दामोदर खड़से की कहानी: छड़ी

SHARE:

**-** वह फिर दिखाई दिया. उसके कान्धे पर छड़ियों का एक बड़ा गट्ठा था. वह झुका-सा लग रहा था, घर जाने का उसका समय अभी हुआ नहीं है. हालांकि अब आ...



**-**
वह फिर दिखाई दिया. उसके कान्धे पर छड़ियों का एक बड़ा गट्ठा था. वह झुका-सा लग रहा था, घर जाने का उसका समय अभी हुआ नहीं है. हालांकि अब आठ बजने वाले थे- रात के. कुछ बूंदाबांदी होने वाली थी. सैलानी कुछ खरीदारी तो कर रहे थे, पर संख्या बहुत कम थी. क्यों न कम हो, अब मौसम जो खत्म हो चला था. जो धुँआधार बारिश देखना चाहते थे, वे लोग ही महाबलेश्वर आए हुए थे. अनय ने जब उसे तीसरी या चौथी बार देखा तो ठिठक गया. वह भी अनय को अजीब निगाहों से ताक रहा था. अनय को बेटी ने गुड़ियों की दुकान में खींच लिया.


अनय का मन दुकान में नहीं लग रहा था. वह बार-बार मुड़कर बाहर झांकना चाहता और बेटी सिमरन मुड़कर कोई गुड़िया उठाकर पापा की ओर देखती.


“पापा, मुझे ये गुड़िया चाहिए...”
“बेटे, मम्मी से कहकर ले ले...”
“पापा कैसी है गुड़िया?”
“अच्छी है बेटे, तुझे पसन्द है.... ले ले...”


मम्मी जूट की एक बैग पसन्द करने में लगी थी. वह सिमरन की गुड़िया पर ध्यान नहीं दे पायी. सिमरन का भाई बारह साल का है. बहन की पसन्द पर उसकी मुहर लग गयी और सिमरन अपनी गुड़िया के साथ फुदकने लगी.


अनय दुकान में बेमन से खड़ा था. इधर-उधर किसी को तलाशता. परन्तु वह दुकान के भीतर क्यों मिलता? उसे याद आया कि ‘सनसेट प्वाइंट’ पर वह अधेड़ आदमी बुढ़ापे की ओर झुक गया था. वह अपनी छड़ियाँ बेचना चाहता था. शायद आज एक भी छड़ी नहीं बिकी.


“बाबूजी, ले लीजिए, बहुत बढ़िया है और एकदम किफ़ायती...”


“मुझे नहीं चाहिए...” अनय आगे बढ़ गया. परन्तु वह पीछा करता रहा, “साहब, केवल एक सौ बीस में.... इतनी सस्ती और मजबूत छड़ी आपको कहीं नहीं मिलेगी.”


अनय आगे बढ़ने लगा तो वह पीछे-पीछे चलने लगा, “साहब, दस रुपये कम दे देना...”


कुछ दूर तो वह पीछे-पीछे चला, पर जब उसे लगा कि ये साहब छड़ी नहीं खरीदेंगे तो पता नहीं कब वह नए ग्राहक की तलाश में पीछे मुड़ गया.


अनय ने पीछे मुड़कर देखा, पर वह भीड़ में कहीं खो गया था.


‘सनसेट प्वाइंट’ पर भीड़ बढ़ रही थी. युवा सैलानी आगे बढ़न की होड़ में. जुलाई में ‘सनसेट प्वाइंट’ पर इतनी भीड़ नहीं होती पर पिछले चार दिनों से बारिश नहीं हुई थी, इसलिए भीड़ यहाँ आ गई थी.


वह भीड़ के बीच अपने ग्राहक तलाश रहा था. फिर उसने दिशा बदली और बस स्टॉप की ओर बढ़ा. कुछ उम्रदराज लोग अपनी गाड़ियों में ही बैठे थे... अनय बच्चों के लिए पानी की बोतल लेने गया था. बोतल लेकर जैसे ही पीछे मुड़ा, फिर वही आदमी छड़ी लेकर आगे आया, “साहब सौ रुपये दे देना. बिलकुल खरीद भाव में...”


अनय ने एकबारगी उसे देखा और आगे बढ़ गया. सिमरन और सारंग प्यासे होंगे...सिमरन पानी पीने लगी. सूर्यास्त का समय था. सूर्यास्त का समय था. सारंग अपनी मां के साथ खड़ा था. अनय के सामने पन्द्रह साल पुराना समय पलक झपकते ही उभर आया.


इसी प्वाइंट पर वह नयी नवेली पत्नी श्वेता के साथ खड़ा था. सूर्यास्त के समय इस प्वाइंट तक पहुँचने की फिराक में वह टैक्सीवाले पर कितना बरसा था और टैक्सीवाले ने भी पूरी शिद्दत से ड्राइव कर सही समय पर यहाँ पहुँचाया था. कितना खुश था वह. सूर्यास्त देखने के सही समय पर श्वेता को ला सका वह. अपने कैमरे से वह सूर्यास्त को ‘क्लिक’ करता रहा. श्वेता के फोटो भी अलग-अलग ऐंगल से खींचता रहा. फिर श्वेता का हाथ थामकर तब तक एकाग्र खड़ा रहा जब तक सूर्य पूरी तरह डूब नहीं गया. बीच-बीच में श्वेता को निहार लेता. श्वेता से नजर मिलते ही उसकी आँखों में एक दुनिया उभर आती. दूर पहाड़ियों के चारों ओर लाली ही लाली थी. वह पता नहीं कब तक श्वेता के साथ खड़ा था. उसे लग रहा था सूरज की सारी ऊष्मा श्वेता की हथेलियों में उतर आई है और वह अपने आपको बहुत सुरक्षित और सुख से लबरेज महसूस कर रहा था.


एक छड़ीवाला उसके सामने से गुजरा. वह छड़ियों की ओर देखता रहा... “चालीस रुपये...चालीस रुपये...” चिल्लाता हुआ छड़ीवाला गुजर गया. छड़ीवाले ने अनय और श्वेता की ओर ऐसे देखा जैसे वे इसके ग्राहक हो ही नहीं सकते... वह चिल्लाता रहा... “चालीस रुपए...चालीस रुपए...”


अनय आँखों ही आँखों में एक छड़ी तय कर चुका था. बाबूजी का खयाल उसका पीछा कर रहा था. वह छड़ीवाले को पुकारने को हुआ. फिर एक व्यवहारिक खयाल ने उसे रोक दिया, ‘आखिरी दिन ले लेंगे, अभी से कौन संभालेगा.’ श्वेता ने गुमसुम पति को भरपूर निहारा और अपनी खास अदा में एक मुसकान बिखेरी. अनय का हाथ हथेली से छिटककर सिर पर एक हल्की-सी चपत के रुप में टपका और कान्धे पर आकर निढाल हो गया. फिर पता नहीं कब तक वे दोनों झूमते हुए सड़क पर चहलकदमी करते रहे. अचानक टैक्सीवाले को सामने पाकर वे सचेत हो गए. एक-दूसरे को देखकर हंस दिए और टैक्सी में बैठ गए. सीधे होटल न आकर वे बाजार में कहीं कॉफ़ी पीने उतर गए और यूँ ही टहलने लगे. ठीक-ठाक होटल देखकर वे बैठ गए. काफी देर तक कॉफ़ी की चुस्कियाँ लेते हुए बातें करते रहे. अनय की निगाह में अचानक कुछ चमका, ‘बाबूजी ने सपनों-सी यह जिन्दगी देने के लिए क्या नहीं किया...’ वह खयालों में खो गया. पर उसका खोना श्वेता की निगाहों से बच नहीं पाया.


“कहाँ खो गए?” श्वेता की शोखी अनय को बटोर लाई और वह एक घूँट में बची हुई कॉफी गले के नीचे उतार कर उठ खड़ा हुआ.

“चलो होटल चलते हैं.”


“ठहरो ना, ऐसी भी क्या जल्दी है?”


“चलो भई” ... श्वेता को अनय ने कुछ ऐसे अन्दाज से देखा कि श्वेता के मुँह से अनायास ही निकल गया “हट, शरारती कहीं के...”


“अच्छा ठीक है भई इसी सड़क पर टहलते हैं. सुना है, यहाँ का भुना चना बहुत मशहूर है.” फिर चने का एक पैकेट लेकर वे दूर तक यूँ ही भटकते रहे. बाद में, श्वेता ने ही कहा, “चलो अब होटल चलते हैं?” फिर श्वेता अनय की बाँह पकड़कर चलने लगी.


सारंग पता नहीं कब से अपने पापा को निहार रहा था. अनय खिलौनों के बीच नारियल की जटाओं से बने साधु को निहार रहा था. बाबूजी याद आए थे. आँखें भर आयी थीं. उसकी डबडबाई आँखों में बाबूजी मानों मुस्करा रहे थे, ‘बेटे तेरे परिवार को देखकर, तेरी सफलता देखकर मैं बहुत खुश हूं...’ फिर जैसे उन्होंने अनय की बुदबुदाहट सुनी, ‘बाबूजी बहुत कुछ छूट गया... बहुत कुछ करना छूट गया’ ... ‘कुछ नहीं छूटा बेटे...’ जैसे अनय को छूकर कह रहे हों, ‘सुखी रहो...’ ‘पर बाबूजी मैं आपके लिए छड़ी नहीं ला पाया था... तब. आपने याद से कहा था’ ... ‘कोई बात नहीं बेटे ... देखो मैं हूँ न तुम्हारे साथ... सारंग तुम्हें कैसे निहार रहा है?’


अनय ने आँखें पोंछी. साधु जटाओं के बीच से अनय को जैसे निहार रहा हो. सिमरन पापा का हाथ पकड़कर दुकान से बाहर चलने को कह रही थी. दुकान की भीड़ छंट चुकी थी. सारंग पापा की इस खोई-सी मूरत को निहार रहा था. श्वेता को मालूम था अनय को जरूर बाबूजी याद आ रहे होंगे.


अनय को बड़ा अजीब लगा अपना खो जाना. उसने दोनों बच्चों को भींच लिय़ा और श्वेता से बोला, ‘चलो...’


श्वेता से वह आँख नहीं मिला पाया था... श्वेता समझ रही थी अनय को, “कम आन, अनय...”


दुकान से बाहर निकलकर उस छड़ीवाले आदमी को अनय की निगाहें बेसब्री से खोज रही थीं.


बाहर हल्की-सी बारिश हो रही थी. वह छड़ीवाला उसी दुकान के बाहर बारिश रुकने का इन्तजार कर रहा था. उसने बड़ी आशाभरी निगाह अनय पर डाली, जैसे कह रहा हो, ‘आज एक भी छड़ी नहीं बिकी... घर क्या मुँह लेकर जाऊँ?’ अनय पलभर उसके सामने खड़ा रहा और एक छड़ी की ओर इशारा कर बोला, “ये वाली निकालो...”


“साहब, सिर्फ अस्सी रुपये में ही दे दूंगा. आज एक तो छड़ी बेचूं.”


अनय ने छड़ी ले ली और उसे एक सौ बीस रुपये देकर अकेला ही आगे बढ़ गया... छड़ी वाला देखता रह गया... अनय रह-रहकर छड़ी पर हाथ फेर रहा था. मानों बाबूजी से बातें कर रहा हो.


पीछे-पीछे तीनों आ रहे थे. छड़ीवाला हैरत से उन चारों को निहार रहा था. फिर उसने पैसे गिने और माथे से लगाने के बाद जेब में रख लिए... अनय का चेहरा वह कभी नहीं भूल पाएगा.


उसने झटके से छड़ियों का गट्ठर पीठ पर उठा लिया. उसकी कमर कुछ सीधी हो गयी थी. उसे लगा कुछ दिन और वह बिना छड़ी के चल सकता है. छड़ीवाले के पैर तेजी से अपने घर की ओर बढ़ रहे थे.


**--**

COMMENTS

BLOGGER: 2
  1. बेनामी3:43 am

    कहानी दिल को छू गयी।
    e-shadow
    http://chhaya-e-shadow.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत कुछ न कह कर भी कह जाने वाली कहानी है। सुन्दर लेखन।

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: दामोदर खड़से की कहानी: छड़ी
दामोदर खड़से की कहानी: छड़ी
http://photos1.blogger.com/blogger/4284/450/320/chari.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2006/04/blog-post_27.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2006/04/blog-post_27.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content