- डॉ. महेश परिमल जो रिश्ता ईश्वर से अपने भक्तों का होता है, वही रिश्ता प्रख्यात लोगों का अपने प्रशंसकों से होता है। प्रशंसकों के बिना इ...
- डॉ. महेश परिमल
जो रिश्ता ईश्वर से अपने भक्तों का होता है, वही रिश्ता प्रख्यात लोगों का अपने प्रशंसकों से होता है। प्रशंसकों के बिना इन ख्यातिलब्ध व्यक्तियों की स्थिति का वर्णन करना मुश्किल होता है। यह सच है कि जो आज प्रख्यात है, वही कल गुमनामी के अंधेरे में गुम भी हो सकता है, पर जब तक वह चकाचौंध की दुनिया में है, तब तक उसके प्रशंसकों की संख्या में कमी नहीं हो सकती। प्रशंसक अपने चहेते को काफी हद तक प्यार करते हैं, उनकी एक झलक पाने के लिए वे न जाने क्या-क्या कर सकते हैं। इनके लिए तो लाख पहरे भी किसी काम के नहीं होते। कई बार वे सीमाओं को भी लाँघ देते हैं, तभी मुश्किलें खड़ी होती हैं। ऐसे क्रेजी युवाओं की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है। लोग तो अपने चहेते के लिए पागलपन की सीमाएँ भी लाँघने लगे हैं। ऐसा ही इन दिनों हो रहा है।
अब धोनी को ही देख लीजिए, अपने 'माही' को अपने पास पाने के लिए कलकक्ता के इडन गार्डन में एक युवती सुरक्षा घेरे को तोड़कर धोनी के पास पहुँचकर उससे लिपट गई। यही नहीं वह इतना बोलने में भी कामयाब हो गई कि मैं अपना पूरा जीवन धोनी को समर्पित करने के लिए तैयार हूँ। इसे कहते हैं इंतहा। इसके शिकंजे में केवल धोनी ही नहीं, बल्कि सचिन, शाहरुख खान, माधुरी दीक्षित, श्रीदेवी आदि हैं। सबसे अधिक प्रशंसक फिल्म स्टॉर और क्रिकेटर के होते हैं। इनकी एक झलक पाने के लिए लोग टूट पड़ते हैं। हाल ही में ऐश्वर्या-अभिषेक की शादी के दौरान एक युवती ने यह दावा किया कि अभिषेक ने उसके साथ शादी का वादा किया है। उस युवती ने तो बाकायदा पत्रकार वार्ता में यह घोषणा भी की। बाद में यह स्पष्ट हुआ कि वह मानसिक रोगी थी। एक व्यक्ति रोज सेलिना जेटली को कई नम्बरों से फोन करता। उससे बात करने का आग्रह करता। सेलिना ने परेशान होकर पुलिस में इसकी शिकायत की, तब जाकर उस सरफिरे ने फोन करना बंद किया।
यह तो कुछ भी नहीं, सुपर स्टॉर शाहरुख खान को न जाने कितनी ही युवतियों ने अपने खून से पत्र लिखा है। जब जूही चावला की फिल्में लगातार हिट हो रही थीं, तब चंडीगढ़ में रहने वाला उनका एक प्रशंसक उसे रोज रात को फोन करता और बातचीत का आग्रह करता। अगर जूही बात नहीं करना चाहती, तो वह उन्हें अपशब्द कहता। एक और मजेदार किस्सा। सुपरस्टॉर राजेश खन्ना ने जब डिम्पल कापड़िया से शादी की, तब एक युवती को मानो शॉक लग गया। वह बुरी तरह से आहत हो गई। अपनी व्यथा को छिपाने के लिए उसने एक कुतिया पाली। उसका नाम रखा 'डिम्पल'। वह युवती रोज उस कुतिया को मारती, मारते-मारते वह उसे बेदम कर देती। इस तरह से वह अपनी खीज उस मूक प्राणी पर उतारती। अपनी बेटी की इन हरकतों से परेशान होकर उस युवती के माता-पिता ने उस कुतिया को ऋषिकेश मुखर्जी को सौंप दिया। ऐसे ही एक प्रशंसक तो माधुरी दीक्षित के पीछे पड़ा था, वह तो शादी के बाद भी उसे परेशान करने का कोई मौका नहीं चूकता। हीरो तो ऐसे प्रशंसकों से निबट भी लेते हैं, पर हीरोइनें तो कुछ भी नहीं कर सकतीं। दूसरी ओर ऐसे भी प्रशंसक होते हैं, जिनका रुख सकारात्मक होता है। अमिताभ बच्चन के बीमार पड़ने पर कई लोगों ने उपवास रखे, मंदिरों-मस्जिदों और गिरजा घरों में विशेष प्रार्थनाएँ की गईं। ऐसे लोग अपने तक ही सीमित रहते हैं। वे अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करना चाहते हैं। खामोशी से अपने देवता का स्मरण करते हैं और अपने काम में लग जाते हैं। पर कुछ लोग इसका प्रचार चाहते हैं, इसके पीछे उनकी यही भावना होती है कि उनकी बात किसी तरह उनके चहेते तक पहुँच जाए। ताकि उनसे मिलने का रास्ता साफ हो जाए। पर ऐसे लोग समय के साथ आक्रामक भी हो सकते हैं.
सेलिब्रिटी के नाम पर अब छोटे-बड़े फेन क्लब भी खुलने लगे हैं। इसमें सेलिब्रिटी की तस्वीरें, उनके हस्ताक्षर, परिवार के बारे में और उनके प्यार के तमाम किस्सों के बारे में जानकारियाँ होती हैं। अमिताभ बच्चन का तो कलकक्ता में मंदिर भी बनाया जा चुका है। दक्षिण में तो रजनीकांत को आज भी भगवान की तरह पूजा जाता है। उसके नाम पर दंगे भी हो जाते हैं। उन्हें यदि किसी भी तरह की परेशानी होती है, तो प्रशंसक अपने आप को मार डालने में भी पीछे नहीं हटते। ऐसे लोगों में अपने चहेते के लिए एक जुनून होता है। इन्हें हम 'क्रेजी' कह सकते हैं। इस संबंध में मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि हर एक व्यक्ति में विविध मामलों मे थोड़ा-बहुत 'क्रेज' होता है। यह 'क्रेज' जब अपनी सीमाओं को पार कर जाता है, तब उन्हें कुछ भी नहीं सूझता कि वे क्या कर रहे हैं। इस स्थिति को जुनून कहते हैं। तब अनजाने में सेलिब्रिटी उनके सर पर सवार हो जाते हैं और जब यही सेलिब्रिटी उनके सामने आती है, तब प्रशंसक का गुबार बाहर आ जाता है। जो किसी भी रूप में हो सकता है। फिल्म 'डर' में शाहरुख खान ने इसी तरह के मानसिक रोगी की भूमिका निभाई थी।
एक बार टेनिस खिलाड़ी स्टेफी ग्राफ के एक प्रशंसक ने मोनिका सेलेस को चाकू दिखाकर कहा कि वह स्टेफी को जीतने देगी, नहीं तो अंजाम बुरा होगा। हालीवुड के एक कलाकार माइकल डगलस को एक युवती पत्र लिखती और उसकी पत्नी होने का दावा करती। इससे डगलस की हीरोइन पत्नी केथरीन खूब परेशान रहती। उस युवती ने एक बार पत्र में लिखा कि हम दोनों मिलकर केथरीन के टुकड़े-टुकड़े कर कुक्तों को खिला देंगे। उक्त युवती की 2005 में धरपकड़ की गई और उसे जेल की सजा हुई। इस तरह के पागलपन लोग फिल्मों से ही सीखते हैं। फिल्म 'डर' के बाद तो गली-गली में शाहरुख खान पैदा हो गए थे। कई बार फिल्मों में ही दिखाया गया है कि नायक पूरी रात ठंड में नायिका के घर के सामने पड़ा रहा। इसे आज के युवा बहुत ही तेजी से अमल में लाते हैं। अब तो 'नि:शब्द' और 'चीनी कम' फिल्म के बाद लोग इससे प्रभावित होने लगे हैं। युवतियाँ अपने से काफी बड़ी उम्र के व्यक्ति के साथ और युवा कई महिलाओं के साथ संबंध कायम करने लगे हैं। यह एक बुरी स्थिति है, जिससे बचना मुश्किल है।
इसके अलावा इसका एक और पक्ष है, जिसमें सेलिब्रिटी ही अपने प्रशंसकों का इस्तेमाल करते हैं। उन्हें काम की लालच देकर उन्हें घुमाते रहते हैं। टीवी पर दिखाए जाने वाले सतत सेलिब्रिटी शो युवाओं में सपने बोने का काम करते हैं। कई बार ऐसे लोग भी वहाँ तक पहुँचना चाहते हैं, जिनके पास प्रतिभा भी नहीं होती। कई लोग यदि अपनी प्रतिभा के बल पर पहुँच भी जाते हैं, तो उन्हें कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। कुछ भी अंत में यही कहा जा सकता है कि 'फेन' यदि केवल 'फेन' रहें, तो उनसे ठंडी हवा मिल सकती है, पर यदि वे 'फैन' बनकर अपने चहेते को ही लपेटने लगे, तो समस्या खड़ी हो जाती है। जहाँ सीमाएँ टूटेंगी, वहाँ समस्याएँ तो आनी ही हैं।
रचनाकार संपर्क - डॉ महेश परिमल,
403 भवानी परिसर, इंद्रपुरी भेल भोपाल।
ई संपर्क : drmaheshparimal@India.com maheshparimal@yahoo.co.inTag डॉ. महेश परिमल,आलेख,सेलिब्रिटी के लिए क्रेजी बनते युवा,रचनाकार
यह जीवन की वस्तविकता है कि हम स्वयम जो बनना चाह कर नही बन सकते वही हमारे लिये 'आदर्श' बन जाता है.हां, कुछ लोग इसे प्रकट करते है कुछ नही. कुछ शर्म के कारण खुल कर व्यक्त नही करते ,अन्य कर देते
जवाब देंहटाएंहैँ.जिस क्रेज़ का आपने जिक्र किया है, वह इस कारण है, कि नयी पीढी स्वभाव से ही कुछ अधिक खुलापन लिये है,तथा शर्म'वर्म जैसी बातोँ मेँ उनका यकीन कम है. बिन्दास बोल.,यही उनका नारा है.
- अरविन्द चतुर्वेदी
http://bhaarateeyam.blogspot.com
पहले भी लोग स्टार्स के पीछे भागते थे और आगे भी भागते ही रहेंगे। ये चीजे कभी भी नही बदल सकती ।
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