माइकल मूर : असहमति में उठा हाथ

SHARE:

यात्रा वृत्तांत आंखन देखी (अमरीका मेरी निगाहों से) ( अनुक्रम यहाँ देखें ) - डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल 6 माइकल मूर : असहमति में उठ...

यात्रा वृत्तांत


आंखन देखी (अमरीका मेरी निगाहों से)


(अनुक्रम यहाँ देखें)


- डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल


6 माइकल मूर : असहमति में उठा हाथ

इन दिनों माइकल मूर अमरीका में सर्वाधिक चर्चित नामों में से है. टाइम पत्रिका ने भी उन्हें अपने आवरण(12 जुलाई,2004) पर जगह दी है. सारे देश में उनके विचारों को लेकर तीव्र बहस हो रही है. बहस के मूल में है उनकी ताज़ा फिल्म – ‘फारेनहाइट 9/11’. 9/11 का मतलब है ग्यारह सितम्बर. अमरीका में महीना पहले लिखा जाता है, तारीख बाद में.पाठकों को स्मरण ही होगा कि ग्यारह सितम्बर को न्यूयार्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला हुआ था. उस घटना ने अमेरिका को हिलाकर रख दिया था.

23 अप्रेल 1954 को जन्मे माइकल मूर एक फिल्म निर्देशक, लेखक, निर्माता, अभिनेता और कुछ हद तक एक्टिविस्ट हैं. उनकी एक टीवी सिरीज़ ' टी वी नेशन' अमरीका में काफी चर्चित व लोकप्रिय रही है. 'ड्यूड, व्हेयर इज़ माई कण्ट्री' और 'स्टुपिड व्हाइट मेन' किताबों ने अमेरिका के बौद्धिक जगत में तीव्र उत्तेजना पैदा की थी. अब माइकल की ताज़ा फिल्म न केवल सिनेमाघरों में भारी भीड़ आकर्षित कर रही है, इसने जैसे पूरे अमरीका को ही दो भागों में बांट दिया है. वे जो माइकल के साथ हैं, एक तरफ हैं और इस फिल्म पर तारीफों के फूल बरसा रहे हैं. दूसरी तरफ वे हैं जो माइकल के लिये अपनी गालियों का पूरा खज़ाना खोले हुए हैं और इस फिल्म को बेहद फूहड़, गैर-कलात्मक और झूठ का पुलिन्दा बता रहे हैं.

इस फिल्म में राष्ट्रपति बुश की इराक़ विषयक नीतियों का खुला विरोध है. उन पर आरोप लगाया गया है कि उन्होने 11 सितम्बर की घटना का बहाना बनाकर इराक़ पर हमला किया. फिल्म बुश की कार्यप्रणाली का खुला विरोध करती है. इसके लिये जो प्रसंग उठाये गये हैं वे वास्तविक हैं. इसीलिये यह फिल्म डॉक्यूमेण्ट्री है.

फारनहाइट 9/11 116 मिनिट अवधि की डॉक्यूमेण्ट्री फिल्म है. इस फिल्म ने अपनी जमात की फिल्मों में सफलता के सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर नये झंडे गाडे हैं. कान फिल्म समरोह में इस फिल्म ने अपनी श्रेणी की 17 फिल्मों को पछाड़ कर सर्वश्रेष्ठ फिल्म का 'पाम डो' पुरस्कार जीता तथा अमरीका में रिलीज़ होने के पहले तीन दिनों में दो करोड़ से ज्यादा की कमाई की. यों अमरीका में इस तरह की डॉक्यूमेण्ट्री फिल्मों का खासा प्रचलन है. हाल ही में ' सुपरसाइज़ मी' जो फास्ट फूड के विरोध में थी और 'विण्ड माइग्रेशन' जो पर्यावरण सँरक्षणके पक्ष में थी, भी खासी लोकप्रिय रही हैं. लेकिन अमरीका में बॉक्स ऑफिस पर इतनी सफल होने वाली यह पहली डॉक्यूमेण्ट्री है. इस फिल्म को इसकी राजनीतिक प्रकृति के कारण यहां की वाल्ट डिज़्नी कम्पनी रिलीज़ करने से मना कर चुकी थी लेकिन अब अपनी सफलता के कारण यह अपनी श्रेणी की पहली फिल्म बन गयी है.

फिल्म के सर्वाधिक विवादास्पद एवं चर्चित प्रसंगों में से एक में राष्ट्रपति बुश को 11 सितम्बर को फ्लोरिडा के एक एलीमेंट्री स्कूल में दिखाया गया है. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से दो विमान टकरा चुके हैं. बुश दूसरी कक्षा के बच्चों को ' मेरी प्यारी बक़री' सुना रहे हैं. तभी उनके चीफ ऑफ स्टाफ एंड्र्यू कार्ड आते है, और उनके कान में कुछ कहते हैं. हमें बाद में पता चलता है कि कार्ड ने बुश को बताया है कि अमरीका पर हमला हुआ है. राष्ट्रपति जड़वत हैं. फिल्म की गति धीमी होती है, जिससे उनकी एक-एक हरकत उभरती है. करीब सात मिनिट बुश कक्षा में ही रहते हैं. इसके बाद वे अपने स्टाफ से ' हमले' के बारे में चर्चा करने जाते हैं.

ग्यारह सितम्बर की घटना की पड़ताल करने वाले आयोग की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि उस अवधि में पेंटागन से कोई सम्पर्क नहीं किया गया. राष्ट्रपति के क़ाफिले ने 9.35 पर स्कूल से प्रयाण किया तथा 9.45 पर राष्ट्रपति ने पहली बार अपने उप राष्ट्रपति से बात की.

यह फिल्म राष्ट्रपति बुश तथा बिन लादेन के परिवार के बीच भी एक नापाक रिश्ते की तरफ इशारा करती है. कुछ ऐसा आभास दिया जाता है कि बुश के टेक्सास एयर नेशनल गार्ड ज़माने के एक दोस्त जेम्स बाथ के माध्यम से बिन लादेन परिवार का धन बुश की असफल तेल खुदाई कम्पनी आर्बस्टो एनर्जी में लगाया गया.

मूर ने बुश और लादेन परिवारों की नज़दीकी के लिये वाशिंगटन स्थित इक्विटी फर्म कार्लाइल में उनके साझा हितों की तरफ भी संकेत किया है. राष्ट्रपति बुश के पिता इस कार्लाइल ग्रुप के एड्वाइज़र भी रहे हैं. लेकिन जानकारों के अनुसार, यह प्रसंग बहुत प्रामाणिक नहीं है.

मूर ने वाशिंगटन पोस्ट के हवाले से यह कहा है कि राष्ट्रपति बुश ने अपने कार्यकाल के प्रथम आठ माह का 42 प्रतिशत समय छुट्टियां बिताने में ही व्यतीत किया. राष्ट्रपति के समर्थकों ने इस आरोप का खंडन यह कह कर किया है कि बुश ने इस दौरान भी अपने सहायकों से मीटिंगें कर के राज्यकार्य किया. बहस इस बात पर भी है राष्ट्रपति ने 42 प्रतिशत समय छुट्टियों में बिताया या 39 प्रतिशत. कोई ताज़्ज़ुब नहीं अगर हम भारतीयों को इस पर नेहरु लोहिया की प्रसिद्ध बहस की याद आ जाये.

माइकल ने इस बात पर कड़ी आपत्ति की है कि 11 सितम्बर के बहाने से बुश प्रशासन ने अमरीकी नागरिकों को उनकी कुछेक नागरिक स्वाधीनताएं तज़ देने के लिये प्रेरित किया. मूर ने अमरीकी कांग्रेस की इस बात के लिये भी निंदा की है कि उसने बगैर पढे ही 'यू एस ए पैट्रियाटिक एक्ट' के नाम से जाने जाते आतंकवाद विरोधी बिल को तुरत फुरत पारित कर दिया.

अब यह तो कैसे पता चले कि बिल को पढ़ा गया या नहीं, पर यह प्रमाण-सिद्ध है कि इसे कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी में पारित किया गया. यह बिल सरकार को लोगों पर निगाह रखने, आप्रवासियों को बन्दी बनाने या देश से बाहर निकाल देने जैसे अधिकार देता है. यहीं यह उल्लेख कर देना भी उचित होगा कि माइकल मूर अपनी वेबसाइट पर इस बिल के विरोध में जनमत जगाते हैं. वे जगह-जगह भाषण देकर भी यह काम करते हैं.

अपने विभिन्न रूपों में माइकल अमरीकी सत्ता तंत्र की बहुत सारी परतें खोलते हैं. अपनी किताब 'स्टुपिड व्हाइट मेन' में, तथा इस फिल्म में भी, वे यह बताकर चौंकाते हैं कि 11 सितम्बर के बाद अमरीकी वायुयानों में सुरक्षा जांच कड़ी कर दी गई थी. यात्रियों के पास कोई भी खतरनाक चीज़ नहीं रहे, इस प्रयास में उनसे बुनाई की सलाई, कपडा सीने की सुई,लिफाफा खोलने वाले चाकू तक रखवा लिये जाने लगे. लेकिन, मूर आश्चर्य और क्षोभ के साथ बताते हैं कि इन सब निषिद्ध सामानों में सिगरेट लाइटर नहीं था. और वह भी तब जब कि ज्यादातर उड़ानें धूम्रपान रहित होती हैं. आप किसी भी उड़ान पर सिगरेट लाइटर ले जा सकते थे. क्यों ? मूर बताते हैं कि हालांकि प्रतिबंधित सामान की सूची में लाइटर था, पर जब वह सूची अनुमोदन के लिये व्हाइट हाउस भेजी गयी तो तम्बाकू उद्योग लाबी हरकत में आई और उसी के दबाव में आकर व्हाइट हाउस ने इस असल खतरनाक चीज़ को सूची से हटा दिया ताकि हवाई जहाज़ से उतरते ही यात्री अपनी प्रिय सिगरेट का कश लगा सके और तम्बाकू उद्योग को कोई नुकसान न हो.

माइकल मूर ने इस फिल्म में हास्य-व्यंग्य, कथा, सम्वेदना,भावुकता, अल्पकथन, बड्बोलापन- सभी का ब-खूबी इस्तेमाल किया है. फिल्म की सफलता ने इसके दुश्मनों की एक लम्बी क़तार ही खडी कर दी है. फिल्म की सफलता से क्षुब्ध हो कर यहां के एक दक्षिणपंथी फिल्मकार माइक विल्सन ने एक जवाबी डाक्यूमेंण्ट्री बनाने की घोषणा की है, जिसका शीर्षक होगा- 'माइकल मूर हेट्स अमरीका'. एक सुपरिचित विज्ञान कथाकार रे ब्रेडवरी यह कहते हुये इसका विरोध कर रहे हैं कि मूर ने उनकी एक विज्ञान कथा - 'फारनहाइट 45' के शीर्षक को चुराया है. यहां पाठकों को यह याद दिलाना उचित होगा कि 45 डिग्री फारनहाइट पर किताबें जल सकती हैं. रे महाशय ने 1953 में प्रकाशित तथा बहु चर्चित रहे इस उपन्यास में एक ऐसे चिंताजनक भविष्य की कल्पना की थी जहां एक फायरमेन घरों तथा पुस्तकालयों को इस खयाल से जलाता है कि लोग स्वतंत्र रूप से सोच न सकें. मूर ने अपनी इस फिल्म में फारनहाइट 9/11 उस तापमान को कहा है जहां स्वाधीनता जलने लगती है.

यह अमरीका में चुनाव वर्ष है. इस कारण यहां इस फिल्म का विशेष महत्व हो गया है. यहां इस बात को लेकर भी बहुत चर्चा है कि यह फिल्म जन-चेतना को जगाने या जनमत को ढालने में कितनी सफल होगी. अगर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पिट गई होती तो ये सवाल नहीं उठते, पर फिल्म की सफलता ने एक साथ ही बहुत सारे सवाल खड़े कर दिये हैं.

*******************


(क्रमशः अगले अंकों में जारी....)

------------


COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: माइकल मूर : असहमति में उठा हाथ
माइकल मूर : असहमति में उठा हाथ
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjL6FfqLrFyfGjepgEpnsCbIngqp8cQEdVStvJJfmsBA1Y4YFs50XkMmvYKeg1x7r53Mi1Vrfco3VBe-saMXcLJeqCYBCOZRbQng7NlD23BawOyxsTnJtbgrnqdvuHOFudk9Szm/s200/durga+prasad+agrwal.JPG
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjL6FfqLrFyfGjepgEpnsCbIngqp8cQEdVStvJJfmsBA1Y4YFs50XkMmvYKeg1x7r53Mi1Vrfco3VBe-saMXcLJeqCYBCOZRbQng7NlD23BawOyxsTnJtbgrnqdvuHOFudk9Szm/s72-c/durga+prasad+agrwal.JPG
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2007/08/michel-moor-asahamati-mein-utha-haath.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2007/08/michel-moor-asahamati-mein-utha-haath.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content