रायपुर में लघुकथा पर पहला अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न सृजन - सम्मान का शानदार आयोजन -प्रस्तुति : देवी नागरानी छत्त...
रायपुर में लघुकथा पर पहला अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न
सृजन-सम्मान का शानदार आयोजन
-प्रस्तुति : देवी नागरानी
छत्तीसगढ़ अब साहित्य का भी गढ़ - केसरीनाथ त्रिपाठी
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 16,17 फरवरी दो दिन का सृजन-सम्मान कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह एक सुनहरा ऐतिहासिक स्मरणीय कुंभ रहा जहाँ पर विश्व के कई दिशाओं से साहित्यकार भाग लेकर लघुकथा की विषय-वस्तु, उसके शिल्प, कला-कौशल, आकार-प्रकार, वर्तमान और भविष्य की बारीकी को जानते और परखते रहे। कार्यक्रम का आगाज़ 16 तारीख मुख्य अतिथि श्री केसरीनाथ त्रिपाठी के हाथों दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ । साथ में मंच की शोभा बढ़ाते रहे थे जाने-माने आलोचक व लघुकथा के प्रथम व्याकरणाचार्य श्री कमल किशोरे गोयनका, विशिष्ट अतिथि थे फिराक गोरखपुरी के नाती, वरिष्ठ कवि व छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक श्री विश्वरंजन, श्री विश्वनाथ सचदेव, संपादक नवनीत, मुंबई से, श्री मोहनदास नैमिशराय, मेरठ से, सुश्री पूर्णिमा वर्मन, शारजाह से, श्री कुमुद अधिकारी नेपाल से, श्री रोहित कुमार हैपी न्यूजीलैंड से,श्रीमती देवी नागरानी, न्यू जर्सी से, और सृजन-सम्मान के अध्यक्ष व पूर्व शिक्षामंत्री श्री सत्यनारायण शर्मा।
मुख्यअतिथि श्री केसरीनाथ त्रिपाठी ने दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि पहले कभी साहित्य का गढ़ इलाहाबाद और दिल्ली हुआ करता था । सृजन-सम्मान ने विगत 6 आयोजनों और अपनी सतत् क्रियाशीलता से छत्तीसगढ़ और रायपुर को साहित्य का गढ़ बना दिया है ।
लघुकथा पर पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विमर्श
लघुकथा पर विमर्श की शुरुआत हुई लघुकथा: विषय वस्तु और शिल्प की सिद्धि नामक सत्र से। इस सत्र के अध्यक्ष रहे कमल किशोर गोयनका, मोहनदास नैमिशराय, रमेश दत्त दूबे । बीज वक्तव्य देते हुए जयप्रकाश मानस जिन्होंने विस्तृत रूप से लघुकथा को हर एक कोने से रौशन करते हुए कहा "लघु और कथा एक दूसरे के पूरक हैं। लघुता ही उसकी प्रभुता है। लघुकथा जीवन के एकांत का साक्षात्कार है।" गद्य और शिल्प निजी व्यवहार है और लेखक का परिचय भी। वक्तागण अपने-अपने दृष्टिकोण से आलोचना पर कहीं समर्थता और कहीं असमर्थता का इज़हार करते रहे।
पूर्णिमा वर्मन ने कहा कि "तीन पीढ़ियाँ यहाँ एक साथ बैठी है श्री केसरीनाथ , गोयनकाजी, विश्वानाथ सचदेव जिनको पढ़ते-पढ़ते हम बड़े हुए। हैप्पी जी, कुमुद अधिकारी आने वाली पीढ़ी की नींव को पुख़्तगी से बढ़ा रहे हैं। शिल्प सीधे रचनाकार की अपनी है। लघुकथा अपना संदेशा पाठक तक पहुँचा पाए यही उसकी सफलता है।"
श्री राम पटवा ने कहा कि " लघुकथा का महत्व उसकी लघुता में है जो वह कथा को प्रदान करती है। लघुकथा सिर्फ़ बोध की बात नहीं करती, आपकी सारी चेतना को भी झिंझोड़ कर रखती है। छोटी बात से बड़े अर्थ पाए जायें यह एक ख़ासियत है।" केसरीनाथ त्रिपाठी: के शब्दों में "कविता, लेख, लघुकथायें, आलोचनायें सब हिन्दी भाषा की धारायें है। लघुकथा का आयाम अब विस्तृत हो रहा है और उसकी लोकप्रियता बढ़ रही है।"
कमल किशोर गोयनका ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा " इतना बड़ा सम्मेलन पहली बार इतने बड़े पैमाने पर आयोजित करने की कल्पना का साकार स्वरूप एक महान उपलब्धि है। हमारे समाज की गरिमा को जीवित रहने का यह एक सफल प्रयास है।"
दूसरे विमर्श (लघुकथा का वर्तमान)में करनाल से आए हुए अशोक भाटिया ने अपने बीज वक्तव्य में रोचक लघुकथाओं के द्वारा लघु कथा के वर्तमान का जायज़ा लिया । उनका मानना था "रचना वही है जो हमारे साथ-साथ यात्रा करे। रचनाकार में अगर संवेदना नहीं है तो उसकी रचना में जान नहीं आ सकती।"
सुकेश साहनी जी के शब्दों में " रचनाकार का अपना एक चिंतन होता है, साहित्य तो बहता हुआ पानी है जो अपना रास्ता खुद तय करता है।" लघु कथा की इस धारा का संचालन कर रहे थे रामेश्वर कांबोज़ हिमांशु ।
सृजनशील रचनाकारों का रेखांकन
संस्था की केंद्रीय इकाई द्वारा प्रतिवर्ष विधा विशेष में उल्लेखनीय कार्य करने वाले रचनाकारों को सृजन-श्री से अलंकृत किया गया । रात्रिकालीन कार्यक्रम में जिन्हें श्री विश्वरंजन एवं कमलकिशोर गोयनका जी के हाथों प्रतीक चिन्ह, शॉल, श्रीफल, सम्मान-पत्र एवं कृतियाँ भेंट कर सम्मानित किया गया वे हैं - सर्वश्री रोहित कुमार हैप्पी,- अंतरजाल पत्रिका, न्यूजीलैंड, देवी नागरानी-ग़ज़ल लेखन, न्यू जर्सी, कुमुद अधिकारी-अंतरजाल पत्रिका संपादन, नेपाल, डॉ. जयशंकर बाबु, हिंदी-सेवी, कोयम्बत्तूर, अब्बास खान संगदिल, छिंदवाड़ा, राम चरण यादव, कहानी लेखन, बैतूल देवेन्द्र कुमार मिश्रा, व्यंग्य लेखन, छिंदवाड़ा, गणेश यदु, छत्तीसगढ़ी कविता, कांकेर, रमेश चौरसिया, दोहा लेखन, कोरबा, मंदाकिनी श्रीवास्तव, कविता, किरन्दूल, दंतेवाड़ा, डॉ. सुदंर लाल कथूरिया, आलोचना, भावनगर, गुजरात, डॉ. प्रकाश पतंगीवार, गुरूर, डॉ.विद्याविनोद गुप्त, शिक्षा, चांपा, डॉ. ओंकार नाथ द्विवेदी, व्यंग्यकार, सुलतानपुर, भावसिंह हिरवानी, कबीर साहित्य, दुर्ग, वीरेन्द्र सिंह यादव-हिंदी सेवा,जालौन, मीनाक्षी जोशी-अनुवाद, भंडारा, मीनाक्षी स्वामी-बाल साहित्य, इंदौर, इंदिरा किसलय-निबंध, नागपुर, अंजना सवि-कहानी, भोपाल, शिवशरण दुबे, कटनी, डॉ. सुलभा माकोड़े, विज्ञान लेखन, भोपाल ।
लघुकथा के पहरेदारों को लघुकथा गौरव सम्मान
इस प्रथम अंतरराष्ट्रीय लघुकथा सम्मेलन में लघुकथा के विकास एवं उन्नयन के आंदोलन से जुड़े जिन संपादकों, लघुकथाकारों, आलोचकों को लघुकथा गौरव से विभूषित किया गया वे हैं- सतीशराज पुष्करणा, पटना, बलराम अग्रवाल-दिल्ली, राम ठाकुर दादा-जबलपुर, अशोक भाटिया-करनाल, रामेश्वर कांबोज हिमांशु-फिरोजाबाद, श्यामसुदंर दीप्ति-अमृतसर, प्रबोध कुमार गोविल-जयपुर, मालती वसंत, भोपाल, फजल इमाम मल्लिक, पटना, रामकुमार आत्रेय-कुरुक्षेत्र, नीर शबनम-चंद्रपुर, आनंद बिल्थरे-बालाघाट, सनातन बाजपेयी, जबलपुर, नरेन्द्र मिश्र धड़कन-कोरिया, नवल जायसवाल-भोपाल, अशोक मनवानी-भोपाल, आलोक भारती, मधुबनी, अशोक बाचुलकर, कोल्हापुर, गोवर्धन यादव, बालाघाट, डॉ. अंजलि शर्मा, बिलासपुर, डॉ. आभा झा, रायपुर ।
विमर्श के अंतिम सत्र में(17फरवरी) लघुकथा का भविष्य और भविष्य की लघुकथा जैसे महत्वपूर्ण विषय पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। इस सत्र में देवीप्रसाद वर्मा, बलराम अग्रवाल, चितरंजन खेतान, सुकेश साहनी, डॉ. रामनिवास मानव, हरिप्रकाश वत्स गिरीश पंकज, राम कुमार आत्रेय, डॉ. जयशंकर बाबु, सुभाष चंदर, नवल जायसवाल, आलोक भारती, निरंजन शर्मा, माया, रोहित कुमार हैप्पी, राजेश चौकसे, सतीश उपाध्याय, राकेश पांडेय, डॉ. हरिवंश अनेजा, एकु घिमिरे, डॉ. मीनाक्षी जोशी आदि ने अपनी बात रखी ।
कविता एवं लघुकथा पाठ का भव्य आयोजन
सांध्यकालीन कार्यक्रम में प्रख्यात कबीर गायक भारती बंधु ने अपने साज़ और आवाज़ के तार छेड़े । कबीर राग नामक यह आयोजन अत्यंत प्रभावशाली रहा । इसके बाद विशिष्ट रचनाकारों द्वारा काव्य पाठ हुआ जिसमें जनकवि आनंदीसहाय शुक्ल ने गीत, हस्तीमल हस्ती ने ग़ज़ल, निर्मल शुक्ल ने नवगीत, विश्वरंजन ने कविता, डॉ. रामनिवास मानव ने दोहे, संतोष रंजन ने गीत तथा लक्ष्मण मस्तूरिया ने छत्तीसगढ़ी रचना सुनाकर साहित्यकारों का मन मोह लिया । जयप्रकाश मानस ने संचालन किया। इसके पश्चात नव-कलरव के अंतर्गत अनेकों उपस्थित लघुकथाकारों ने अपनी-अपनी लघुकथाओं का पाठ किया । श्री गिरीश पंकज इस दौर का संचालन बखूबी निभा रहे थे.
सम्मेलन के द्वितीय दिवस 17 फ़रवरी को ब्लॉगर रवि रतलामी ने इंटरनेट पर हिंदी लेखन को लेकर जानकारी दी जिसका लेखकों ने भरपूर फायदा उठाया ।
कई दर्जन किताबें विमोचित
इस साहित्यिक कुंभ में जिन कृतियों का विमोचन हुआ उसमें सृजनगाथा (स्मारिका), कथा-लघु(लघुकथा संग्रह)- डॉ. महेन्द्र ठाकुर, लघुकथा का भविष्य (विमर्श)- संपादन- राम पटवा, एक नई पूरी सुबह(कवि विश्वरंजन पर एकाग्र, संपादन-जयप्रकाश मानस), छत्तीसगढ़ का सैंतीसवाँ गढ-बच्चू जाँजगिरी(व्यक्तित्व)- संपादन- डॉ. सुधीर शर्मा, अद्वितीय कवि- आनंदी सहाय शुक्ल (व्यक्तित्व)- सपांदन - डॉ. बलदेव, बातचीत डॉट कॉम (साक्षात्कर)- जयप्रकाश मानस, लोक-वीथी (लघुकथा)- रमेश दत्त दुबे, लघुकथा संग्रह- शैल चन्द्रा, लघुकथा का गढ़ -डॉ. राजेन्द्र सोनी, पंडवानी और तीजनबाई(व्यक्तित्व)- सरला शर्मा, ईश्वर का वैज्ञानिक दर्शन(निबंध)- अजय शर्मा, सिर्फ सत्य के लिए (कविता)- लक्ष्मण मस्तुरिया, इंग्लैंड में भारत(यात्रा)- डॉ. जे. आर. सोनी, परत-दर-परत(लघुकथा)- के.पी.सक्सेना दूसरे, हर बार यही होता है(कविता)- सलीम अख्तर, मेरा ईश्वर (कविता)- रजनी शर्मा, आत्महत्या(शोध)- गौतम पटेल, नील गगन की छाँव में (बालगीत- प्रमोद कुमार पुष्प), प्रमुख हैं ।
31 साहित्यकार राष्ट्रीय अलंकरण से सम्मानित
सृजन-सम्मान द्वारा विगत 6 वर्षों से दिया जाने वाला प्रतिष्ठित राष्ट्रीय अलंकरण द्वितीय दिवस समापन समारोह में राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के हाथों प्रदान किया गया जिन्हें इस अवसर पर विशेष योगदान हेतु सम्मानित गिया गया वे हैं -पद्मभूषण पं.झावरमल्ल शर्मा(पत्रकारिता)सम्मान-विश्वनाथ सचदेव,मुंबई, पद्मश्री मुकुटधर पांडेय(लघुपत्रिका)सम्मान-मसि कागद,श्री श्याम सखा श्याम, रोहतक, माधवराव सप्रे(लघुकथा)सम्मान- सुकेश साहनी, बरेली, महाराज चक्रधर सिंह(ललित निबंध)सम्मान-रंजना अरगड़े, अहमदाबाद, महंत बिसाहूदास(कबीर साहित्य)सम्मान-डॉ.हीरालालशुक्ल,भोपाल,प.राजेन्द्रप्रसाद शुक्ल(समग्र व्यक्तित्व)सम्मान-केशरीनाथत्रिपाठी,लखनऊ,हरि ठाकुर(समग्र कृतित्त्व)सम्मान-कमल किशोर गोयनका, दिल्ली,नारायण लाल परमार(गीत)सम्मान-निर्मल शुक्ल, लखनऊ, डॉ. बल्देव मिश्र (कहानी)सम्मान-श्री सुरेन्द्र तिवारी,दिल्ली, मिनीमाता (दलित विमर्श)सम्मान-डॉ. विनय पाठक,बिलासपुर, महेश तिवारी (विचारात्मक लेखन)सम्मान-श्री मोहनदास नैमिशराय,मेरठ, मुस्तफ़ा हुसैन मुश्फ़िक(गीत/ग़ज़ल)सम्मान-हस्तीमल "हस्ती", मुंबई मावजी चावड़ा(बाल साहित्य)सम्मान-भैरूलाल गर्ग, जयपुर, धुन्नी दुबे(आंचलिक पत्रकारिता)सम्मान-रावलमल जैन "मणि",दुर्ग, प.गोपाल मिश्र(कविता/गीत)सम्मान-डॉ.अजयपाठक, बिलासपुर, रामचंद्र देशमुख(लोक-रंग)सम्मान-दिलीप षडंगी,लोकगायक,रायगढ़, राजकुमारी पटनायक(भाषा सेवा)सम्मान-नंदकिशोर तिवारी,बिलासपुर, विश्वम्भरनाथ ठाकुर(छंदगीत)सम्मान-बुद्धिनाथ मिश्र, देहरादून, उत्तरांचल, समरथ गवंईहा(व्यंग्य-आलोचना)सम्मान- सुभाष चंदर,नई दिल्ली, गृंधमुनि साहब(कबीर साहित्य)सम्मान-आनंद प्यासी, भोपाल, दादा अवधूत (शिक्षा-संस्कृति)सम्मान-डॉ. रामनिवास मानव, हिसार, अनुवाद सम्मान-कालिपद दास, कोलकाता, हिंदी गौरव सम्मान (हिंदी-वेबसाइट) पूर्णिमा वर्मन, दुबई, प्रवासी सम्मान (विदेश मे हिंदी सेवा) आदित्य प्रकाशसिंह,डैलास,युएसए, प्रथमकृति(प्रथमकाव्य-कृति)सम्मान-अरविंदमिश्रा,,राजनांदगाँव, पं.माधवप्रसाद तिवारी सम्मान (अनुवाद)कालिपद दास, कोलकाता, बी.आर.नायडू (अहिंदीभाषी)सम्मान- डॉ. तिप्पेस्वामी,मैसूर, कृति सम्मान(श्रेष्ठ पांडुलिपि)-लक्ष्मण मस्तुरिया, रायपुर, षष्टिपूर्ति सम्मान(वरिष्ठ साहित्यकार) बच्चू जांजगिरी, रायपुर, विशेष सम्मान(लघुकथा में विशेष योगदान)-आचार्य सरोज द्विवेदी, राजनांदगाँव। संस्था द्वारा सम्मान स्वरुप रचनाकारों को नगद राशि(21, 11, 5, हजार रुपये), प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह, शॉल, श्रीफल एवं 1000 रुपयों की कृतियाँ भेंट की जायेंगी।
लेखक नक्सलवाद के खिलाफ आगे आयें- मुख्यमंत्री
मुख्य अतिथि की आसंदी से मुख्यमंत्री श्री रमन सिंह ने देश-विदेश के रचनाकारों से कहा कि कुछ अतिवादी लेखक देश में और खासतौर पर राज्य में नक्सलवाद की गलत छवि रख रहे हैं यह भ्रामक लेखन है । अब समय आ गया है कि प्रजातांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए लेखक नक्सलवाद के खिलाफ अपनी कलम को धार-धार बनाये ।
अपनी ओर से मैं इस सम्मेलन के लिए यही कह सकती हूँ कि सच में यह एक सफल प्यास के रूप में एक कुंभ ही रहा। अब हिन्दुस्तान की राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रचार-प्रसार रायपुर में प्रवाहित हुआ है जिसकी प्रत्यक्षतः इस सम्मेलन में कल-कल करती हुई धारा स्वरूप देखी और सुनी जा सकती है। रायपुर में देश- विदेश समा सकता है यह पहली बार देखा।
13, 14, 15 जुलाइ 2007 के 8वे विश्व हिन्दी समेलन में देश-विदेश में आया और वो विश्व हिन्दी सम्मेलन हो गया। रायपुर में संपन्न आयोजन स्तर और पैमाना दोनों ही दृष्टिकोणों से किसी भी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, किसी विश्व सम्मेलन से कम नहीं था । जिस आत्मीयता, आदर सम्मान से अनेकों साहित्यकारों को सम्मानित किया गया उसके लिए सृजन संस्था के समन्वयक जयप्रकाश मानस, डॉ. सुधीर शर्मा, डॉ. राजेन्द्र सोनी, राम पटवा जी को हार्दिक बधाई है, जिन्होंने यह भार अपने कंधों पर लिया और सफलता से संपूर्णता तक ले पहुँचाए। विशेष बधाई इस कुंभ कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री सत्यनारायण शर्मा जी को है। जय हिंद।
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प्रस्तुति:
देवी नागरानी
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