*** भारत में एक दफा अमरीकी प्रतिनिधि मंडल भ्रमण के लिए आया. वे राजधानी दिल्ली में सरकारी कामकाजों का जायजा ले रहे थे. उन्हें एक स्थानीय शासक...
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भारत में एक दफा अमरीकी प्रतिनिधि मंडल भ्रमण के लिए आया. वे राजधानी दिल्ली में सरकारी कामकाजों का जायजा ले रहे थे. उन्हें एक स्थानीय शासकीय कार्यालय में ले जाया गया. वहाँ ढेर सारे अधेड़ और रिटायर होने की उम्र के बाबू पुराने 286 – 386 श्वेत-श्याम मॉनीटर युक्त कम्प्यूटरों पर कार्य कर रहे थे.
ये लोग कौन हैं – प्रतिनिधि मंडल के मुखिया ने पूछा.
ये इस देश के आम आदमी हैं , प्रजातंत्र के असली राजा – भारतीय गाइड ने बताया.
बाद में प्रतिनिधि मंडल को संसद भवन ले जाया गया. वहाँ उन्होंने राजनेताओं तथा उनके व्यक्तिगत सहयोगियों को नए नवेले लैपटॉप, पॉमटॉप, पीडीए और पावर एपल मॅक इत्यादि के साथ पाया.
और ये कौन हैं – प्रतिनिधि मंडल में से किसी ने पूछा.
ये तो जनता के सेवक हैं – जवाब मिला.
**-**
यमराज ने एक दिन अपने दूत को बुलाया और आदेश दिया – धरती पर जाओ और हीरालाल की आत्मा को ले आओ. उसके दिन पूरे हो गए हैं.
यमदूत धरती पर गया और हीरालाल की खोजबीन की. उसे हीरालाल तो मिल गया परंतु हीरालाल के शरीर में उसकी आत्मा ढूंढे से भी नहीं मिली.
यमदूत ने वस्तुस्थिति से यमराज को अवगत कराया.
यमराज नाराज होते हुए बोले – ऐसा कैसे हो सकता है? कोई भी जीवित प्राणी बिना आत्मा के तो धरती पर रह ही नहीं सकता. जाओ और ठीक से देखो. आजकल काम-धाम में मन नहीं लगता क्या तुम्हारा?
यमदूत वापस धरती पर परंतु उसे हीरालाल की आत्मा अब भी नहीं मिली. वह बिना हीरालाल की आत्मा लिए यमराज के पास जाने का साहस नहीं कर पाया. अचानक उसे नारद मुनि याद आए, जिन्हें संसार की समस्त बातों-घटनाओं का ज्ञान रहता है. यमदूत नारद मुनि की शरण में पँहुचा.
यह आदमी खाने कमाने के लिए करता क्या है? नारद मुनि ने यमदूत से पूछा.
वह किसी किस्म का कम्प्यूटर नर्ड है - यमदूत ने बताया.
तो यह बात है. इसीलिए तुम्हें उसकी आत्मा उसके शरीर में नहीं मिली. जाओ और उसके पीसी में ढूंढो. एक नर्ड की आत्मा वहीं होती है.
**-**
कम्प्यूटर प्रोफ़ेसनल्स की सम्पन्नता से जलते-भुनते-कुढ़ते एक आईएएस ऑफ़ीसर ने फर्स्ट क्लास एसी कम्पार्टमेंट में चल रहे अपने साथी यात्री से कहा – यार बुरा मत मानना, परंतु लोग तो ये कहते हैं कि तुम कम्प्यूटर प्रोग्रामर रात दिन अपने कम्प्यूटर की-बोर्ड में प्रोग्राम लिखने और उसके बग फिक्स करने में लगे रहते हो और तुम्हारी बीवियाँ बच्चे पैदा करती रहती हैं. क्या यह सही है? तुम अपनी बीवियों द्वारा लाए हुए रेडीमेड बच्चों को कैसे अपना लेते हो?
नर्ड ने अत्यंत शांति पूर्वक जवाब दिया – वैसे तो ऐसा होता कम ही है, परंतु जब भी ऐसी कोई घटना होती है तो हम कम्प्यूटर प्रोफ़ेसनल अपने बच्चों को आईएएस ऑफ़ीसर बना देते हैं.
****
एक परिवार में चतुर्ज (क्वाड्रप्लेट) लड़कियाँ थीं जो शादी की उम्र में पहुंच गई थीं. एक संभावित वर उन्हें देखने पहुँचा. चारों लड़कियाँ प्रायः सभी मामलों में एक जैसी थीं – दिखने में, पहनावे में, चाल-ढाल और व्यवहार में. इस कारण से उस वर को उन चारों में से किसी एक का चुनाव अपनी पत्नी के रूप में करने में अच्छी खासी कठिनाई आई. अंततः उसने उसमें से एक को पसंद कर ही लिया.
उसके दोस्तों ने पूछा – क्यों तुमने उसे ही क्यों पसंद किया? क्या दूसरी बहनों में कोई खराबी थी.
ऐसी बात नहीं है, उसने जवाब दिया – उसकी एक बहन जो टेलिफोन ऑपरेटर है, हमेशा वेट प्लीज कहती थी, दूसरी वाली जो बैंक क्लर्क है, कतार में आइए कहती रहती थी और तीसरी - जो नर्स है, वह आराम से शांति से कहती रहती थी. मैंने अंततः कम्प्यूटर ऑपरेटर को पसंद किया जो हमेशा कहती रहती है – क्या आप सचमुच बंद करना चाहते हैं?
*****
किसी जमाने में बहुत बड़ा कम्प्यूटर महाराजा – विल सेठ रहता था. एक दिन उसने अपने सिंहासन पर बैठे ही बैठे अपने दरबारी से कहा – इस लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का कर्नेल भी गजब का है. इसकी स्टैबिलिटी और मेमोरी हैंडलिंग कैपेसिटी तो सचमुच लाजवाब है!
हुजूर-ए-आला, दरबारी ने कहा – आप बजा फ़रमाते हैं. लिनक्स सचमुच दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ऑपरेटिंग सिस्टम है.
होगा, परंतु इस ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए अनुप्रयोगों का अकाल तो है ही और यह सभी हार्डवेयर को समर्थित भी तो नहीं करता. यह तो बिलकुल बेकार, इस्तेमाल के लायक ही नहीं है – महाराजा ने कहा.
बिलकुल बजा फ़रमाया हुजूर-ए-आला, दरबारी ने कहा.
ऐ तुम कैसे आदमी हो – महाराजा ने दरबारी की ओर अप्रसन्नता से देखते हुए कहा – जब मैंने लिनक्स की थोड़ी तारीफ की तो तुमने तारीफ़ों के पुल बाँध दिए और जब मैंने थोड़ी सी आलोचना की तो तुम उसे सबसे घटिया बताने लगे.
हुजूर-ए-आला, दरबारी ने कहा – खता माफ हो, हम आपका नमक खाते हैं, लिनक्स का नहीं.
**-**
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नर्ड से नाई ने आश्चर्य से पूछा – बाल भी कटवाने हैं और शेव भी करनी है? क्या बात है? प्रोग्रामिंग करना छोड़ दिया क्या?
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एक कम्प्यूटर सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट कम्पनी में एक ऑफिस बॉय काम करता था. वह सभी कर्मचारियों को चाय, कॉफ़ी इत्यादि पिलाया करता था. वह समर्पित इंसान था, परंतु वह अनपढ़ था, जिससे कभी कभी उसे मुश्किलों का सामना भी करना पड़ जाता था. अपने कठिन परिश्रम से वह लोगों का दिल जीत कर काम कर रहा था. एक दिन कंपनी में एक सर्कुलर जारी हुआ जिसमें प्रॉडक्टिविटी बढ़ाने के नाम पर उन सभी कर्मचारियों की छंटनी कर दी गई जो पढ़े लिखे नहीं थे. लिहाज़ा उस ऑफ़िस बॉय की नौकरी भी जाती रही. उसने जीवन यापन के लिए पुराने कम्प्यूटरों को खरीदने-बेचने का धंधा शुरू कर दिया.
उसका यह धंधा चल निकला और वह देखते ही देखते देश का सबसे बड़ा सेकण्ड हैण्ड हार्डवेयर दुकानों की शृंखला का मालिक बन गया. उसने अपने धंधे को डाइवर्सिफ़ाई करने के इरादे से ताबड़तोड़ सॉफ़्टवेयर कंपनियाँ खरीदने लगा. उसने वह सॉफ़्टवेयर कंपनी भी खरीद ली जिसमें से उसे ऑफ़िस बॉय के रूप में निकाल दिया गया था.
उस कंपनी के काग़ज़ात उसके पास दस्तखत के लिए लाए गए. उसके होठों पर विद्रूपता की क्षीण सी मुस्कान उभरी. वह बोला – अगर मुझे दस्तखत करना आता होता तो इस कंपनी में मैं अभी भी ऑफ़िस बॉय ही बना रहता...
भारत में एक दफा अमरीकी प्रतिनिधि मंडल भ्रमण के लिए आया. वे राजधानी दिल्ली में सरकारी कामकाजों का जायजा ले रहे थे. उन्हें एक स्थानीय शासकीय कार्यालय में ले जाया गया. वहाँ ढेर सारे अधेड़ और रिटायर होने की उम्र के बाबू पुराने 286 – 386 श्वेत-श्याम मॉनीटर युक्त कम्प्यूटरों पर कार्य कर रहे थे.
ये लोग कौन हैं – प्रतिनिधि मंडल के मुखिया ने पूछा.
ये इस देश के आम आदमी हैं , प्रजातंत्र के असली राजा – भारतीय गाइड ने बताया.
बाद में प्रतिनिधि मंडल को संसद भवन ले जाया गया. वहाँ उन्होंने राजनेताओं तथा उनके व्यक्तिगत सहयोगियों को नए नवेले लैपटॉप, पॉमटॉप, पीडीए और पावर एपल मॅक इत्यादि के साथ पाया.
और ये कौन हैं – प्रतिनिधि मंडल में से किसी ने पूछा.
ये तो जनता के सेवक हैं – जवाब मिला.
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यमराज ने एक दिन अपने दूत को बुलाया और आदेश दिया – धरती पर जाओ और हीरालाल की आत्मा को ले आओ. उसके दिन पूरे हो गए हैं.
यमदूत धरती पर गया और हीरालाल की खोजबीन की. उसे हीरालाल तो मिल गया परंतु हीरालाल के शरीर में उसकी आत्मा ढूंढे से भी नहीं मिली.
यमदूत ने वस्तुस्थिति से यमराज को अवगत कराया.
यमराज नाराज होते हुए बोले – ऐसा कैसे हो सकता है? कोई भी जीवित प्राणी बिना आत्मा के तो धरती पर रह ही नहीं सकता. जाओ और ठीक से देखो. आजकल काम-धाम में मन नहीं लगता क्या तुम्हारा?
यमदूत वापस धरती पर परंतु उसे हीरालाल की आत्मा अब भी नहीं मिली. वह बिना हीरालाल की आत्मा लिए यमराज के पास जाने का साहस नहीं कर पाया. अचानक उसे नारद मुनि याद आए, जिन्हें संसार की समस्त बातों-घटनाओं का ज्ञान रहता है. यमदूत नारद मुनि की शरण में पँहुचा.
यह आदमी खाने कमाने के लिए करता क्या है? नारद मुनि ने यमदूत से पूछा.
वह किसी किस्म का कम्प्यूटर नर्ड है - यमदूत ने बताया.
तो यह बात है. इसीलिए तुम्हें उसकी आत्मा उसके शरीर में नहीं मिली. जाओ और उसके पीसी में ढूंढो. एक नर्ड की आत्मा वहीं होती है.
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कम्प्यूटर प्रोफ़ेसनल्स की सम्पन्नता से जलते-भुनते-कुढ़ते एक आईएएस ऑफ़ीसर ने फर्स्ट क्लास एसी कम्पार्टमेंट में चल रहे अपने साथी यात्री से कहा – यार बुरा मत मानना, परंतु लोग तो ये कहते हैं कि तुम कम्प्यूटर प्रोग्रामर रात दिन अपने कम्प्यूटर की-बोर्ड में प्रोग्राम लिखने और उसके बग फिक्स करने में लगे रहते हो और तुम्हारी बीवियाँ बच्चे पैदा करती रहती हैं. क्या यह सही है? तुम अपनी बीवियों द्वारा लाए हुए रेडीमेड बच्चों को कैसे अपना लेते हो?
नर्ड ने अत्यंत शांति पूर्वक जवाब दिया – वैसे तो ऐसा होता कम ही है, परंतु जब भी ऐसी कोई घटना होती है तो हम कम्प्यूटर प्रोफ़ेसनल अपने बच्चों को आईएएस ऑफ़ीसर बना देते हैं.
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एक परिवार में चतुर्ज (क्वाड्रप्लेट) लड़कियाँ थीं जो शादी की उम्र में पहुंच गई थीं. एक संभावित वर उन्हें देखने पहुँचा. चारों लड़कियाँ प्रायः सभी मामलों में एक जैसी थीं – दिखने में, पहनावे में, चाल-ढाल और व्यवहार में. इस कारण से उस वर को उन चारों में से किसी एक का चुनाव अपनी पत्नी के रूप में करने में अच्छी खासी कठिनाई आई. अंततः उसने उसमें से एक को पसंद कर ही लिया.
उसके दोस्तों ने पूछा – क्यों तुमने उसे ही क्यों पसंद किया? क्या दूसरी बहनों में कोई खराबी थी.
ऐसी बात नहीं है, उसने जवाब दिया – उसकी एक बहन जो टेलिफोन ऑपरेटर है, हमेशा वेट प्लीज कहती थी, दूसरी वाली जो बैंक क्लर्क है, कतार में आइए कहती रहती थी और तीसरी - जो नर्स है, वह आराम से शांति से कहती रहती थी. मैंने अंततः कम्प्यूटर ऑपरेटर को पसंद किया जो हमेशा कहती रहती है – क्या आप सचमुच बंद करना चाहते हैं?
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किसी जमाने में बहुत बड़ा कम्प्यूटर महाराजा – विल सेठ रहता था. एक दिन उसने अपने सिंहासन पर बैठे ही बैठे अपने दरबारी से कहा – इस लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का कर्नेल भी गजब का है. इसकी स्टैबिलिटी और मेमोरी हैंडलिंग कैपेसिटी तो सचमुच लाजवाब है!
हुजूर-ए-आला, दरबारी ने कहा – आप बजा फ़रमाते हैं. लिनक्स सचमुच दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ऑपरेटिंग सिस्टम है.
होगा, परंतु इस ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए अनुप्रयोगों का अकाल तो है ही और यह सभी हार्डवेयर को समर्थित भी तो नहीं करता. यह तो बिलकुल बेकार, इस्तेमाल के लायक ही नहीं है – महाराजा ने कहा.
बिलकुल बजा फ़रमाया हुजूर-ए-आला, दरबारी ने कहा.
ऐ तुम कैसे आदमी हो – महाराजा ने दरबारी की ओर अप्रसन्नता से देखते हुए कहा – जब मैंने लिनक्स की थोड़ी तारीफ की तो तुमने तारीफ़ों के पुल बाँध दिए और जब मैंने थोड़ी सी आलोचना की तो तुम उसे सबसे घटिया बताने लगे.
हुजूर-ए-आला, दरबारी ने कहा – खता माफ हो, हम आपका नमक खाते हैं, लिनक्स का नहीं.
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नर्ड से नाई ने आश्चर्य से पूछा – बाल भी कटवाने हैं और शेव भी करनी है? क्या बात है? प्रोग्रामिंग करना छोड़ दिया क्या?
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एक कम्प्यूटर सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट कम्पनी में एक ऑफिस बॉय काम करता था. वह सभी कर्मचारियों को चाय, कॉफ़ी इत्यादि पिलाया करता था. वह समर्पित इंसान था, परंतु वह अनपढ़ था, जिससे कभी कभी उसे मुश्किलों का सामना भी करना पड़ जाता था. अपने कठिन परिश्रम से वह लोगों का दिल जीत कर काम कर रहा था. एक दिन कंपनी में एक सर्कुलर जारी हुआ जिसमें प्रॉडक्टिविटी बढ़ाने के नाम पर उन सभी कर्मचारियों की छंटनी कर दी गई जो पढ़े लिखे नहीं थे. लिहाज़ा उस ऑफ़िस बॉय की नौकरी भी जाती रही. उसने जीवन यापन के लिए पुराने कम्प्यूटरों को खरीदने-बेचने का धंधा शुरू कर दिया.
उसका यह धंधा चल निकला और वह देखते ही देखते देश का सबसे बड़ा सेकण्ड हैण्ड हार्डवेयर दुकानों की शृंखला का मालिक बन गया. उसने अपने धंधे को डाइवर्सिफ़ाई करने के इरादे से ताबड़तोड़ सॉफ़्टवेयर कंपनियाँ खरीदने लगा. उसने वह सॉफ़्टवेयर कंपनी भी खरीद ली जिसमें से उसे ऑफ़िस बॉय के रूप में निकाल दिया गया था.
उस कंपनी के काग़ज़ात उसके पास दस्तखत के लिए लाए गए. उसके होठों पर विद्रूपता की क्षीण सी मुस्कान उभरी. वह बोला – अगर मुझे दस्तखत करना आता होता तो इस कंपनी में मैं अभी भी ऑफ़िस बॉय ही बना रहता...
वाह! बहुत अच्छे हैं, अगर इसे जारी रख सकें तो और भी बेहतर होगा।
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