. लतीफ़ों की बौछारें हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0326 सूक्ष्म दृष्टि! पुलिस इंस्पेक्टर: पन्नूजी! जिस मोटर ने आपको टक्कर मारी उ...
लतीफ़ों की बौछारें
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0326
सूक्ष्म दृष्टि!
पुलिस इंस्पेक्टर: पन्नूजी! जिस मोटर ने आपको टक्कर मारी उसका रंग और नंबर क्या था?
पन्नूजी : रंग और नंबर तो मुझे याद नहीं, अलबत्ता उस गाड़ी को जो मैडम चला रही थीं, उनकी साड़ी का बॉर्डर लाल था।
कानों में मोती के झुमके थे। गले में सोने का लॉकेट और दाएँ हाथ पर जोजो वॉच बँधी थी। और हाँ श्रीमान उसकी ठोडी पर
एक नन्हा सा तिल भी था।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0327
लो बच्चू!
एक शेखीखोर अमेरिकन जब भारत आया तो यहाँ के दर्शनीय स्थल देखने पहुँचा। ताज की भव्यता देखी तो उसने गाइड से पूछा- 'इसे बनाने में कितना समय लगा था?
गाइड ने जवाब दिया- 'बीस बरस!
अमेरिकन बोला- 'बीस बरस सुस्ती के कारण लगे होंगे। हमारे यहाँ तो यह चीज चार साल में तैयार हो जाती।
जब ये लोग लाल किले पर पहुँचे तो वहाँ भी उसने यही प्रश्न पूछा। गाइड के जवाब पर उसने दंभ से कहा- 'हमारे यहाँ तो यह चीज पाँच साल में बनकर खड़ी हो जाती।
गाइड यह सुनकर चिढ रहा था। उबल रहा था। जब अमेरिकी पर्यटक के साथ अगले दिन वह कुतुब मीनार पर पहुँचा तो पर्यटक ने पूछा- 'यह इतना ऊँचा टॉवर क्या चीज है?
गाइड ने शान से सीना तानकर कहा- पता नहीं हुजूर, यह क्या है? परसों शाम जब मैं इधर से निकला था, यहाँ कुछ भी नहीं था। सपाट मैदान था यहाँ पर, आपकी कसम!
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0328
मद्य (रण)नीति!
जब पार्टी खत्म हुई तो कर्नल ने देखा, एक धुत्त सार्जेन्ट अपने कपड़ों में शराब की बोतलें छपाए जा रहा है।
कर्नल ने गुस्से से टोका- 'ए!
यह क्या कर रहे हो?
सार्जेन्ट ने विनीत भाव से कहा- 'आप ही के हुक्म की तामिल कर रहा हूँ सर। कि जिन दुश्मनों को हम मार न सकें, उन्हें कैदी बना लेना चाहिए।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0329
मिसअंडर (वियर) स्टैंडिंग!
एक बार एक चूहा दौडता हुआ नदी के किनारे गया और हाथी को नहाता देख, चिल्लाया- औ हाथी रे! बाहर आ! हाथी
हडबड़ाकर बाहर आया, तो चूहा बोला चल नहा ले, नहा ले! मेरी एक अंडरवियर खो गई है। मैंने सोचा कहीं तूने तो
नहीं पहनी।
रविन्द्र
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0330
सॉरी शनि नो मनी!
ज्योतिषी : बच्चा, शनि तेरा सर्वनाश करने वाला है। यदि तू सौ रूपए
देगा, तो उपाय निकाल दूँगा।
चंदूजी :महाराज, सौ नहीं हैं।
ज्योतिषी : तो मैं सस्ता जाप करा दूँगा,
पच्चीस रूपए ही दे दो।
चंदूजी : नहीं है, महाराज।
ज्योतिषी: अच्छा, चल घर पर चाय-नाश्ता ही करा देना।
चंदू जी : घर नहीं है महाराज। मैं तो फुटपाथ पर रहता हूँ।
ज्योतिषी : ओहो! तब तो जा बच्चा और मौज कर। शनि तेरा कुछ भी
नहीं बिगाड सकता।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0331
एक बेचैनी!
ब्रह्माजी ने ब्रह्माण्ड की रचना की। फिर आराम किया इसके बाद उन्होंने पुरुष को बनाया। फिर आराम किया। इसके बाद उन्होंने नारी की रचना की।
और बस। तबसे न ब्रह्माजी को आराम है, न पुरुष को।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0332
समय ही समय!
चंदूजी- तुम पाँच मिनट में अपने शब्द वापस ले लो। वरना...
पहलवान- और अगर पाँच मिनट में शब्द वापस ना लूँ तो....?
चंदूजी- अच्छा तो कितना समय चाहिए तुम्हें? नि:संकोच माँग लो।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0333
बाल-बाल!
नाई (हजामत बनाते हुए) -
चंदूजी! आप कितने भाई हैं?
चंदूजी- अभी तो चार समझो। मैं तुम्हारे उस्तरे से बच गया तो पाँच।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0334
बुरे से बुरा!
एक थे कंजूस सेठजी।
एक बार दिल्ली गए, तो जेब कटने के डर से डीटीसी की बस में नहीं बैठे। अभी चाँदनी चौक के नजारे देखकर खुश हो
ही रहे थे कि ड्रायवर ने घोषणा कर दी- 'सेठजी! बुरा हो गया, इस गाड़ी के ब्रेक फेल हो गए।
सुनकर सेठजी जोर से चीखे - अरे! फटाफट टैक्सी का मीटर बंद कर दो, सरदारजी! वर्ना इससे भी बुरा हो जाएगा।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0335
ठंड -अखंड!
कब्रस्तान में एक आदमी एक कब्र खोद रहा था। खोदते-खोदते शाम हो
गई और ठंड भी बढ़ गई। उस आदमी ने आवाजें दे-देकर एक राहगीर
को पास बुलाया और कहा-
'ऐ भाई! बहुत ठंड लग रही है। नुक्कड की दुकान से जरा चाय तो
भेजते जाना।
राहगीर ने कुछ और ही तुक्का जड दिया। 'भाई ठंड तो तुम्हें लगेगी ही।
भाई लोगों ने तुम्हें कब्र में तो उतार दिया, मगर तुम पर मिट्टी डालना
बिल्कुल ही भूल गए।
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हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0336
डबलडेकर अक्ल!
गंगाराम मुम्बई की सैर करके जब वापस गाँव पहुँचे तो लोगों ने घेर लिया - 'मुम्बई कैसी है? हमें उसके हाल सुनाओ!
गंगाराम हुक्का गुड़गुडाकर बोले - 'मुम्बई है तो जोरदार नगरी, पर वहाँ की सरकार बड़ी कंजूस है। पता है एक ड्रायवर की तनख्वाह बचाने के लिए बस के ऊपर, बस रखकर चलाती है। हाँ!
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0337
हाय राम!
जु के किनारे कॉलेज की दो लडकियाँ आपस में बातें कर रही थीं।
पहली ने दूसरी से पूछा, ''पता नहीं लड़के अकेले में कैसी-कैसी बातें
किया करते हैं?
दूसरी- 'इसी तरह की जैसी हम करती हैं और कैसी?
पहली-'सच ?
दूसरी-'तो और क्या ?
पहली-'हाय राम। ये लड़के कितने बेशर्म होते हैं।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0338
ना बाबा!
हमारे एक प्रोफेसर मित्र हैं जो बहुत भावुक हैं। वे हिन्दी पढ़ाते हैं और
उनकी एक खास आदत है कि वे किसी नवयुवती के नमस्कार का उत्तर
नहीं देते, चुपचाप आगे बढ़ लेते हैं। एक दिन उनके साथ जा रहा था।
रास्ते में कॉलेज की एक लड़की ने उन्हें नमस्कार किया। आदत के
मुताबिक उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया। लड़की ने आखिर साहस करके
पूछ ही लिया, ''सर आप नमस्ते का जवाब क्यों नहीं देते ? ''प्रोफेसर ने
उत्तर दिया-'' दस साल पहले एक नमस्ते का जवाब दिया था। आज
तक भुगत रहा हूँ। पाँच बच्चे हैं, रोज सुबह उठकर उन्हें नमस्कार करना
पड़ता है।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0339
जवानी जिन्दाबाद!
एक युवक को लन्दन में ऐसी चमत्कारी गोलियाँ मिलीं, जिसके सेवन से
मनुष्य की उम्र कम हो जाती थी। उसने उन गोलियों का सेवन किया और
एक शीशी भरकर अपनी माँ के पास हिन्दुस्तान भिजवा दी, इस आशा से
कि इनके सेवन से वह भी युवती दिखने लगेगी।
कुछ महीनों बाद जब वह लौटकर हिन्दुस्तान आया तो उसने अपनी माँ
को तो पहचान लिया, पर अपनी माँ की गोद में लेटे हुए बालक को न
पहचान सका। कौतूहलवश उसने माँ से पूछा, ''माँ तेरी गोद में कौन-सो
रहा है?
बेटे, ये तेरे बाप हैं-इन्होंने दस गोलियाँ खा ली थीं।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0340
राइट चॉइस आहा!
चीकूजी ने जासूस की नौकरी के लिए अर्जी दी थी। दूसरे उम्मीदवारों के साथ-साथ इन्हें भी कंपनी ने इंटरव्यू के लिए बुलाया था। वहाँ पहुँचने पर सभी उम्मीदवारों को एक-एक सीलबंद लिफाफा देकर कहा गया कि इसे चौथी मंजिल पर ले जाएँ।
सब तो चले गए। पर चीकूजी उस लिफाफे को लेकर बाथरूम में घुस गए। बहुत सावधानी से जब उन्होंने लिफाफा खोल लिया तो अंदर से एक कागज निकल आया। जिस पर लिखा था हमें आप जैसे की ही तलाश थी। पाँचवीं मंजिल पर आकर नियुक्ति पत्र ले लीजिए।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0341
खबरदार!
सिनेमा हॉल में दो औरतें इतनी जोर से बातें कर रही थीं कि पास बैठा दर्शक खीझकर बोल ही पड़ा- 'देखिए ! आपकी बातचीत में
मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा।
उनमें से एक ने तपाक से कहा- 'हम तुम्हें सुना भी नहीं रहे, मिस्टर ! हमारी बातचीत एकदम प्रायवेट है।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0342
डीसेंट, मिस्टर अब्सेंट !
मिस छुईमुई के तार कोई लफंगा 'जरा जमकर छेड गया था। उन्होंने झनझनाते हुए थाने में जाकर शिकायत की। कर्र्तव्यपरायण
पुलिस ने दस-बारह गुंडों को संदेह में गिरफ्तार कर मिस छुईमुई को बुला भेजा।
लाइन से गुंडे खड़े थे और मिस छुईमुई को उस रोज वाला शख्स पहचानना था। वे एक-एक के पास से गुजरती गईं- 'ऊँहँ ! यह
नहीं था। ना, यह भी नहीं था। नहीं, यह चूहा तो हो ही नहीं सकता।
आखिर सातवें नम्बर पर खड़े एक गठीले-गबरू नौजवान के पास मिस छुईमुई रुक गईं और ऑंखों में खुमार और देह में मस्ती भरकर
इंस्पेक्टर से बोलीं 'यह था तो नहीं ! मगर यह ..... हो सकता था....!
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0343
वाह रे भगवान!
सैनिक विद्यार्थी लंच के लिए लाइन में लगे थे। चलते-चलते उन्होंने देखा एक टोकरी में ढेर सारे लाल सेब रखे हैं।
मगर वहाँ तख्ती लगी है 'केवल एक-एक सेब उठाएँ, इससे ज्यादा नहीं। क्योंकि भगवान सबको देख रहा है। एक-
एक सेब फल लेकर जब सब आगे चले तो एक बड़ी सी तश्तरी में खूब सारे बिस्किट रखे देखे। वहां भी तख्ती रखी
थी। लिखा था- 'जितने चाहिए, बिस्किट ले लो। डरो मत भगवान तो उधर सेबों की निगरानी कर रहा है।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0344
दास्तान-ए-चेक
बैंक की टेलर विण्डो पर बदहवास से चंदूजी पहुँचे। बोले- 'सर! यह चेक मेरी पत्नी के नाम जारी हुआ है, मगर वह
बेचारी हॉस्पिटल में है। यहाँ आ नहीं सकती। क्या ऐसी कोई सूरत नहीं, कि चेक मैं भुनवा सकूँ ?
जब समझाया गया कि ऐसी कोई भी सूरत असंभव है, तो वह चला गया। मगर अगले दिन तो उसने कमाल ही कर
दिया। पत्नी की पहचान के रूप में वह ऐसी-ऐसी हैरतअंगेज चीजें लाया कि चकराए हुए बैंक अधिकारियों को
उसकी पत्नी का चेक, कैश करना ही पड़ा। पता है वह क्या-क्या लाया था? एक फोटोग्राफ जिसमें उसकी पत्नी
हॉस्पिटल के बेड पर लेटी हुई है। पास में लेडी डॉक्टर खड़ी है। फिर था एक बर्थ सर्टिफिकेट जिसमें नीचे नवजात
शिशु के पैरों की छाप भी अंकित थी। उसके नीचे लेडी डॉक्टर का लिखा नोट था-'यह मैडम स्मिथ हैं। मैं इनकी
डॉक्टर जोना हूँ। हाल ही में इन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया है। कृपया इनका चेक कैश कर दें।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0345
चाची की चिल्लर
बस में भीडभाड थी।
धक्का-मुक्की से तंग आकर एक युवती ने अपनी खीझ पाँच बच्चों वाली एक बुजुर्ग महिला पर निकाली-
'ओ चाची! अपनी चिल्लर को ठीक से क्यों नहीं सँभालतीं ?
बड़ी महिला ने शांति से कहा-
'सँभाल लूँगी भतीजी! पर....हाँ, लगता है, अभी तुमने अपना रुपया नहीं तुड़वाया! क्यों ?
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0346
खस्ता हालत
क्या इस बार आप मेरे साथ डांस करेंगी? एक नवयुवक ने पूछा।
'मुझे खेद है मैं एक बच्चे के साथ डांस नहीं कर सकती। घमंडी युवती ने उत्तर दिया।
'ओह ! माफ करें, मुझे आपकी हालत का पता न था।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0347
जियो बहादुर !
अंधेरे में एक आदमी सहमा सा खड़ा था। तभी आ गया एक कडक हवलदार। पूछने लगा-
'क्यों ? क्या नाम है तेरा ?
'जी शेरसिंह!
'बाप का नाम ?
'दिलेरसिंह!
'दादा का नाम?
'शमशेरसिंह!
'यहाँ क्यों खड़े हो?
'देखते नहीं, सामने कुत्ते का पिल्ला घूम रहा है। अगर उसने मुझे देख लिया तो ?
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0348
हमारा सिध्दांत
दफ्तर में दो दोस्त बतिया रहे थे।
पहला- अच्छा हुआ कि 'पाँच दिन काम, दो दिन आराम का सिध्दांत, पश्चिम से हमने ले लिया, वरना दफ्तर में काम कर करके कमर टूट जाती।
दूसरा- चाहे इसे पश्चिम का सिध्दांत कह लो, लेकिन भाई, इस सिध्दांत पर चलकर सुखी जीवन जीने का उदाहरण हमारे महाभारतकाल में पहले से मौजूद है।
पहला- क्या कहते हो ?
दूसरा- ठीक कह रहा हूँ। द्रोपदी का गृहस्थ जीवन याद करो।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0349
खूब बचे!
चंदूजी बात-बात में बस यह बात बोलते थे- 'इससे भी बुरा हो सकता था।
एक बार उनका एक दोस्त घबराया हुआ आया और बोला- चंदू! आज तो गजब हो गया। मैंने अपनी बीवी को पड़ोसी के साथ रोमांस करते देख लिया, तो दोनों का खून
कर दिया...!
चंदूजी ने अपना परिचित वाक्य दोहराया- 'दोस्त इससे भी बुरा हो सकता था।
दोस्त जल-भुनकर बोला- 'हद है यार- मेरे हाथों दो का खून हुआ, पुलिस मेरे पीछे लगी है। मैं भागता फिर रहा हूँ....! तुम्हीं कहो, इससे भी बुरा और क्या हो सकता था?
चंदूजी ने कहा- 'अगर तुम एक घंटा पहले घर पहुँचते तो बजाय पड़ोसी के मैं मारा जाता।
हँसगुल्ला क्रमांक ..................... # 0350
टरम्पम्पम्!
सेल्समैन- 'सुना है, आप मक्खियों से परेशान हैं। हमारी दवा ' टरमपम्पम् आजमाइए।
तुरंत राहत पाएँगे।
पन्नूजी- 'क्या यह दवा गजब की मक्खीमारक है?
सेल्समैन- 'मक्खीमारक नहीं, गजब की उत्तेजना कारक है।
पन्नूजी- 'मतलब?
सेल्समैन- 'दवा मक्खियों को इतना सेक्सी बना देती है कि आप आसानी से दो मक्खियाँ एक साथ मार सकते हैं।
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