हैप्पी बर्थ डे टू यू

SHARE:

यात्रा वृत्तांत आंखन देखी (अमरीका मेरी निगाहों से) ( अनुक्रम यहाँ देखें ) - डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल 2 हैप्पी बर्थ डे टू यू ...

यात्रा वृत्तांत


आंखन देखी (अमरीका मेरी निगाहों से)



(अनुक्रम यहाँ देखें)


- डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल


2 हैप्पी बर्थ डे टू यू


चारु ने सुबह ही कह दिया था कि शाम को हमें दीपिका के यहां जाना है.

दीपिका और रजनीश (राज) इन लोगों के नज़दीकी दोस्तों में हैं. नज़दीकी कई तरह की है. घर एकदम पास है. पैदल कोई 3-4 मिनिट की दूरी पर. मुकेश और राज दोनों ही माइक्रोसॉफ्ट में हैं. दोनों, बल्कि चारों बेहद मिलनसार और खुशमिज़ाज़ हैं. पिछली बार, डेढ़ेक साल पहले जब हम लोग यहां आए थे, इन परिवारों में दोस्ती नहीं थी. लेकिन इस बीच गंगा में बहुत सारा पानी बह चुका है. दोनों परिवार कई बार साथ बाहर जा चुके हैं, और अगर एक घर में कोई खास डिश बनती है तो दूसरे घर में उसके स्वाद की तारीफ होती ही है. दोनों परिवारों की नज़दीकी का एक आयाम यह भी है कि चारु और दीपिका की गर्भावस्था एक साथ आगे बढ रही है. दोनों की सम्भावित प्रसव तिथि एक ही है. अस्पताल एक है, डॉक्टर एक है. और जैसे इतना ही काफी न हो, गर्भकाल में मदद के लिये चारु के मां-बाप(यानि हम) आये हुए हैं तो दीपिका के भी मां-बाप आये हुए हैं. दोनों परिवार अग्रवाल हैं.

आज दीपिका का जन्म दिन है. प्रसवकाल निकट होने से यह संशय तो बना ही हुआ था कि शाम को दीपिका (या चारु, या दोनों) घर पर ही होंगी या प्रसूतिगृह में, पर फिर भी आयोजन कर ही लिया गया था.

मुकेश भी आज दफ्तर से जल्दी आ गये. सात बजे. रोज़ साढ़े आठ-नौ बजे तक आते हैं. जल्दी से नहा-धोकर तरोताज़ा हुए और हम चले राज के घर. पहले एक चक्कर निकट की दुकान का. चारु दीपिका के लिये कुछ लेना चाहती थी. राज ने साढ़े सात बजे बुला रखा था. इन दिनों अमरीका में सूर्यास्त बहुत देर से होता है - रात साढ़े नौ बजे के आस पास. साढ़े सात बजे तो ऐसा लग रहा था जैसा भारत में शाम चार बजे लगा करता है. पूरा, चमकता, उजास भरा दिन. जल्दी करते-करते भी हम थोडा लेट हो ही गये. राज के यहां पहुंचे तो घड़ी आठ बजा रही थी. बहुत बड़ा आयोजन नहीं था. कोई दस-बारह लोग थे. सभी सहकर्मी. सभी युवा. सभी भारतीय. यहां भारतीयों व अमरीकियों के सम्बंध काम-काज तक ही सीमित हैं. घर आने-जाने की आत्मीयता लगभग नहीं है. भारतीयों की अपनी एक अलग ही दुनिया है. सिएटल जैसे शहर में इस दुनिया का बना रहना सहज और सम्भव है भी. अकेले माइक्रोसॉफ्ट में ही लगभग चार-पांच हज़ार भारतीय हैं. कहीं भी जाएं - शॉपिंग माल में, पार्क में, रेस्टोरेण्ट में, आपको साड़ी,सलवार, चूड़ी ,बिन्दी के दर्शन हो ही जाएंगे.

तो हम भी जूते उतार कर भीतर पहुंचे. बता दूं कि यहां जूते अनिवार्यतः बाहर उतारे जाते हैं. सभी आ चुके थे. दो युवा माताएं और उनके पतिगण - अपने अपने शिशुओं में मगन. एक की संतान पिछली जून में हुई थी, एक की जुलाई में. चर्चा हुई कि मई में मां बनने वाली दो युवतियां (चारु व दीपिका) यहां हैं. इस तरह मई,जून,जुलाई,अगस्त में लगातार बर्थडे पार्टियां हुआ करेंगी. एक दोस्त इन लोगों की दो-तीन दिन बाद भारत से आने वाली हैं. उन्होंने अगस्त में शिशु को जन्म दिया था. उन्हें भी गिन लिया गया था. उनके पति पार्टी में थे. एक और दंपती थे. पत्नी गर्भवती थीं. दिखाई भी दे रहीं थी पर उनका परिचय यह कहकर कराया गया कि वे प्रैग्नेण्ट हैं. यहां गर्भावस्था को गोपनीय नहीं माना जाता. उसके बारे में जितनी खुलकर और सहज भाव से उल्लासपूर्ण चर्चा होती है उसकी भारत में कल्पना भी नहीं की जा सकती. इस खुलेपन का एक बड़ा फायदा यह है कि स्त्रियां अपनी गर्भावस्था के बारे में, उसके कष्टों के बारे में और उन कष्टों से बचने के उपायों के बारे में सब कुछ जान जाती हैं. डॉक्टर भी बहुत खुलकर और विस्तार से बात करते हैं. नए माता-पिता के लिये बाकायदा सेमिनार्स/काउंसिलिंग सेशंस होते हैं और लोग पैसा खर्च कर उनका लाभ उठाते हैं. यह है जीवन के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण!

सभी से परिचय हुआ. रजनीश की बहन नयनतारा भी इसी सिएटल शहर में रहती है. वह भी आई हुई थी. दीपिका के माता-पिता और हम दोनों को छोड़कर शेष सभी आपस में बहुत अच्छी तरह घुले-मिले थे. पर असहज हम भी महसूस नहीं कर रहे थे. अमरीकी जीवन और आबो-हवा में कुछ ऐसी अनौपचारिक सहजता है कि आप प्रवाह से अछूते रह ही नहीं सकते. हंसी-मज़ाक के दौर पर दौर चल रहे थे. नयनतारा से कहा गया कि वह आजकल राज के यहां बहुत आती हैं. उसने भी मज़ाक का पूरा मज़ा लेते हुए जवाब दिया कि आजकल यहां अच्छे-अच्छे पकवान जो बनते हैं. इतना सुख कि न केवल खाओ, अगले दिन के लिये पैक करके भी ले जाओ.. मैं सोच रहा था, क्या भारत में इस तरह मज़ाक किया जा सकता है? और क्या यह भी बहुत स्वाभाविक होगा कि एक ही शहर में बहन-भाई अलग-अलग घरों में रहें? बड़े शहर की दूरियों और काम की व्यस्तताओं ने अस्वाभाविक को भी स्वाभाविक बना दिया है. जब भी फुरसत मिलती है, नयनतारा भाई के यहां आ जाती है. एमबीए किया है. किसी अच्छी कम्पनी में काम करती है. छोटी-सी,प्यारी-सी,गुडिया-सी लडकी. भारत में होती तो शायद मां कहीं अकेले जाने ही नहीं देती, लेकिन यहां सात समुद्र पार पूरे दमखम से शानदार ज़िन्दगी जी रही है. यह है आज की युवती.

यहां खाने की कुछ भिन्न परम्परा है.पहले अपेटाइज़र. पर भारत में इस से जो आशय होता है(सूप वगैरह) उससे थोड़ा अलग. यहां अपेटाइज़र का आशय खाद्य से होता है, बेशक उसके साथ पेय भी हो सकता है. हमें ब्रेड रोल और कांजी बड़ा दिया गया. यहां पेपर नैपकिन (जिसे ये लोग टिश्यू पेपर कहते हैं) का भरपूर उपयोग होता है. गिलास डिस्पोज़ेबल, पर इतने सुघड़ और सुन्दर कि चाहें तो अलमारी में सजा लें. टिश्यू भी कम गरिमापूर्ण नहीं.

हंसी-मज़ाक का दौर चल रहा था. हम फेमिली रूम में ही थे. फेमिली रूम यहां एक ऐसी जगह होती है जिसमें किचन भी शामिल होता है. ओपन किचन. किचन, एक बड़ी टेबल, कुछ सोफे (जिन्हें ये लोग काउच बोलते हैं), कुछ कुर्सियां, स्टूल, टीवी, म्यूज़िक सिस्टम; यानि जहां बैठकर आप गपशप करते हुए, अनौपचारिक व सहज रूप से खा-पी सकें. टेबल पर केक लगा दिया गया था. दीपिका ने (जिन्हें डॉक्टर के अनुमान के लिहाज़ से इस समय अस्पताल में होना चाहिये था) केक काटा. सबने तालियां बजाईं, ‘हैप्पी बर्थ डे टू यू’ गाया.

राज और मुकेश ने पूछा कि मैं ड्रिंक में क्या लेना पसन्द करूंगा. राज के यहां बहुत समृद्ध बार है. मेरी पसन्द व्हिस्की थी. राज ने टीचर्स व्हिस्की की बॉटल निकाली. राकेश जी और उषा जी -दीपिका के माता पिता- लखनऊ में रहते हैं. ये गुप्ता दंपती भी हमारी ही तरह दूसरी बार अमरीका आये हैं. हम लोग यहां के जीवन के बारे में अपने अनुभव बांटना शुरू करते हैं. यहां की सुव्यवस्था, यहां की सफाई, यहां का सुगम नागरिक जीवन, वगैरह. इन लोगों ने कल 'धूप' फिल्म देखी थी और इनसे ही उसकी डीवीडी लेकर आज दोपहर हमने भी देख डाली. मेरे जेहन पर 'धूप' का कथानक छाया हुआ था. भारत में शायद यह फिल्म रिलीज़ ही नहीं हो पाई है, हालांकि इसका संगीत काफी चला है. मैं तो इस फिल्म से अभिभूत था. गुप्ता जी भी. कहानी भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार और निकम्मेपन से एक आदमी (ओम पुरी) की लड़ाई की है. इससे मुझे सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की 'लड़ाई' भी याद आती रही. हम दोनों यह चर्चा करते रहे कि क्यों भारत में ही ऐसा होता है, अमरीका में नहीं. यहां तो जिसे जो काम करना है, पूरे मन से करता है. भारत में तो जैसे वर्क कल्चर है ही नहीं. चर्चा हस्ब-मामूल सिस्टम पर आकर अटक जाती है. हम लोग अमरीका की, उसकी पूंजीवादी संस्कृति की, मनुष्य विरोधी आचरण की, सारी दुनिया पर अपनी चौधराहट लादने की खूब लानत मलामत करते हैं. पर इसी अमरीका का दूसरा पहलू भी है, यहां का साफ-सुथरा नागरिक जीवन. इसी को देखकर समझ में आता है कि क्यों अमरीका दुनिया के सबसे समृद्ध, शानदार और जीवंत देशों में गिना जाता है. हमारी चर्चा इससे फिसलकर आम जीवन पर आ जाती है. भारत में हम कपड़ों वगैरह की खूब चिंता करते हैं. यहां उनकी बिल्कुल भी चिंता नहीं की जाती. आप जो और जैसे चाहे पहन लें. निक्कर(घुटन्ना) और घिसा हुआ बनियान जैसा टी शर्ट पहन कर तो लोग नौकरी पर चले जाते हैं. इस आयोजन में भी कोई बना-ठना नहीं था. युवतियां भी नहीं. एक अपवाद दीपिका थीं. उन्हें होना भी था. पर वे भी उस तरह सजी-संवरी नहीं थीं जैसे अपने जन्म दिन पर भारत में होतीं. शेष सब तो नितांत काम चलाऊ कपड़ों में थे. अमरीका में कपड़ों का तो यह आलम है कि पिछली बार जब हम यहां आये तो मैं जो सूट टाई वगैरह लाया था, उन्हें उसी पैक्ड अवस्था में वापस ले गया. लगा कि सूट-टाई में अजूबा लगूंगा. यहां तो शॉर्ट, टी शर्ट, जींस यही चलता है. घर में भी, दफ्तर में भी और पार्टी में भी. औपचारिक वेशभूषा तो बहुत ही कम अवसरों पर इस्तेमाल होती है.

हमारी गपशप के बीच ही पित्ज़ा भी आ गया. एक पेग खत्म हो गया, गुप्ता जी दूसरा बना लाये. उधर युवा समूह में (जिसमें श्रीमती गुप्ता और श्रीमती अग्रवाल भी थीं,बावज़ूद इसके कि उनका युवा होना सन्दिग्ध था) गपशप का उन्मुक्त दौर चल रहा था. स्त्रियों में सहज हो जाने का जन्मजात गुण होता ही है. आवाज़ों के टुकड़े हम तक भी आ रहे थे. दीपिका के पिता और मैं अपना अपना गिलास लेकर इस फेमिली रूम से सटे लिविंग रूम (जो हमारे ड्राइंग रूम के समकक्ष होता है) में जा बैठे. पूरी पार्टी में मदिरा प्रेमी हम दो ही थे. वहां से भी हमें इधर का सब कुछ दिखाई-सुनाई दे रहा था. बाद में घर आकर मैंने विमला से जाना कि सभी अपने-अपने बच्चों के जन्म का बिन्दास वर्णन कर रही थीं. विमला घर आकर भी 'हाय राम' मोड (Mode) में थी. यहां प्रसव के समय पति तो उपस्थित रहता ही है, अन्य परिवार जन भी रह सकते हैं. नयनतारा से कहा जा रहा था कि वह दीपिका के प्रसव की फोटोग्राफी करे और वह (बेचारी कुंवारी हिन्दुस्तानी लड़की) प्रसव का नाम सुनकर ही घबरा रही थी, और सब देवियां उसकी इस घबराहट का मज़ा ले रही थीं.

यहां कोई किसी से औपचारिकता नहीं बरतता. सब एक दूसरे को उसके नाम से पुकारते हैं. जी, साहब, बहनजी, भाभीजी का बोझ ये लोग भारत से यहां ढोकर नहीं लाये हैं. खाने पीने के मामले में कोई मनुहार नहीं है. यह बहुत आम है कि आप किसी के घर जाएं तो गृहस्वामी आपके खाना शुरू करने का इंतज़ार ही न करे. आपको खाना है, खाएं, न खाना है, न खाएं. अगर यह आस लगाई कि कोई दो बार आग्रह करेगा तभी खाएंगे, तो भूखे ही रह जाएंगे.

खाना खाकर झूठे बर्तन सिंक में साफ करना तथा डिश वाशर में लगाने के लिये तैयार कर देना यहां आम है. इससे गृह स्वामी/स्वामिनी को जो आसानी होती है, उसे देखकर ही समझा जा सकता है.

लोग एक एक करके विदा हो रहे थे. हम क्योंकि उनके विदा मार्ग में ही थे, सभी हमसे भी बाय-बाय करते जा रहे थे. ड्रिंक खत्म कर और पेट में स्वादिष्ट पित्ज़ा ठूंस कर (मैं तो ज़्यादा ही खा गया था!) हम लोग भीतर वाले लिविंग एरिया में आ गये. अब हम परिवारजन ही रह गये थे. राज-दीपिका, नयनतारा, मुकेश-चारु, और हम दोनों माता पिता युगल. थोड़ी देर सीक्वेंस खेला. पहली बार ही खेला पर मज़ा आया..

जब उठे तो ग्यारह बज रहे थे. इस प्रवास में हमारे लिये पहला अवसर था यह देखने समझने का कि एक भिन्न संस्कृति किस तरह आपको अपने अनुरूप ढालती है, और यदि आप विवेकशील हों तो किस तरह दोनों संस्कृतियों की अच्छाइयों को अपना लेते हैं!

.*******************

(शेष अगले अंक में जारी...)

--------------------.

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: हैप्पी बर्थ डे टू यू
हैप्पी बर्थ डे टू यू
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjL6FfqLrFyfGjepgEpnsCbIngqp8cQEdVStvJJfmsBA1Y4YFs50XkMmvYKeg1x7r53Mi1Vrfco3VBe-saMXcLJeqCYBCOZRbQng7NlD23BawOyxsTnJtbgrnqdvuHOFudk9Szm/s200/durga+prasad+agrwal.JPG
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjL6FfqLrFyfGjepgEpnsCbIngqp8cQEdVStvJJfmsBA1Y4YFs50XkMmvYKeg1x7r53Mi1Vrfco3VBe-saMXcLJeqCYBCOZRbQng7NlD23BawOyxsTnJtbgrnqdvuHOFudk9Szm/s72-c/durga+prasad+agrwal.JPG
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2007/08/happy-birthday-to-you.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2007/08/happy-birthday-to-you.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content