देश विदेश की लोक कथाएँ — उत्तरी अमेरिका–ईकटोमी : चालाक ईकटोमी संकलनकर्ता सुषमा गुप्ता Cover Page picture: Iktomi Published Under the Auspice...
देश विदेश की लोक कथाएँ — उत्तरी अमेरिका–ईकटोमी :
चालाक ईकटोमी
संकलनकर्ता
सुषमा गुप्ता
Cover Page picture: Iktomi
Published Under the Auspices of Akhil Bhartiya Sahityalok
E-Mail: sushmajee@yahoo.com
Website: www.sushmajee.com/folktales/index-folktales.htm
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Map of North America
विंडसर, कैनेडा
फरवरी 2017
Contents
सीरीज की भूमिका 4
चालाक ईकटोमी 5
1 ईकटोमी कौन है 7
2 ईकटोमी शहर आया 11
3 ईकटोमी और गिलहरियॉ 14
4 ईकटोमी और भैंस की खोपड़ी 17
5 ईकटोमी और कायोटी–1 19
6 ईकटोमी और कायोटी–2 24
7 ईकटोमी, कायोटी और चट्टान 32
8 ईकटोमी और बतखें 39
9 ईकटोमी और बड़ा चूहा 47
10 ईकटोमी और हिरन का बच्चा 55
11 ईकटोमी का कम्बल 67
12 ईकटोमी, दो बहिनें और लाल आलूबुखारा 74
13 ईकटोमी और कछुआ 80
14 सात लड़ने वाले 86
सीरीज की भूमिका
लोक कथाएँ किसी भी समाज की संस्कृति का एक अटूट हिस्सा होती हैं। ये संसार को उस समाज के बारे में बताती हैं जिसकी वे लोक कथाएँ हैं। आज से बहुत साल पहले, करीब 100 साल पहले ये लोक कथाएँ केवल ज़बानी ही कही जातीं थीं और कह सुन कर ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दी जाती थीं इसलिये किसी भी लोक कथा का मूल रूप क्या रहा होगा यह कहना मुश्किल है।
आज हम ऐसी ही कुछ अंग्रेजी और कुछ दूसरी भाषा बोलने वाले देशों की लोक कथाएँ अपने हिन्दी भाषा बोलने वाले समाज तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। इनमें से बहुत सारी लोक कथाएँ हमने अंग्रेजी की किताबों से, कुछ विश्वविद्यालयों में दी गयी थीसेज़ से, और कुछ पत्रिकाओं से ली हैं और कुछ लोगों से सुन कर भी लिखी हैं। अब तक 1200 से अधिक लोक कथाएँ हिन्दी में लिखी जा चुकी हैं। इनमें से 400 से भी अधिक लोक कथाएँ तो केवल अफ्रीका के देशों की ही हैं।
इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि ये सब लोक कथाएँ हर वह आदमी पढ़ सके जो थोड़ी सी भी हिन्दी पढ़ना जानता हो और उसे समझता हो। ये कथाएँ यहॉ तो सरल भाषा में लिखी गयी है पर इनको हिन्दी में लिखने में कई समस्याऐं आयी है जिनमें से दो समस्याऐं मुख्य हैं।
एक तो यह कि करीब करीब 95 प्रतिशत विदेशी नामों को हिन्दी में लिखना बहुत मुश्किल है, चाहे वे आदमियों के हों या फिर जगहों के। दूसरे उनका उच्चारण भी बहुत ही अलग तरीके का होता है। कोई कुछ बोलता है तो कोई कुछ। इसको साफ करने के लिये इस सीरीज़ की सब किताबों में फुटनोट्स में उनको अंग्रेजी में लिख दिया गया हैं ताकि कोई भी उनको अंग्रेजी के शब्दों की सहायता से कहीं भी खोज सके। इसके अलावा और भी बहुत सारे शब्द जो हमारे भारत के लोगों के लिये नये हैं उनको भी फुटनोट्स और चित्रों द्वारा समझाया गया है।
ये सब कथाएँ “देश विदेश की लोक कथाएँ” नाम की सीरीज के अन्तर्गत छापी जा रही हैं। ये लोक कथाएँ आप सबका मनोरंजन तो करेंगी ही साथ में दूसरे देशों की संस्कृति के बारे में भी जानकारी देंगी। आशा है कि हिन्दी साहित्य जगत में इनका भव्य स्वागत होगा।
सुषमा गुप्ता
मई 2016
जैसा कि सबको पता है उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका का 1492 से पहले किसी को कोई पता नहीं था। वह दुनियॉ के नक्शे पर कहीं दिखायी नहीं देता था। लेकिन ऐसा नहीं था कि ये जमीन के टुकड़े वहॉ थे नहीं। ये जमीन के टुकड़े भी यहीं थे और यहॉ लोग भी रहते भी थे।
जब कोलम्बस ने इस धरती के टुकड़े को खोजा तो उसने यहॉ के रहने वाले मूल निवासियों को रेड इन्डियन्स का नाम दिया क्योंकि उस समय वह भारत का रास्ता ढूंढने निकला था और जब वह इस जमीन पर उतरा तो उसको लगा कि वह भारत या इन्डिया आ गया। बस उसने यहॉ के रहने वालों को रैड इन्डियन्स का नाम दे दिया।
जब तक पनामा कैनाल[1] नहीं बनी थी या खुली थी तब तक ये दोनों महाद्वीप, यानी उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका, दोनों महाद्वीप जमीन का एक ही टुकड़ा थे – अमेरिका। पनामा कैनाल बन जाने के बाद ही ये दोनों जमीन के टुकड़े अलग अलग हो पाये – उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका। दक्षिण अमेरिका को “लैटिन अमेरिका” भी कहते हैं।
यहॉ के मूल निवासियों में बहुत सारी जनजातियॉ[2] रहती थीं। इन सब जनजातियों की अपनी अपनी लोक कथाएँ थी अपने अपने विश्वास थे अपने अपने कानून थे। इनकी लोक कथाओं में कुछ जानवरों की लोक कथाएँ बहुत मिलती हैं जैसे कायोटी[3] जो एक छोटा सा रेगिस्तानी भेड़िया है या रैवन जो एक कौए जैसा पक्षी है।
इसी तरह से ईकटोमी भी यहॉ के मूल निवासियों की लोक कथाओं का एक बहुत ही लोकप्रिय चरित्र् है जो बहुत चालाक[4] है। हर देश की लोक कथाओं में कुछ चालाक चरित्र् होते हैं। ये जानवर भी हो सकते हैं और आदमी भी। यहॉ की लोक कथाओं में ईकटोमी एक ऐसा ही चरित्र् है।
अमेरिका के मूल निवासियों में कई जनजातियॉ है, जैसे हायडा[5], नवाजो, ज़ूनी आदि। उन्हीं में एक और जनजाति है लकोटा जनजाति[6]। ईकटोमी इसी लकोटा जनजाति की लोक कथाओं का एक मुख्य चरित्र् है।
ईकटोमी की बहुत सारी लोक कथाएँ हैं – उनकी कोई कमी नहीं। यहॉ उसकी कुछ लोक कथाएँ दी जा रही हैं। आशा है कि तुम लोगों को ये लोक कथाएँ पसन्द आयेंगी और लकोटा जनजाति के जीवन के बारे में कुछ जानकारी देंगी।
हर देश की लोक कथाओं में कुछ चालाक चरित्र् होते हैं कुछ बेवकूफ चरित्र् होते हैं और कुछ डरपोक चरित्र् भी होते हैं। ये जानवर भी हो सकते हैं और आदमी भी।
जैसे नाइजीरिया और पश्चिमी अफ्रीका की लोक कथाओं में अनन्सी मकड़ा और कछुआ बहुत तेज़ और होशियार जानवर है। भारत की लोक कथाओं में खरगोश बहुत होशियार है और लोमड़ा बहुत चालाक है। वहॉ गीदड़ हमेशा से ही एक बेवकूफ और डरपोक जानवर समझा जाता है।
इसी तरह से अमेरिका के मूल निवासियों की लोक कथाओं में कुछ चालाक चरित्र् हैं जैसे रैवन कौआ[8], ईकटोमी मकड़ा, ज़ूनी और कायोटी भेड़िया[9]। इन सबका इनकी लोक कथाओं में अपना एक अलग ही स्थान है। और इन सबकी लोक कथाएँ वहॉ पायी भी बहुत जाती हैं।
अमेरिका के मूल निवासियों में कई जनजातियॉ है, जैसे नवाजो, ज़ूनी, हायडा आदि। उन्हीं में एक और जनजाति है लकोटा जनजाति[10]। ईकटोमी[11] अमेरिका के मूल निवासियों की लकोटा जनजाति की लोक कथाओं का एक मुख्य और लोकप्रिय चरित्र् है जो बहुत चालाक[12] है।
ईकटोमी इन्यान चट्टान[13] का सबसे बड़ा बेटा है। इन्यान का नाम पहले क्स[14] था। ईकटोमी एक अंडे से एक बड़े आदमी के साइज़ जितने रूप में ही पैदा हुआ था।
उसका शरीर मकड़े की तरह से बहुत बड़ा और गोल सा है और उसकी टॉगें पतली सी हैं। वह हिरन की खाल का कोट पहनता है। वह हर ज़िन्दा चीज़ से बात कर सकता है और साथ में चट्टानों और पत्थरों से भी।
वह लकोटा लोगों को इस बात का भी विश्वास दिला सकता है कि वे एक साथ रहने की बजाय अलग अलग रहें।
एक बार लकोटा लोगों पर दुश्मनों ने हमला कर दिया तो लकोटा लोगों ने एक मीटिंग की और यह निश्चय किया कि वे अपने घर एक गोले में बना कर रहेंगे।
उनके हर एक के घर का दरवाजा दूसरे के घर के दरवाजे के सामने खुलेगा ताकि उनको पता रहे कि ईकटोमी कब उनके घरों में घुस रहा है।
वाकिन्यान[15] की कहानी
वाकिन्यान का मतलब है गरज चिड़ा[16]। वाकिन्यान बहुत बड़े बड़े पंखों वाले लोग हैं जिनको लोग देख नहीं सकते क्योंकि वे घने बादलों में छिपे रहते हैं।
बिजली की यह कड़क जो हम सबको सुनायी देती है वह उन्हीं की आवाज है और यह जो आसमान में बिजली चमकती है यह उनका पलकें झपकाना है।
वाकिन्यान चार तरह के हैं – लाल, काले लम्बी चोंच वाले, पीले बिना चोंच वाले और नीले बिना कान और आॅख वाले। ये लोग अमेरिका के पश्चिम में रहते हैं और पश्चिमी हवा के साथ ही यात्र करते हैं।
ये लोगों की वाज़िया यानी उत्तरी हवा[17] से रक्षा करते हैं। इन्होंने जंगली चावल और बहुत तरह की घास बनायी।
ईकटोमी इन लोगों के लिये हियोगा[18] की तरह है क्योंकि यह हमेशा उनके साथ बात करता रहता है।
लकोटा जनजाति में इस मकड़े परी की एक खास जगह है। जब हम उसकी जानवर की तरह से बात करते हैं तो हम ईकटोमी मकड़े की ही बात करते हैं। ईकटोमी की बहुत सारी कहानियॉ हैं – उनकी कोई कमी नहीं।
[1] Panama Canal – opened on 15 August 1914, is a man-made 48-mile (77 km) waterway in Panama that connects the Atlantic Ocean with the Pacific Ocean. The canal cuts across the Isthmus of Panama and is a key conduit for international maritime trade. There are locks at each end to lift ships up to Gatun Lake, an artificial lake created to reduce the amount of excavation work required for the canal, 85 feet (26 metres) above sea level. The original locks are 110 feet (33.5 metres) wide.
[2] Translated for the word “Tribes”
[3] Raven, Iktomi, Zuni and Coyote
[4] Trickster
[5] Read the folktales of Haida Tribe “Haida Jaati Ke Vishwaas” in Hindi by Sushma Gupta
[6] Lakota tribe
[7] Inyan, the Rock – Adapted from the Web Site :
http://www.nativeamerican-art.com/lakota-legend.html .
[8] Read “Raven Ki Lok Kathayen-1” by Sushma Gupta in Hindi language. India, Indra Publishing House.
[9] Raven, Iktomi, Zuni and Coyote
[10] Lakota Tribe
[11] Iktomi is a spider fairy – Iktomi is pronounced as ee-k-tomee
[12] Translated for the word “Trickster”
[13] Inyan Rock
[14] Ksa – former name of Inyan Rock. Inyan is the rock which is Iktomi’s great grandfather. It is the Primordial stone spirit of Sioux Tribe mythology
[15] Wakinyan – name of a Tribe of Native Indians
[16] Translated for the word “Thunderbird”
[17] Wazia, means North Wind – which is very cold. There are few folktales about it. To read folktales about it read “Uttaree Havaa” book by Sushma Gupta in Hindi language.
[18] Heyoka (pronounced as “he-yau-ga), in Lakota, is trickster spirit, jester, satirist, or sacred clown. The Heyoka spirit speaks, moves and reacts in an opposite fashion to the people around it. Translated as “North Wind” also an important character of these folktales. Its folktales are given in “Mausam Aur Hava kI Lok Kathayen”, written by Sushma Gupta in Hindi.
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
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सुषमा गुप्ता का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में सन् 1943 में हुआ था। इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र और अर्थ शास्त्र में ऐम ए किया और फिर मेरठ विश्वविद्यालय से बी ऐड किया। 1976 में ये नाइजीरिया चली गयीं। वहां इन्होंने यूनिवर्सिटी औफ़ इबादान से लाइब्रेरी साइन्स में ऐम ऐल ऐस किया और एक थियोलोजीकल कौलिज में 10 वर्षों तक लाइब्रेरियन का कार्य किया।
वहां से फिर ये इथियोपिया चली गयीं और वहां एडिस अबाबा यूनिवर्सिटी के इन्स्टीट्यूट औफ़ इथियोपियन स्टडीज़ की लाइब्रेरी में 3 साल कार्य किया। तत्पश्चात इनको दक्षिणी अफ्रीका के एक देश़ लिसोठो के विश्वविद्यालय में इन्स्टीट्यूट औफ़ सदर्न अफ्रीकन स्टडीज़ में 1 साल कार्य करने का अवसर मिला। वहॉ से 1993 में ये यू ऐस ए आगयीं जहॉ इन्होंने फिर से मास्टर औफ़ लाइब्रेरी ऐंड इनफौर्मेशन साइन्स किया। फिर 4 साल ओटोमोटिव इन्डस्ट्री एक्शन ग्रुप के पुस्तकालय में कार्य किया।
1998 में इन्होंने सेवा निवृत्ति ले ली और अपनी एक वेब साइट बनायी- www.sushmajee.com <http://www.sushmajee.com>। तब से ये उसी वेब साइट पर काम कर रहीं हैं। उस वेब साइट में हिन्दू धर्म के साथ साथ बच्चों के लिये भी काफी सामग्री है।
भिन्न भिन्न देशों में रहने से इनको अपने कार्यकाल में वहॉ की बहुत सारी लोक कथाओं को जानने का अवसर मिला- कुछ पढ़ने से, कुछ लोगों से सुनने से और कुछ ऐसे साधनों से जो केवल इन्हीं को उपलब्ध थे। उन सबको देखकर इनको ऐसा लगा कि ये लोक कथाएँ हिन्दी जानने वाले बच्चों और हिन्दी में रिसर्च करने वालों को तो कभी उपलब्ध ही नहीं हो पायेंगी- हिन्दी की तो बात ही अलग है अंग्रेजी में भी नहीं मिल पायेंगीं.
इसलिये इन्होंने न्यूनतम हिन्दी पढ़ने वालों को ध्यान में रखते हुए उन लोक कथाओं को हिन्दी में लिखना पा्ररम्भ किया। इन लोक कथाओं में अफ्रीका, एशिया और दक्षिणी अमेरिका के देशों की लोक कथाओं पर अधिक ध्यान दिया गया है पर उत्तरी अमेरिका और यूरोप के देशों की भी कुछ लोक कथाएँ सम्मिलित कर ली गयी हैं।
अभी तक 1200 से अधिक लोक कथाएँ हिन्दी में लिखी जा चुकी है। इनको "देश विदेश की लोक कथाएँ" क्रम में प्रकाशित करने का प्रयास किया जा रहा है। आशा है कि इस प्रकाशन के माध्यम से हम इन लोक कथाओं को जन जन तक पहुंचा सकेंगे.
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(कहानियाँ क्रमशः अगले अंकों में जारी...)
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