गीतकार पंडित विद्याभूषण मिश्र

SHARE:

हिन्दी और छत्तीसगढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर गीतकार पंडित विद्याभूषण मिश्र -प्रो. अश्विनी केशरवानी कवि श्री राम अधीर का कथन है-''...



हिन्दी और छत्तीसगढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर

गीतकार पंडित विद्याभूषण मिश्र

-प्रो. अश्विनी केशरवानी

कवि श्री राम अधीर का कथन है-''साहित्य के विशाल और विविधरंगी परिदृश्य पर गीत का उदय मनुष्य के जन्म के साथ ही हुआ है। गीत वास्तव में लय और रागात्मकता का समुच्चय है। यह विश्व की हर भाषा में गाया और कहा गया है। गीत की विविध परिभाषाएं दी गई हैं लेकिन जिस हिन्दी गीत की मैं चर्चा कर रहा हूं वह अपने मूल चरित्र में काफी भिन्न है। कहा जाता है कि जब यूरोपीय देशों के सर्वहारा वर्ग के लोग अपने श्रम का परिहार करते थे तो नाचते गाते हुए कुछ बोल उनके अधरों पर फूट पड़ते थे। यह बोल वे जिस वाद्य पर गाते थे उसे 'लायर' कहा जाता था और इसी लायर से ही 'लिरिक' का जन्म हुआ जिसे कालान्तर में 'गीत' कहा गया परन्तु हिन्दी का गीत किसी स्तर पर लिरिक नहीं है और इसका कारण है हिन्दी गीत की मूल चेतना और संवेदना का शुद्ध भारतीय होना। क्रौंच वध से उपजी कविता ने आदि कवि को अगर काव्यानंद प्रदान किया तो आज का गीत भी वही कर रहा है जो परंपरागत है और आज भी नव्यता उसमें विद्यमान है। रस गंगाधर ग्रंथ में पंडितराज जगन्नाथ ने कहा है-'रमणीयार्थ प्रतिपादक शद्व काव्यं।' बात यहीं समाप्त नहीं होती। कहा गया है कि -रसस्य परिपंथित्वान्नालंका: प्रहेलिका' कविता का गुण प्रसाद और चमत्कार या प्रभावशीलता है। जिस काव्य में जितना चमत्कार होगा वह उतना ही उत्कृष्ट और आदरणीय होगा।''

भारतेन्दु हरिश्चंद्र के युग से ही हिन्दी गीत का जन्म हो गया था और बाद में उसने छायावाद, रहस्यवाद और प्रगतिवाद का युग भी देखा। इसलिए गीत अपने नए पुराने कलेवर में आज भी अपनी जीवंतता दर्ज कराता आ रहा है। जब गीत पंत-प्रसाद-निराला के युग में आया तो उसकी अंतरधाराएं कुछ बदलीं। कहना न होगा कि उस युग का गीत अंतर्मुखी अधिक था। तत्कालीन गीत धर्मियों ने इसे जिस तरह से गाया था वह उनकी अपनी वेदना संवेदना का गीत था, लेकिन उनकी धाराएं अलग थीं जैसे कि पंत जी ने गीत को प्रकृतिमय बना दिया था परन्तु उनका प्रकृति को गाना अपने को गाना था और इस तरह वह वाह्य जीवन से सीधा सरोकार कायम करते रहे। छायावादी युग से अपनी यात्रा को नये पड़ाव और मुकामों तक लाने वाला गीत अब उत्तर छायावादी युग तक आया तो उसका कायापलट ही हो गया था और तब बच्चन और नरेन्द्र शर्मा जैसे गीतकारों ने गीत को सार्वजनीन बना दिया था। इनमें अंचल जी का नाम भी आस्था से लिया जाता है। वे उत्तर छायावाद के समर्थ गीत शिल्पी थे।


अपने मूल चरित्र में आज गीत केवल गीत ही के नाम से पहचाना जाता है जबकि परंपरावादी गीत से हटकर नवगीत का जन्म हुआ है। गीत चाहे पारंपरिक हो या नवगीत, उसमें वही ध्वनित हो रहा है जिसकी आज जरूरत है। गीत कालजयी और काल सापेक्ष भी है। जो लोग इसे ईमानदारी से गा रहे हैं, गीत आज भी उनके साथ है और जो इसे महज एक शौक मानते हैं, गीत उनके साथ न पहले कभी रहा है और न आज है। गीत को किसी नुक्कड़ में सुना जाये या गलियों में, उसका अस्तित्व और अस्मिता कहीं से भी प्रभावित नहीं होती। बहरहाल, इस गीत परंपरा को समृध्द करते हुए उसे हिन्दी बहु-पठित और बहुचर्चित पत्र-पत्रिकाओं तक ले जाने का सद्कार्य छत्तीसगढ़ के गीतकारों में श्री दानेश्वर शर्मा, श्री विद्याभूषण मिश्र, श्री रामप्रताप सिंह 'विमल' और श्रीमती इंदिरा परमार के नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है।

भीड़ में ढ़ूंढ़ें कहां हम आज अपना पन,

बुझ चुका पूजा कलश संकोच में आंगन।

एक शबनम में झलकते हैं बहुत से रूप।

पहुंच पाई क्यों न मन तक प्रेम की वह धूप ?

आज कथनी और करनी में नहीं संयोग।

रूग्ण है परिवेश पूरा ग्रस चुका है रोग।

दिग्भ्रमित है आज कोलाहल विकल चिंतन।

23 दिसंबर सन् 1930 में पंडित कन्हैयालाल- बहुराबाई मिश्र के सुपुत्र के रूप में श्री विद्याभूषण मिश्र का जन्म एक संयोग नहीं बल्कि उस संस्कार का जन्म हुआ जिसे हम आज एक सर्वोत्कृष्ट गीतकार के नाम से जानते हैं। उनका संस्कारिक और शिक्षकीय जीवन उन्हें अपने पिता जी से विरासत में मिला था। जीवन में जैसे वे एक अच्छे शिक्षक के रूप में जाने गये वैसे ही वे एक अच्छे गीतकार के रूप में ख्याति अर्जित किये। उन्हें अपने पिता के अलावा शालेय गुरूदेव श्री सरयूप्रसाद त्रिपाठी 'मधुकर', महाविद्यालयीन प्राध्यापकों श्री आनंदीलाल पांडेय, डॉ. गजानन शर्मा, श्री पूनमचंद्र तिवारी एवं डॉ. राजेश्वर गुरू, का स्नेह मिला। इसलिए वे हमेशा उनके आदरणीय रहेंगे। श्री द्वारिकाप्रसाद तिवारी 'विप्र', एवं बाबू यदुनंदन प्रसाद श्रीवास्तव ने उन्हें मंच एवं प्रकाशन की ओर अग्रसर मिया। श्रीकांत वर्मा उनके सहपाठी ही नहीं उनकी लेखनी के साक्षी रहे। डॉ. रामेश्वर शुक्ल 'अंचल', श्री बल्देवप्रसाद मिश्र, साहित्य वाचस्पति द्वय पंडित लोचनप्रसाद पांडेय और पंडित मुकुटधर पांडेय, श्री शेषनाथ शर्मा 'शील', श्री गुरूदेव काश्यप, पंडित जगदीश प्रसाद तिवारी, श्री रामअधीर, डॉ. विनय कुमार पाठक, श्री रामप्रताप सिंह 'विमल', श्री गौरीशंकर श्रीवास्तव, डॉ. प्यारेलाल गुप्त, श्री नारायणलाल परमार, श्री दौलतराम थवाईत आदि अनेक प्रभृति जनों के सत्संग में उनकी लेखनी को दिशा मिली और वह निरंतर प्रवाहित होती रही... आज 76 वर्ष की उम्र में भी वे लिख रहे हैं, यह हमारे लिए गौरव की बात है। मिश्र जी एक उत्कृष्ट गीतकार हैं। उनके सभी गीत गेय है। इसे वे सस्वर अपनी कक्षाओं में, कवि सम्मेलनों में और विचार गोष्ठियों में गा चुके हैं। आधा दर्जन से भी अधिक उनके कविता संग्रह प्रकाशित हो चुका है। गीत के बारे में उनका कथन है-'मेरे लिए गीत और जिंदगी एक दूसरे के अभिन्न हैं। मैं जीवन के प्रत्येक गतिवान क्षण को एक उत्सव की तरह मानते चलता हूं। प्रत्येक गीतकार जीवन के प्रत्येक पल के माधुर्य एवं तिक्त रस की बूंद बूंद को निचोड़कर उसे भोगने का अभिलाषी होता है। मैं यथार्थ की कड़ुवाहट और मौलिक कल्पनाओं के सलोनेपन को साहित्य की प्राणवान विधा गीत के सृजन स्रोत मानता हूं।' अपनी गीतों के बारे में वे कहते हैं-'मैंने अपनी गीतों में कल्पनाओं का सहारा लिया है क्योंकि कोमल कल्पनाएं गीत को हृदयग्राही बनाती हैं और गीतकार के मानसिक बिखराव को अनुशासनबध्दता प्रदान करती है।' देखिये उनके एक गीत :-

तेरा संयम हर अभाव के

द्वार दीप बन जाता।

तू संस्कृति का बन सुहाग

छंदों में गौरव पाता।

'संवर रही बासन्ती शाम' में उनकी अभिव्यक्ति की एक बानगी पेश है :-

फिसल रहे संयम के महकीले पांव।

ढ़ूंढ़ रहा प्यासा मन सपनीले गांव।

सुधियों की अमराई का नव श्रृंगार,

भावों के द्वार खोल गीत है खड़ा।

उन्होंने अपने प्रथम गीत संग्रह 'मन का वृंदावन जलता है' में उन्होंने युगीन चेतना के गीतों को प्राथमिकता दी है। दूसरे गीत संग्रह 'सुधियों के स्वर' में उन्होंने अपनी इंद्रधनुषी अनुभूतियों एवं सुरमीली सुधियों के गीतों को संग्रहित किया है। उनके चतुर्थ पुष्प के रूप में 'करूणांजलि' सन 1997 में प्रकाशित हुआ है। इस ग्रंथ के बारे में उनका मत है :-'भगवान श्रीराम जन जीवन के लिए दिव्य प्रेरणा के स्रोत हैं अत: अपने प्राण से नि:सृत प्रस्तुत 'करूणांजलि' उन्हीं के पद-पद्मों में समर्पित करते हुए मैं उनसे आज के भौतिकवादी परिवेश में आहत हृदयों के लिए शांति की याचना करता हूं।' वे गाते हैं :-

करूणा के कारण ही नारी सदा छली जाती है

कहीं अहल्या और कहीं बन सीता दुख पाती है।

तभी वे 'कुसुमांजलि' में गाते हैं :-

मौन अभिव्यक्ति को देवि तुम शक्ति दो

राम रस के बिना भाव रसहीन है।

राम ही साध्य हों छंद साधन रहें

राम करूणा बिना आचरण दीन है।

जांजगीर के कवि श्री शेषनाथ शर्मा 'शील' मिश्र जी के प्रेरणास्रोत रहे। बीच बीच में उन्हें उनसे प्रोत्साहन और दिशा निर्देश मिलता रहा है। हालांकि वे आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका स्नहाशीष उन्हें हमेशा मिलता रहेगा। शील जी करूणांजलि की भूमिका में लिखते हैं :-'वात्सल्य रस देने वाले इस महामहिम भक्तचित्त को शांति नहीं मिली और उसने एक नवीन रस का आनयन किया वह है 'राम भक्ति रस'। 'रामचति जे सुनत अघाहीं रस विशेष जाना तिन नाही।' इस नवीनतम और विशेष रस से तुलसी की रामायण रस भरता है। रामायत सम्प्रदाय के समस्त परवर्ती कवियों को भी इस विशेष रस ने आप्यायित किया। शिक्षा विभाग से निवृत्त होकर अब भी मिश्र जी प्राणपन से इस दिशा में श्रृजनात्मक प्रवृत्ति लेकर उतरे हैं। मुझे उनसे बड़ी आशाएं हैं। 'भूरि भाग भाजन भयेऊ तुम समेत बलि जाऊँ। जो तुम्हरे मन छाँड़ि छल कीन्ह राम पद ठाऊँ।'

इसी तर्ज में मिश्र जी ने 'श्रीराम भक्त हनुमान' काव्य संग्रह का प्रणयन किया है। सातवें पुष्प के रूप में वीर चूड़ावत और दानवीर कर्ण की गाथा को खंडकाव्य 'गूँजे वीरों का जयगान' में प्रकाशित किया है। सेनापति चूड़ावत तथा हाड़ारानी पर केंद्रित एवं दानवीर कर्ण की दानशीलता पर आधारित इस खंडकाव्य में शौर्य, त्याग, पराक्रम तथा श्रृंगार का अप्रतिम वर्णन हुआ है। कृति में श्रोता मन को आद्योपांत बांधे रखने की अपूर्व क्षमता दिखाई देती है। मिश्र जी ने इसमें मानों अपने काव्य कौशल को उँड़ेल दिया है। पूरा काव्य ओज, प्रसाद गुणों से लबालब है। अलंकारों का यथा स्थान सुन्दरतम प्रयोग हुआ है। इस काव्य कृति में भाव तथा कला दोनों ही बड़े सशक्त पक्ष हैं। एक बानगी पेश है :-

रहकर के निष्काम जगत में, कर्मरती पाता है मान।

भारत भूमि रहेगी जब तक, गूँजे वीरों का जयगान॥

सन् 1964 में चांपा के बालक उच्चतर माध्यमिक शाला में व्याख्याता रहते हुए यहां की साहित्यिक संस्था 'निराला साहित्य मंडल' के वे अध्यक्ष रहे। उन दिनों 'गीत वल्लरी' नामक खंडकाव्य प्रकाशित हुआ जिसकी भूमिका श्री रामेश्वर शुक्ल अंचल जी ने लिखी थी। उसी समय अंचल जी के पिता श्री मातादीन शुक्ल की 'मुण्डमाल' शीर्षक कहानी से प्रेरित होकर उन्होंने वीर चूड़ावत की रचना की थी। श्री गुरूदेव काश्यप ने दैनिक महाकोशल में धारावाहिक प्रकाशित किया। निराला साहित्य मंडल के अध्यक्ष रहते उन्होंने 'चांपा दर्शन' का प्रकाशन किया। इसमें उन्होंने चांपा और उसके आसपास के दर्शनीय स्थलों के बारे में आलेख लिखा जो आज हमारे लिए एक दस्तावेज है। वे एक उत्कृष्ट समीक्षक हैं। लगभग 200 पुस्तकों की समीक्षा उन्होंने लिखी है। हिन्दी और छत्तीसगढ़ी साहित्य में उनका समान अधिकार है। वे अपने गीतों को हमेशा गाकर सुनाते हैं। उनकी प्राय: सभी रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं और आकाशवाणी के रायपुर, भोपाल, अम्बिकापुर से प्रसारित हो चुका है। विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से वे सम्मानित हो चुके हैं। उनके अभिन्न श्री रामअधीर ने भोपाल से प्रकाशित मासिक पत्रिका 'संकल्प रथ' का एक अंक श्री विद्याभूषण मिश्र के उपर केंद्रित प्रकाशित की है जिसमें मिश्र जी की गीतों की विवेचना की गई है।

डॉ. गंगाप्रसाद बरसैंया ने 'गूँजे वीरों का जयगान' में लिखते हैं-'मिश्र जी की भाषा और छंद शिल्प पर अच्छा अधिकार है। प्राकृतिक सौंदर्य हो या वैचारिक प्रसंग, प्रेमालाप हो या युद्ध का क्षेत्र कवि ने सर्वत्र भावानुकूल भाषा का सुंदर और जीवंत प्रयोग किया है।' उन्होंने मिश्र जी की रचनाओं को विभिन्न पाठयक्रमों में रखने योग्य बताया है जो स्वागतेय है।

जांजगीर के एक छोटे से कमरे में मिश्र जी 76 वर्ष के होकर भी निरंतर लिख रहे हैं, और इस नगर को साहित्य गतिशीलता प्रदान कर रहे हैं। नवोदित रचनाकारों के लिए यह प्रेरणास्पद है। उनकी लेखनी हमेशा हमें प्रेरित करता रहे, वे स्वस्थ और शतायु हों... यही हमारी उनके प्रति कामना है। इति।

**************************

रचना, आलेख, फोटो एवं प्रस्तुति :

प्रो. अश्विनी केशरवानी

राघव, डागा कालोनी,

चांपा-495671 (छ.ग.)

**************************

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. आदरणीय विद्याभूषण मिश्र जी छत्‍तीसगढ के एकमात्र शाश्‍वत साहित्‍य छंद के कवि हैं जिनके गीत कवि सम्‍मेलनो में झूम कर सुना जाता है उनकी कवितायें मन के तार तार को झंकृत करती हैं । मैं सन 1985 - 86 से मिश्र जी के कृतित्‍व से वाकिफ हूं । उनके जैसा सहज सरल व्‍यक्तित्‍व मैनें आज तक नहीं देखा । मेरा जांजगीर और मिश्र परिवार से पारिवारिक संबंध रहा है । लगभग दस वर्षों से उनके संबंध में कोई जानकारी नहीं ले पाया था । आज रवि भाई आपने केशरवानी जी का यह लेख यहां पर देकर मेरे स्‍मृति में उनके छंदो को जीवंत कर दिया । धन्‍यवाद भइया . . .

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: गीतकार पंडित विद्याभूषण मिश्र
गीतकार पंडित विद्याभूषण मिश्र
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgEwk7pYKOrP-vRFlEeIIEZC3QyvKNxyRsU7DmYPC-ZZpt-ZuwgSCsEdeZocoEXnhmSTQLUAyZvjzkFflHKQrOdlzVmrCiLbcV_SYhJiCLq_qNThNlObAEMtEUVdGgCmOkEcraM/s400/vidyabhusan+mishra+%28Small%29.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgEwk7pYKOrP-vRFlEeIIEZC3QyvKNxyRsU7DmYPC-ZZpt-ZuwgSCsEdeZocoEXnhmSTQLUAyZvjzkFflHKQrOdlzVmrCiLbcV_SYhJiCLq_qNThNlObAEMtEUVdGgCmOkEcraM/s72-c/vidyabhusan+mishra+%28Small%29.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2007/07/blog-post_12.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2007/07/blog-post_12.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content