ठहाकों की गूंज आपने सुनी या नहीं ? ठीक है, तमाम व्यस्तताओं के कारण ठहाकों की गूंज आप खुद नहीं गुंजा सके, परंतु आप अपने साथी चिट्ठाकारों...
ठहाकों की गूंज आपने सुनी या नहीं?
ठीक है, तमाम व्यस्तताओं के कारण ठहाकों की गूंज आप खुद नहीं गुंजा सके, परंतु आप अपने साथी चिट्ठाकारों द्वारा लगाए गए ठहाकों की जोरदार गूंजों को सुन-पढ़ तो सकते ही हैं. यदि आपने अभी तक हमारे साथ मिल कर ठहाके नहीं लगाए हैं, तो 21 वीं अनुगूंज के अवलोकन के रूप में हम आपके सामने एक मौका और रखते हैं. इस अवलोकन को और इस अवलोकन में दी गई कड़ियों की सामग्रियों को पढ़ें, पेट पकड़ कर हँसें और तब तक हँसते रहें जब तक कि आप दर्द से दोहरे न हो जाएँ!
21 वें आयोजन के रूप में चुटकुलों के संग्रह के बारे में जब यह सोचा गया था तब उम्मीद थी कि हर चिट्ठाकार हँसता-हँसाता होगा. परंतु दो-दो दफ़ा डराने व धमकाने के बावजूद लोग कम ही हँसे. इस दौर में शायद लोग हँसना भूल गए हैं.
किसी शायर ने ठीक ही कहा है –
इस सदी में तेरे होठों पे तबस्सुम की लकीर,
हँसने वाले तेरा पत्थर का कलेजा होगा।
इसी तर्ज पर चिट्ठाकारों ने सोचा होगा –
इस जमाने में चुटकुलों की बातें,
रचनाकार – तू जरूर पागल हो गया होगा.
लिहाजा लोग हँसे ही नहीं, और, जो लोग हँसे भी तो या तो मजबूरी में, डरकर हँसे और वो भी जितना हँस सकते थे उतना तो नहीं ही हँसे.
परंतु रचनाकार को अपने लक्ष्य की प्राप्ति तो करनी ही थी – वरना वह किसे और कैसे मुँह दिखाता? लिहाजा उसने तमाम इंटरनेट खंगाल डाला. चूंकि चुटकुलों पर किसी की बपौती नहीं होती, अतः तमाम संभव जगहों से चुटकुले खोद कर निकाल डाले. उनमें से कुछ छांट कर यूनिकोडित कर जैसे तैसे हजार का आंकड़ा पूरा कर लिया. इस अनुसंधान के दौरान यह पाया गया कि इंटरनेट पर हिन्दी चुटकुलों की कमी कतई नहीं है. हजारों चुटकुले कई-कई साइटों के डाटाबेस और सीएमएस तंत्र में भरे पड़े हैं. बस, वे यूनिकोडित नहीं हैं लिहाजा उनका सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा. उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में पद्मा जैसे कुछ ऐसे अनुप्रयोग बना लिए जाएंगे जो हिन्दी की इस तरह की भंडारित सामग्री को तरलता से यूनिकोड हिन्दी में ही इस्तेमाल लायक बना देंगे.
बहरहाल, ईपत्र के जरिए सबसे पहले मुस्कान बिखरी प्रेमलता जी की फिर शैलेश भारतवासी ने अपने चुटकुले सुनाए. तत्पश्चात् रोजनामचा दर्ज करने वाले अतुल के चुटकुले दो किश्तों में रचनाकार में दर्ज करने को मिले. साथ ही साथ चिट्ठाकारों द्वारा अपने अपने चिट्ठों पर अनुगूंज आयोजन के तहत चुटकुले सुनने-सुनाने का दौर बदस्तूर जारी रहा. तरकश के कुछ जोगलिखे तीरों ने बढ़िया गुदगुदियाँ मचाईँ. कुछ इधर उधर की से चुटकुलों जैसे विचारों के बेलगाम प्रवाह बहे तो बरबस हँसी छूट गई. रीडर्स कैफ़े पर निठल्ला चिंतन करते चुटकुलों की तो बात ही क्या थी.
चुटकुलों के कुछ मंतव्य ने भी बहुत आनंद प्रदान किया, और होठों पर हँसी वापस आई. मिर्ची सेठ यानी की पंकज भाई अंबाले वाले मिर्ची बेचना छोड़ चुटकुला बेचते दिखाई दिए. मेरा पन्ना की दुकान के कुछ भयंकर मीठे चुटकुले पढ़ने के बाद तो हँसी रोकने का चूरन लेना पड़ा. फुरसतिया कुछ प्राचीन, वजनदार चुटकुले ढूंढ लाए. खाली पीली चुटकुलों की गूंज भी धमाकेदार रही. चुटकुलों के दो - दो दस्तक बड़े हास्यास्प्रद रहे. प्रतिभास ने एक नहीं, दो नहीं, बल्कि तीन - तीन दफ़ा हँसाने की कोशिशें कीं. चुटकुलों की कुलबुलाहट तो भई, खूब रही. छाया के दो दो ठहाके बड़े मस्त मस्त रहे. इन्द्रधनुष के चुटकुले, जाहिर है रंगीन ही रहे. इस बीच छींटें और बौछारें तथा रचनाकार पर क्रमशः चुटकुलों की बौछारों और रचनाओं का दौर जारी था. कुल मिलाकर हजार से ऊपर चुटकुले अंततः सुन-सुना ही लिए गए.
भूलवश जिन चिट्ठों व चिट्ठाकारों के चुटकुलों की गूंजें यहाँ दी गई सूची में नहीं सुने जा सके हैं तो उसके लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं, तथा उनसे आग्रह करते हैं कि वे अपनी अनुगूंज फिर से एक बार, और हो सके तो अधिक चुटकुलों के साथ सुनाएँ. वैसे तो 21 वीं अनुगूंज का आयोजन घोषणानुसार इस अवलोकन के साथ सम्पन्न होता है – सफल या असफल – ये तो आप ही तय करेंगे, मगर चुटकुले लिखने और लिखकर बांटने का क्रम अनवरत जारी रहेगा. आप सभी से आग्रह है कि इसकी निरंतरता बनाए रखें. चिट्ठाकारों को अपने चिट्ठों पर चुटकुले छापना अगर हँसने योग्य घटिया कार्य प्रतीत होता हो तो उनसे विशेष आग्रह है कि चुटकुले रचनाकार को rachanakar at gmail dot com पर भेजें. रचनाकार उन्हें छाप कर प्रसन्न होगा तथा लोग भी इस बहाने हँसने की कोशिश करेंगे.
परिचर्चा पर भी चुटकुलों का खासा संग्रह है. क्या कोई चिट्ठाकार बंदा, जिसके पास हँसने हँसाने को थोड़ा सा समय हो, चुटकुलों का गूगल समूह यथाशीघ्र खोल सकता है व उसे मेंटेन रख सकता है? संभवतः यह एक बड़ी आवश्यकता भी है, और अनुगूंज के विपरीत, चुटकुला समूह के सफल होने के पूरे अवसर हैं.
चुटकुलों को शीघ्र ही पीडीएफ़-ईबुक में तैयार किया जाएगा तथा उसकी डाउनलोड की कड़ी उपलब्ध करवाई जाएगी. चुटकुलों को रचनाकार में क्रम से प्रकाशित किया जाएगा ताकि पृष्ठ अनावश्यक बड़ा न हो व लोड होने में अनावश्यक, अतिरिक्त समय न ले. अगर अक्षरग्राम में जगह हो और उपयुक्त फ़ॉर्मेट हो तो वहाँ भी चुटकुलों का संग्रह सुभाषित सहस्र की तरह रखा जा सकता है.
अंत में, सभी हँसोड़ चिट्ठाकारों का आभार, जिन्होंने चुटकुले लिखकर और लिखा हुआ पढ़कर 21 वीं अनुगूंज को कृतार्थ किया.
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