कविता मानस की पीड़ा -सीमा सचदेव ( पिछले अंक से जारी) मानस की पीड़ा भाग 19. हनुमान पत्रिका सिया का फिर वन क...
कविता
मानस की पीड़ा
-सीमा सचदेव
(पिछले अंक से जारी)
मानस की पीड़ा
भाग19. हनुमान पत्रिका
और राम का हर क्षण पछताना
नहीं गम के तूफां थमते
राम तो बस गुम सुम रहते
जानते है सिया पर जुल्म हुआ
बिन दोष के उसको दंड दिया
नहीं ऐसा कर सकता राजा
निर्दोष को नहीं दे सकता सजा
पर क्या करे यह प्रजा की चाह
सीता को दिखा दी वन की राह
पर किसे दिखाए हृदय सन्ताप
नहीं गा सकता विरह अलाप
बेशक कुछ राम नहीं कहते
अन्दर ही है घुटते रहते
पर राम भक्त महाबली हनुमान
जिसकी बसती श्री राम में जान
नहीं उससे कुछ भी छुपा सकते
उसके तो राम दिल में बसते
श्री राम पिता माता सीता
उनके लिए सिन्धु को जीता
भला वह कैसे यह देख सकता
माँ को अकेले नहीं छोड़ सकता
इस लिए जाता वह माँ (सिया) के पास
और दे क आता था विश्वास
नहीं कहे राम से , माँ का आदेश
कि रहती है वह वन में किस वेष
बताता था सिया को राम की दशा
हनुमान को बस सिया राम का नशा
देखता वह सबकी आँखें नम
कितना है समाया दिल में गम
पर राम से जाकर कौन कहे
कोई क्या कहे और कैसे कहे?
नहीं पवन पुत्र यह सह सकता
बिन कहे भी अब नहीं रह सकता
पर है किसमें इतनी हिम्मत
राजा से कहे कुछ सही गलत
हनुमान तो बस अब बोलेगा
बेशक वह मुँह न खोलेगा
कि राम है दो पुत्रों का पिता
किस हाल में जीती है माता(सीता)
माँ का आदेश भी पालेगा
बिन जतलाए भी न रहेगा
लिखी हनुमान ने राम को विनय
श्री राम भी भर गया हृदय
क्षमा करो हे रघुनन्दन
करता हूँ तुम्हारा मैं वन्दन
इस दास की भूल क्षमा करना
पर नहीं देखा जाता रोना
तुमसे तो कोई कुछ नहीं कहता
मन में हर कोई घुट्ता रहता
कहना चाहते है अवध वासी
क्यों माता हुई है वनवासी
वह तो बस इक मानव था नीच
जिसको पत्नी पर आई खीझ
उसके ही छोटे थे विचार
और हो गया सिया पर अत्याचार
नहीं चाहते थे यह अयोध्या के जन
नहीं जानते थे सिया जा रही वन
दुखी है कितने ही अवधवासी
नहीं सीता कोई थी दासी
जिसे ऐसे ही वन में छोड़ दिया
जन्मों का नाता तोड़ दिया
वह सीता तो है जगत माता
हम सबका उससे है नाता
माना यह इक राजा का करम
न खुद के लिए भी हो सकता नरम
देखो अवध के हर घर में
रहती पत्नियाँ है इस डर में
कही गलती से कोई उठ गई उंगली
तो वह भी जाएगी वन की गली
पति उसका साथ नहीं देगा
राजा बन घर से निकाल देगा
तन्हा होगी उस नाज़ुक घड़ी
जिस दुख में न वह रह सकती खड़ी
यह तो बन जाएगा उदाहरण
नारी के लिए तो बस दुख में मरण
पति को न होगा पत्नी पे विश्वास
क्या पत्नी है पैरो की दास?
नर दासी ही पत्नी को मानेगा
जो चाहेगा मनमानी करेगा
कैसे नारी का होगा उद्धार
जो बन्द होंगे घर के भी द्वार
पति पत्नी का जो यह रिश्ता
केवल विश्वास पे पल सकता
विश्वास टूट जब जाता है
फिर यह रिश्ता नहीं रहता है
पति पत्नी सा न कोई और नाता
बस प्यार से इसे समझा जाता
सामने है भविष्य का आईना
नहीं अनुचित है मेरा कहना
नर करेगा अपनी मनमानी
देगा उदाहरण जानी मानी
जब राम ने ही छोड़ दी पत्नी
फिर पत्नी कैसी अर्धांगिनी
नहीं मिलेगा नारी को अधिकार
नर के न रहेंगे उत्तम विचार
बस त्याग की देवी है नारी
उस से तो बनी सृष्टि सारी
और माँ जानकी तो जगत माता
कितना बेबस है जगत पिता
हे प्रभु मेरी भी विनती सुनो
अब तो माँ के दुख दूर करो
किस हाल में रहती होगी वन
कैसा भयानक है वह कानन
कहाँ वन में वह अकेली होगी
मातृत्व पीड़ा झेली होगी
कैसे सम्भव यह सब वन में
प्रभु कुछ तो सोचो अब मन में
माँ सिया का मन तो बस सच्चा
की उसने जब भी कोई इच्छा
तब तब बस उसको मिला दुख
किसने है कब पाया कोई सुख
जब माँ ने मृग को चाहा
तो उसका अपहरण हुआ
और जब घूमने को किया मन
तो मिल गया उसको भयानक वन
यह कैसी लीला तेरी
प्रभु सुनो आज विनती मेरी
अब नहीं यह देखा जाता है
दिल को जो दर्द सताता है
इक मेरी भी इच्छा मानो
जो मुझको निज सेवक जानो
माँ को परीक्षा से मुक्त करो
उसके जीवन में खुशी भरो
चाहो तुम तो यह कर सकते
निज जीवन में रंग भर सकते
रघुकुल दीपक को लाओ यहाँ
फिरे वन में न जाने कहाँ कहाँ
इक पिता का फर्ज भी करो पूरा
बिन बाप के जीवन भी अधूरा
जिस बच्चे के पिता स्वयं श्री राम
और नहीं मिले उसे पिता का नाम
कहाँ उचित यह नीति है
यह तो नहीं रघुकुल रीति है
किस पाप की सजा मिले उसको
नहीं अपना पिता दिखा जिसको
नहीं वन , उसका घर तो है महल
क्यों उसके भाग्य लिखा जंगल
बिन दोष के भुगती माँ ने सजा
अब चाहती है राजा से प्रजा
दे दो अवध को महारानी
और खत्म करो वो कहानी
हनुमान ने की जब ऐसी विनय
श्री राम का भर आया हृदय
यह सब तो है भाग्य का खेल
किस्मत से ही अब होगा मेल
यह वक्त न देखे जात पात
कभी उजियाला कभी काली रात
न वक्त के हाथों कोई बचा
होता है वही जो कुदरत ने रचा
यह सबको नाच नचाता है
जाने क्या क्या करवाता है
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(क्रमशः अगले अंकों में जारी...)
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संपर्क:
सीमा सचदेव
एम.ए.हिन्दी,एम.एड.,पी.जी.डी.सी.टी.टी.एस.,ज्ञानी
7ए , 3रा क्रास
रामजन्य लेआउट
मरथाहल्ली बैंगलोर -560037(भारत)
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