , रहन सहन , समाज विज्ञान के अध्ययन अन्वेषण में यात्राओं का महत्व निर्विवाद है . सभ्यताओं के आदान प्रदान , जेनेटिक रूप से ब्रीड्स के सम्मिलन में भी यात्राओं का योग रहा है . इतिहास में झाँकें तो भगवान श्री राम की मानव दानव संस्कृतियों को मिलाने वाली उत्तर दक्षिण को जोड़ने वाली यात्रा को शांति यात्रा कहा जा सकता है .देश भर में पांडवों की यात्राओं के स्मारक मिलते हैं . समूचे भारत को तीर्थ यात्रा के एक सूत्र में पिरोने हेतु पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण में धर्म पीठों की स्थापना का अभिनव कार्य विश्व इतिहास के संभवतः सबसे कम उम्र के यात्री , आदि शंकराचार्य जी ने कर दिखाया है .हज यात्रा किस मुसलमान की हसरत नहीं होती ? सारे विश्व में भारतीय संस्कृति का परचम लहराने का श्रेय विवेकानंद जी की शिकागो यात्रा को ही जाता है जिसने उन्हें साधू से स्वामी के रूप में प्रतिष्ठित किया . बैरिस्टर गाँधी को रेल के तीसरे क्लास के डब्बे में किये गये देशाटन ने ही महात्मा गाँधी बना दिया . अचानक परिस्थितियोंवश पायलट से प्रधानमंत्री बने राजीव गाँधी ने राष्ट्रव्यापी यात्राओं से ही लोकप्रियता का सच्चा जनाधार पाया .
इटली के ऐतिहासिक यात्री मार्कोपोलो की तेरहवीं सदी की पूर्वी देशों की यात्रा को ही आज के ग्लोबल मार्केट का जनक बिंदु कहा जाना चाहिये , जिसने सर्वप्रथम पश्चिमी सभ्यता को पूर्वी देशो से परिचित करवाया. कोलम्बस ने यात्रा से ही अमेरिका और वेस्ट इंडीज ढ़ूढ़ निकाले . पुर्तगाली यात्री वास्कोदिगामा ने केप आफ गुड होप का नया समुद्री मार्ग खोजा .
चीनी यात्री व्हेनसांग व फाहियान की डायरियाँ ऐतिहासिक दस्तावेज बनीं . राहुल सांस्कृत्यायन का समूचा अमूल्य साहित्य ही घुमक्कड़ी पर आधारित है . यात्रा संस्मरण एवं ट्रेवेलाग्स साहित्य की एक स्वतंत्र विधा के रूप में स्थापित हैं .
बालीवुड ने बाम्बे टू गोवा , एन इवनिंग इन पेरिस , लव इन टोकियो , बाम्बे टू बैंकाक , एट्टी देज एराउन्ड दि वर्ल्ड , आदि अनेक यात्रा केंद्रित फिल्में बनाई हैं .
शिक्षा में नवाचार के समर्थक विद्वान यात्रा के महत्व को प्रतिपादित करते हुये कहते हैं कि पुस्तकों में ज्ञान मिलता है पर उसे समझने के लिये शैक्षणिक यात्रायें पाठ्यक्रम का हिस्सा होनी चाहिये . मिडिल स्कूल तक के बच्चों को शिक्षक या अभिवावकों को समय समय पर पोस्ट आफिस , रेल्वे रिजर्वेशन , पोलिस थाना , बैंक , जलप्रदाय संस्थान , आसपास के उद्योग , आदि का भ्रमण करवाने से वे इन संस्थानों से प्रायोगिक रूप से परिचित हो पाते हैं . यह परिचय उन्हें इनके जीवन में अति उपयोगी होता है . विज्ञान के वर्तमान युग में जब हम घर बैठे ही टी वी पर दुनिया भर की खबरें देख सकते हैं ,तब भी उस वर्चुअल वर्ल्ड की अपेक्षा वास्तविक पर्यटन प्रासंगिक बना हुआ है . टूरिज्म , चाहे वह स्पोर्टस को लेकर हो , कार्निवल्स पर केंद्रित हो ,बुक फेयर , एम्यूजमेंट पार्क , नेशनल फारेस्ट पर आधारित हो या अन्य विभिन्न कारणों से हो बढ़ता ही जा रहा है .
म.प्र. में काउन्सिल आफ साइंस एण्ड टेक्नालाँजी भोपाल ने २८ जनवरी २००८ से ०६ फरवरी २००८ तक मिशन एक्सेलेंस के अपने कार्यक्रम के अंतर्गत एक सर्वथा अभिनव आयोजन किया . ११०० बच्चों को विज्ञान मंथन एक्सप्रेस नामक विशेष रेलगाड़ी के द्वारा आक्सफोर्ड आफ ईस्ट के रूप में विख्यात हो रहे शहर पुणे , सिलिकान वैली आफ इण्डिया कहे जाने वाले शहर बंगलोर व तीन सागरों की मिलन स्थली कन्या कुमारी की विज्ञान केंद्रित शैक्षणिक यात्रा करवाई गई . इस नवाचार की व्यापक प्रशंसा हो रही है . प्रदेश के स्कूलों में कक्षा ८, ९, व ११ में अध्ययनरत प्रतिभावान छात्रों में से स्वतंत्र विज्ञापन के द्वारा आवेदन आमंत्रित किये गये . पिछली क्लास के प्राप्तांकों व अन्य मापदण्डों के आधार पर विशेषज्ञों ने १००० बच्चों का चयन किया . इनमें लगभग ४० प्रतिशत लड़कियां शामिल थीँ . माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के विद्यार्थी भी इस शैक्षणिक भ्रमण में शामिल किये गये . प्रत्येक १० बच्चों पर एक अभिवावक शिक्षक बनाया गया . राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान जबलपुर को नरचरिंग का कार्य सौंपा गया . यात्रा के दौरान बच्चों को वैज्ञानिकों से मिलवाया गया , बच्चों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया . यात्रा के इन १० दिनों में रेल का डिब्बा ही छात्रों का घर था. क्विज के आयोजन हुये . योजना है कि इन्हीं बच्चों में से अप्रैल माह में एक परीक्षा लेकर १०० बच्चों का चयन किया जावेगा , जिन्हें उच्च शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति दी जावेगी . समग्र रूप से म.प्र. सरकार का यह आयोजन अद्भुत व प्रशंसनीय रहा . जिसका विस्तार अपेक्षित है .
यात्रा में बच्चों को पुणे की नेशनल केमिकल लेबोरेटरी , जहाँ पर पाँलिमर साइंस पर विश्व स्तरीय अनुसंधान हो रहे हैं का भ्रमण करवाया गया . इण्टर युनिवर्सिटी सेंटर फार एस्ट्रोनाँमी एण्ड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे , सेंटर फार डेवेलपमेंट आफ एडवांस कम्प्यूटिंग पुणे भारतीय एग्रो इंडस्ट्रीज फाउण्डेशन पुणे एवं E T H रिसर्च लेबोरेटरी पुणे भी बच्चों ने वहाँ जाकर देखे .
हाई टेक सिटि बंगलोर में नेशनल सेंटर फार बायोलाँजिकल साइंसेज , इण्डियन स्पेस रिसर्च आर्गनाइजेशन , विश्वैश्वरैया इण्डस्ट्रियल एण्ड टेक्नालाजिकल म्यूजियम जैसे संस्थानों का अविस्मरणीय भ्रमण आयोजित किया गया . कन्या कुमारी में बच्चों को देश की अस्मिता के प्रतीक स्वामी विवेकानंद से परिचित करवाने विशिष्ट कार्य किया गया . इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को सुनियोजित ढ़ंग से समय सीमा में यात्रा करवाना एक बड़ा चैलेंज था , जिसकी व्यवस्था के लिये प्रत्येक स्थान पर एक एडवांस टीम भेजी गई थी . छोटी मोटी असुविधाओं के अलावा सारी यात्रा निर्विघ्न संपन्न हुई . यह आयोजकों की एक बहुत प्रशंसनीय उपलब्धि है .
"फासले सोचने नहीं देते , मुझे देखो करीब आकर" के फलसफे पर आयोजित यह विज्ञान मंथन यात्रा ने सारे प्रतिभागियों को अमृत रस पान करवाया है ,जिसका उनके व्यक्तित्व पर दीर्घ कालीन सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा ऐसी आशा है .
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संपर्क:
अमिताभ श्रीवास्तव
सी ६ , म.प्र. विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर म.प्र.
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