विवाह // शालिनी तिवारी

SHARE:

विलम्ब से विवाह वरदान या अभिशाप ? विवाह की अवधारणा: वि+वाह; यानी विशेष उत्तरदायित्व का निर्वहन करना. सनातन धर्म में विवाह को सोलह संस्कारों...

विलम्ब से विवाह वरदान या अभिशाप ?

विलम्ब से विवाह वरदान या अभिशाप ? विवाह की अवधारणा - शालिनी तिवारी

विवाह की अवधारणा:

वि+वाह; यानी विशेष उत्तरदायित्व का निर्वहन करना. सनातन धर्म में विवाह को सोलह संस्कारों में से एक अहम् संस्कार माना गया है. पाणिग्रहण संस्कार को ही हम आम बोलचाल की भाषा में विवाह संस्कार के नाम से जानते हैं. वैदिक मान्यताओं के अनुसार, व्यक्ति के समस्त कालखंडों को चार भागों में विभाजित किया गया है – ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, संन्यास आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम. गृहस्थ आश्रम के लिए पाणिग्रहण संस्कार अर्थात विवाह नितांत आवश्यक है. एक ओर जहाँ दुनिया के अन्य सारे धर्म विवाह को महज दो पक्षों का करार मानते हैं, जिसे विशेष परिस्थिति में तोड़ा जा सकता है, वहीं दूसरी ओर हिन्दू धर्म में विवाह अग्नि एवं ध्रुवतारा को साक्षी मानकर जन्म जन्मान्तरों के लिए आत्मिक सम्बन्ध को स्वीकार करना होता है जिसे किसी भी परिस्थिति में तोड़ा नहीं जा सकता है.

विवाह के प्रकार:

आज से कुछ दशक पहले तक विवाह के कई प्रकार आमतौर पर देखने को मिलते थे, व्यक्ति अपने संस्कारों एवं विचारों के अनुरूप अपने वैवाहिक जीवन का आरम्भ करता था. परन्तु आज बहुत तीव्र गति से पतित विवाह की प्रक्रिया सभी वर्गों में आम होती जा रही है. संस्कार विहीन बुद्धीजीवी एवं सुविधासंपन्न दिग्भ्रमित समाज को निचले पायदान वाला समाज भी तत्परता से अपना रहा है और कुसंस्कारों को अपना कर फख्र भी महसूस करता है. जो कि बेहद चिंतनीय है-

1. ब्रह्म विवाह: दोनों पक्षों की सहमती से कन्या का सुयोग्य वर के साथ विवाह जिसे आजकल arrange marriage (अरेंज मैरिज) कहा जाता है.

2. दैव विवाह: किसी विशेष सेवा कार्य (धार्मिक अनुष्ठान) के मूल्य के रूप में अपनी कन्या को दान दे देना.

3. आर्श विवाह: कन्या पक्ष वालों को कन्या का मूल्य देकर विवाह करना.

4. प्रजापत्य विवाह: कन्या की सहमती के बिना उसका विवाह अभिजात्य वर्ग से कर देना.

5. गन्धर्व विवाह: परिवार वालों की सहमति के बिना वर कन्या का बिना किसी रीति रिवाज के विवाह कर लेना, जिसे आजकल court marriage (कोर्ट मैरिज) कहा जाता है.

6. असुर विवाह: कन्या को खरीद कर विवाह कर लेना.

7. राक्षस विवाह: कन्या की सहमति के बिना उसका अपहरण करके विवाह कर लेना.

8. पैशाच विवाह: कन्या की मदहोशी (गहन निद्रा, मानसिक दुर्बलता) का लाभ उठाकर विवाह कर लेना.

पाश्चात्य की देन:

हम सभी जानते हैं कि समूचे विश्व में भारतीय संस्कृति और सभ्यता का अपना एक अलग वर्चस्व रहा है और आज भी कायम है. इसी वजह से आज समूचा संसार भारतीयता से ओतप्रोत होकर हमें अनुकरण करने की होड़ में जुटा है. एक ओर जहां भारतीय परम्परा में आयु को विविध आयामों के लिए वर्गीकृत किया गया है, ताकि समयानुसार हम अपने जीवन एवं उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर सकें और राष्ट्र के निर्माण में अपना उत्कृष्ट योगदान दे सकें. परन्तु वहीं दूसरी ओर पाश्चात्य सभ्यता में प्रत्येक व्यक्ति का जीवन स्वकेंद्रित होता है, यानी जन्म के बाद वह अपना जीवन स्वतंत्र होकर व्यतीत करता है. स्वतंत्र वातावरण में शारीरिक-मानसिक भोग सर्वसुलभ होता है. जिसे वह यौनावस्था में जीता है, इसी वजह से उसको विवाह के बंधन को स्वीकार करने की कोई आवश्यकता नहीं महसूस होती है. अंततः जब वह भौतिकवादी संसार से पूरी तरह से संतुष्ट हो जाता है और जब जीवन में अकेलापन महसूस करने लगता है तो विवाह करता है, जो कि महज एक औपचारिकता ही होती है. विवाह के बाद भी वो मानसिक और नैतिक रूप से एक दूसरे से आत्मीय नहीं हो पाते हैं. इस कुकृत्य के नक़ल का खामियाजा आज हमारा युवा भारत भुगत रहा है. आज हमारी युवा पीढ़ी चिंतन मनन किये बिना उनकी राह पर चली पड़ी है, जो कि बेहद चिंतनीय है.

वाजिब सवाल:

ज़रा आप ही बताइए कि विवाह की वास्तविक उम्र क्या होनी चाहिए ? तसल्ली से सोचिये, कोई जल्दबाजी नहीं है. यह कटु सत्य है कि जब कोई भी व्यक्ति अपनी यौनावस्था में आता है तो उसको शारीरिक तृप्ति की आवश्यकता होती है. परन्तु आज अधिकांश युवा इस सामान्य प्रक्रिया के विपरीत जाकर गौरवान्वित महसूस करता है. खामियाजा की भरपाई भी वो स्वयं करता है, चारित्रिक पतन के दलदल में गिरता है और बाद में वह चाहकर भी वो इससे उम्र भर नहीं निकल पाता है. कुछ समय बाद वह इसको ज़ायज़ मान बैठता है क्यूँकि उसके पास कोई विकल्प नहीं बचा होता है.

महत्वाकांक्षा एक बड़ी वजह:

आज आपाधापी भरी जिन्दगी के वर्तमान पड़ाव में हर व्यक्ति रोटी, कपड़ा, मकान को संजोने में दिन-रात प्रयत्नशील है. हर कोई स्वयं को भौतिकता के शीर्ष पर देखना चाहता है. गौरतलब है कि शीर्ष के वास्तविक मायने हर किसी के लिए अलग-अलग होते हैं, कोई शानो-शौक़त में जीना चाहता है तो कोई बड़ा ओहदा हथियाना चाहता है तो कोई धन संपत्ति का अम्बार लगाना चाहता है. मै इसका कतई विरोध नहीं करती कि आप सपने ना संजोयें, बिल्कुल तमन्ना रखिये, शीर्ष पर जाइए, बुलंदियां हासिल कीजिये, मेरी शुभकामनाएं सदैव आपके साथ हैं. मगर आपको यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि कहीं आप भौतिकता की होड़ में वास्तविकता से विलग तो नहीं हो रहें हैं. मेरे हिसाब से तो सही मायने में आपका शीर्षत्व तो वह है कि आप आजतक स्वयं को कितना समझ पायें हैं, आतंरिक रूप से कितना सानंद हैं, आप सही मायनें में इन्सान बन पायें हैं या नहीं ? यह कतई जरूरी नहीं है कि भौतिकता के शीर्ष पर पहुंचा व्यक्ति ही सही मायने में शीर्षत्व को प्राप्त किया हो. अक्सर यह भी देखने में आता है कि शीर्ष पर पहुंचा व्यक्ति विभिन्न प्रकार से असंतुष्ट रहता है. जब हम ऐसे व्यक्तियों पर गौर करते हैं तो पाते हैं कि ऐसे व्यक्तियों के जीवन का समूचा मकसद सिर्फ धन इकट्ठा करने में ही सिमटा नज़र आता है. इससे इतर, गर हम समाज के कुछ चुनिन्दा आदर्शवादी लोगों पर नज़र डालें तो वो समाज के लिए सचमुच में एक मिसाल रहते हैं, आईना बनकर समाज को सन्मार्ग दिखाने का काम करते हैं. भले ही ऐसे लोग भौतिकता के शीर्ष पर ना पहुंचें हों, मगर वो इन्सान होने का दायित्व बखूबी से निभाते हैं और नए भारत को एक अच्छी दिशा प्रदान करते हैं.

सच से परे:

प्रत्येक इन्सान स्वयं चाहे जितना बुरा क्यूँ न हो, मगर वह स्वयं के लिए सब कुछ अच्छा ही चाहता है. क्या यह सच से परे नहीं है कि आप स्वयं अत्याधुनिकता की चपेट में आकर चरित्रहीनता की पराकाष्ठा पर रहते हैं और जब आप अपने जीवन साथी की तलाश करते हैं तो आप शत-प्रतिशत चरित्रवान स्त्री या पुरुष ही चाहते हैं, ऐसा दोहरा मापदंड क्यूँ ? क्या आप प्रकृति के सार्वभौमिक नियम को बदल देंगें, आप जैसा करेंगे वैसा ही आपको प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आज नहीं तो कल अवश्य मिलेगा.

खामियाज़ा भी सामने है:

विवाह संस्कार सनातन धर्म का त्रयोदश संस्कार माना जाता है. वैदिक मान्यताओं की मानें तो विवाह के बाद ही पितृ ऋण को चुकाया जा सकता है. आधुनिकता के नाम पर ‘लिव इन रिलेशनशिप’ जैसे निषेध विवाह को बढ़ावा देना राष्ट्र और प्रकृति के विरुद्ध ही नहीं अपितु मानवता के लिए घातक भी है. सनातन धर्म का श्रेष्ठ धर्म-ग्रन्थ वेद है, वेदानुसार किये गये विवाह ही शास्त्र सम्मत मानें जाते हैं, यदि यह संस्कार उचित रीति-रिवाज़ से नहीं हुआ तो यह महज एक समझौता ही माना जाता है.

आज विवाह वासना प्रधान बनते जा रहें हैं. रंग, रूप, धन-दौलत, अन्य चीज़ों को तरहीज़ दी जाने लगी है, जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. लोगों की इसी सोच के कारण दांपत्य जीवन और परिवार बिखरने लगें हैं. प्रेम विवाह और लिव-इन-रिलेशनशिप का भी अंजाम बहुत बुरा साबित हो रहा है. तलाक़, हत्या, आत्महत्या, नैतिक, चारित्रिक पतन व अन्य रूप में खामियाज़ा हमारे सामने है.

एक नए सर्वे के मुताबिक, भारत में आज संतान न होने की समस्या आम होती जा रही है, इसकी मूल वजह वैज्ञानिक और चिकित्सक दोनों उम्रदराज़ होकर किये गए विवाह को ही मानते हैं. क्यूँकि संतानोत्पत्ति का भी अपना एक समय होता है.

अतीत की ओर लौटें:

आज समाज के अति भौतिकतावादी लोगों में सभ्यता, संस्कार, संस्कृति, धर्म, मातृभाषा व अन्य मूलभूत चीजों के विरूद्ध जाकर कार्य करने और स्वयं को बुद्धीजीवी कहलानें की होड़ नज़र आ रही है. मैं भी समाज की कुप्रथाओं और रुढियों के बिल्कुल खिलाफ़ हूँ, मगर मेरी आपसे एक विनती है कि पहले आप उन सामाजिक मान्यताओं, विषयों एवं पद्धतियों का गहराई में जाकर अध्ययन कीजिये, फिर उन पर कटाक्ष कीजिये.

हाँ, आज कुछ लोगों की दलीलें यह हैं कि विवाह करने के उपरान्त एक अहम् जिम्मेदारी का निर्वहन करना पड़ता है, जिसके लिए हमें पैसों की नितांत आवश्यकता होती है. खैर ! आपकी बात बिल्कुल सही है, परन्तु यह हमेशा याद रखिये कि आज तक धन, वैभव से किसी की इच्छा तृप्ति नहीं हुई है. यदि आपके पास कम पैसे हैं और आपको जीवन जीना आता है तो आप कम पैसों में भी खुशहाल रह सकते हैं, परन्तु गर आपकी व्यर्थ की इच्छाएँ अधिक हैं और आपको जीवन जीने का सही सलीका नहीं पता है तो आपके पास धन संपत्ति होकर भी आप खुशहाल नहीं रह पाएंगे. इसलिए यह हमारी महज़ सोच का फर्क है कि विवाह के लिये ढेर सारा धन नितांत आवश्यक है. आप अपनी तुलना समाज के अंतिम हाशिये पर जीवन-यापन कर रहे लोगों से कर लीजिये, आपको खुद-बखुद उत्तर मिल जाएगा.

आज स्थिति यहाँ तक आ चली है कि भारत का अधिकांश युवा अपनी सामान्य उम्र २२ से ३० वर्ष तक में विवाह न करके स्वयं को तथाकथित बौद्धिक कहलाता है और गौरवान्वित महसूस करता है. इससे इतर, वह कहीं न कहीं चरित्रहीनता के कगार पर खड़ा नज़र आता है. परन्तु आज दिग्भ्रमित समाज को यह चरित्रहीनता उसके उन्नयन की एक अहम् कड़ी समझ आ रही है. दोष नज़र में नहीं, नज़रिए में है. यह बिल्कुल सत्य है कि प्रकृति के नियमों के विरुद्ध जाकर किसी भी व्यक्ति का भविष्य सुनहरा नहीं हो सकता. इसलिए विषय को गंभीरता से लेते हुए विचार कीजिए कि आज जो हम युवा इस राह पर आगे बढ़ रहें हैं वो हमारे और राष्ट्र के लिए कितना अनुकूल और प्रतिकूल है ?

................................................................................................................

शालिनी तिवारी – अंतू, प्रतापगढ़, (उ. प्र.) की निवासिनी शालिनी तिवारी स्वतंत्र लेखिका हैं. पानी, प्रकृति एवं समसामयिक मसलों पर स्वतंत्र लेखन के साथ-साथ वर्षों से मूल्यपरक शिक्षा हेतु विशेष अभियान का संचालन भी करती हैं. लेखिका द्वारा समाज के अंतिम जन के बेहतरीकरण एवं जनजागरूकता के लिए हर संभव प्रयास सतत जारी है.

Email – shalinitiwari1129@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: विवाह // शालिनी तिवारी
विवाह // शालिनी तिवारी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjCLW2u5plG-1ZQ8ivqQgYqEBioCwfU-4GUsUSPP4VVNAuvVKA8nyJOMevvtRhou_p4WRUuX6uNbuuAoYsrLHzRVz7y_TsGp1lTlN-scdMpafi5bR8PDJljAdp1jawYPrO4Ktj9/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjCLW2u5plG-1ZQ8ivqQgYqEBioCwfU-4GUsUSPP4VVNAuvVKA8nyJOMevvtRhou_p4WRUuX6uNbuuAoYsrLHzRVz7y_TsGp1lTlN-scdMpafi5bR8PDJljAdp1jawYPrO4Ktj9/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/07/blog-post_80.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/07/blog-post_80.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content