देश विदेश की लोक कथाएं — यूरोप–इटली–10 : इटली की लोक कथाएं–10 संकलनकर्ता सुषमा गुप्ता Cover Page picture: Colosseum, Rome, Italy Published U...
देश विदेश की लोक कथाएं — यूरोप–इटली–10 :
इटली की लोक कथाएं–10
संकलनकर्ता
सुषमा गुप्ता
Cover Page picture: Colosseum, Rome, Italy
Published Under the Auspices of Akhil Bhartiys Sahityalok
E-Mail: sushmajee@yahoo.com
Website: http://sushmajee.com/folktales/index-folktales.htm
Read More such stories at: www.scribd.com/sushma_gupta_1
Copyrighted by Sushma Gupta 2014
No portion of this book may be reproduced or stored in a retrieval system or transmitted in any form, by any means, mechanical, electronic, photocopying, recording, or otherwise, without written permission from the author.
Map of Italy
विंडसर, कैनेडा
मार्च 2017
Contents
सीरीज़ की भूमिका 4
इटली की लोक कथार्ऐं10 5
1 तीन सन्तरों से प्यार 7
2 सूरज़ चॉद और तालिया 25
3 डौन फ़िरीयूलीडू 37
4 छोटा चना 41
5 पिटिड्डा 56
6 सैक्सटन की नाक 62
7 मुर्गा और चूहा 69
8 गौडमदर लोमड़ी 74
9 चूहा और बिल्ली 81
10 तीन भाई 89
11 बूचैटीनो 93
12 तीन बतख के बच्चे 99
13 एन्ड्रोक्लीज़ और शेर 108
14 सात बच्चों को शाप 112
15 शैतान ने तीन बहिनों से शादी कैसे की 122
16 लौर्ड़ सेन्ट पीटर और लोहार 130
17 सेन्ट पीटर और उसकी बहिनें 136
18 पाइलेट 139
19 जूडास की कहानी 143
20 निराश मालकस 145
21 खम्भे के चारों तरफ मालकस 147
22 जियूफ़ा के कारनामे. 149
सीरीज़ की भूमिका
लोक कथाएं किसी भी समाज की संस्कृति का एक अटूट हिस्सा होती हैं। ये संसार को उस समाज के बारे में बताती हैं जिसकी वे लोक कथाएं हैं। आज से बहुत साल पहले, करीब 100 साल पहले, ये लोक कथाएं केवल ज़बानी ही कही जातीं थीं और कह सुन कर ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दी जाती थीं इसलिये किसी भी लोक कथा का मूल रूप क्या रहा होगा यह कहना मुश्किल है।
आज हम ऐसी ही कुछ अंग्रेजी और कुछ दूसरी भाषा बोलने वाले देशों की लोक कथाएं अपने हिन्दी भाषा बोलने वाले समाज तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। इनमें से बहुत सारी लोक कथाएं हमने अंग्रेजी की किताबों से, कुछ विश्वविद्यालयों में दी गयी थीसेज़ से, और कुछ पत्रिकाओं से ली हैं और कुछ लोगों से सुन कर भी लिखी हैं। अब तक 1200 से अधिक लोक कथाएं हिन्दी में लिखी जा चुकी हैं। इनमें से 400 से भी अधिक लोक कथाएं तो केवल अफ्रीका के देशों की ही हैं।
इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि ये सब लोक कथाएं हर वह आदमी पढ़ सके जो थोड़ी सी भी हिन्दी पढ़ना जानता हो और उसे समझता हो। ये कथाएं यहाँ तो सरल भाषा में लिखी गयी है पर इनको हिन्दी में लिखने में कई समस्याएं आयी है जिनमें से दो समस्याएं मुख्य हैं।
एक तो यह कि करीब करीब 95 प्रतिशत विदेशी नामों को हिन्दी में लिखना बहुत मुश्किल है. चाहे वे आदमियों के हों या फिर जगहों के। दूसरे उनका उच्चारण भी बहुत ही अलग तरीके का होता है। कोई कुछ बोलता है तो कोई कुछ। इसको साफ करने के लिये इस सीरीज़ की सब किताबों में फुटनोट्स में उनको अंग्रेजी में लिख दिया गया हैं ताकि कोई भी उनको अंग्रेजी के शब्दों की सहायता से कहीं भी खोज सके। इसके अलावा और भी बहुत सारे शब्द जो हमारे भारत के लोगों के लिये नये हैं उनको भी फुटनोट्स और चित्रों द्वारा समझाया गया है।
ये सब कथाएं “देश विदेश की लोक कथाएं” नाम की सीरीज के अन्तर्गत छापी जा रही हैं। ये लोक कथाएं आप सबका मनोरंजन तो करेंगी ही साथ में दूसरे देशों की संस्कृति के बारे में भी जानकारी देंगी। आशा है कि हिन्दी साहित्य जगत में इनका भव्य स्वागत होगा।
सुषमा गुप्ता
मई 2016
इटली की लोक कथाएं–10
इटली देश यूरोप महाद्वीप के दक्षिण पश्चिम की तरफ स्थित है। पुराने समय में यह एक बहुत ही शक्तिशाली राज्य था। रोमन साम्राज्य अपने समय का एक बहुत ही मशहूर राज्य रहा है। उसकी सभ्यता भी बहुत पुरानी है – करीब 3000 साल पुरानी। इसका रोम शहर 753 बीसी में बसाया हुआ बताया जाता है पर यह इटली की राजधानी 1871 में बना था। इटली में कुछ शहर बहुत मशहूर हैं – रोम, पिसा, फ्लोरैन्स, वेनिस आदि। यहाँ की टाइबर नदी बहुत मशहूर है। यूरोप में लोग केवल लन्दन, पेरिस और रोम शहर ही घूमने जाते हैं।
रोम में कोलोज़ियम और वैटिकन अजायबघर सबसे ज़्यादा देखे जाते हैं। पिसा में पिसा की झुकती हुई मीनार संसार का आदमी द्वारा बनाये गये आठ आश्चर्यों में से एक है। इटली का वेनिस शहर नहरों में बसा हुआ एक शहर[1] है। इस शहर में अधिकतर लोग इधर से उधर केवल नावों से ही आते जाते हैं। यहाँ कोई कार नहीं है कोई सड़क पर चलने वाला यातायात का साधन नहीं है, केवल नावें हैं और नहरें हैं। शायद तुम्हें मालूम नहीं होगा कि असल में वेनिस शहर कोई शहर नहीं है बल्कि 118 द्वीपों को पुलों से जोड़ कर बनाया गया है इसलिये ये नहरें भी नहरें नहीं हैं बल्कि समुद्र का पानी है और वह समुद्र का पानी नहर में बहता जैसा लगता है।
इटली का रोम कैसे बसा? कहते हैं कि रोम को बसाने वाला वहाँ का पहला राजा रोमुलस था। रोमुलस और रेमस दो जुड़वाँ भाई थे जो एक मादा भेड़िया का दूध पी कर बड़े हुए थे। दोनों ने मिल कर एक शहर बसाने का विचार किया पर बाद में एक बहस में रोमुलस ने रेमस को मार दिया और उसने खुद राजा बन कर 7 अप्रैल 753 बीसी को रोम की स्थापना की। इटली के रोम शहर में संसार का मशहूर सबसे बड़ा कोलोज़ियम[2] है जहाँ 5000 लोग बैठ सकते हैं। पुराने समय में यहाँ लोगों को सजाएं दी जाती थीं।
इटली में ही वैटीकन सिटी है जो ईसाई धर्म के कैथोलिक लोगों का घर है पर यह एक अपना अलग ही देश है। वहाँ इसके अपने सिक्के और नोट हैं। इसकी अपनी सेना है। पोप इस देश का राजा है। इसका अजायबघर बहुत मशहूर है। यह संसार का सबसे छोटा देश है क्षेत्र में भी और जनसंख्या में भी – 842 आदमी .4 वर्ग मील के क्षेत्र में बसे हुए हैं।
इटली की बहुत सारी लोक कथाएं हैं। इटली की सबसे पहली लोक कथाएं 1550 में इतालो कैलवीनो[3] ने इटैलियन भाषा में लिखी थीं। इनको 1956 में संकलित करके प्रकाशित किया गया था। इनका एक अंग्रेजी अनुवाद मार्टिन ने 1980 में किया। उन्होंने उस पुस्तक में 200 लोक कथाएं प्रकाशित की थीं। उन्हीं लोक कथाओं में से हमने 125 लोक कथाएं चुन कर अपने हिन्दी भाषा भाषियों के लिये हिन्दी भाषा में नौ संकलनों में प्रस्तुत की थीं।[4]
इटली की लोक कथाओं की एक पुस्तक क्रेन[5] ने 1885 में लिखी थी जिसमें उन्होंने 109 कथाएं प्रकाशित की थीं। इस पुस्तक में हम उनकी कुछ कथाएं हिन्दी में दे रहे हैं। उनके अलावा इटली की कुछ और लोक कथाएं भी यहाँ दी जा रही हैं। हमें पूरा विश्वास है कि ये लोक कथाएं भी तुम सबको इटली की लोक कथाओं के संकलनों की तरह बहुत पसन्द आयेंगीं।
1 तीन सन्तरों से प्यार[6]
पैन्टेलून[7] जोकर अपनी ऊँची आवाज में बोला — “आओ आओ सब लोग यहाँ आ कर इकठ्ठे हो जाओ। अभी हम एक बहुत ही अच्छा नाटक खेलने जा रहे हैं।”
एक ने पूछा — “यह किस तरह का नाटक है? क्या यह हँसी वाला नाटक है? यह नाटक जितना हँसाने वाला होगा उतना ही ज़्यादा अच्छा होगा।” यह सुन कर कई लोगों ने हाँ में अपने सिर हिलाये।
पर किसी ने कहा — “अगर कोई दुख भरा नाटक भी है तो वह भी क्या बुरा है? हम उनका रोना ही सुन लेंगे।”
पैन्टेलून ने सबको चुप कराने की कोशिश की — “चुप हो जाओ, चुप हो जाओ। मैं तुम लोगों से वायदा करता हूँ कि यह नाटक अपने में एक अकेला और बहुत ही बढ़िया नाटक होगा। ऐसा नाटक तुम लोगों ने पहले कभी कहीं नहीं देखा होगा। सो अब हम पेश करते हैं आज का नाटक तीन सन्तरों से प्यार।”
एक बूढ़ा बोला — “तीन सन्तरों से प्यार? इसका क्या मतलब हुआ?” पर वहाँ बैठे बच्चों को यह नाम अच्छा लगा और उन्होंने ज़ोर से ताली बजायी।
वे चिल्लाये — “हमको तीन सन्तरों से प्यार चाहिये। हमको तीन सन्तरों से प्यार चाहिये।”
जोकर को यह सुन कर बड़ा अच्छा लगा कि बच्चे उसका नाटक देखने के लिये उत्सुक हैं।
उसने उनके सामने सिर झुकाया और बोला — “बच्चो, तुम लोग तो हमेशा से ही मेरे बहुत अच्छे नाटक देखने वालों में से रहे हो। अच्छा अब देखो नाटक शुरू होता है और राजा आने वाला है।”
और सचमुच में ही एक राजा वहाँ आ गया बहुत ही बढ़िया कपड़े पहने। पर वह तो बहुत ही चिन्तित दिखायी दे रहा था। यह चिन्ता तो उसकी चटकीली रंगीन पोशाक से बिल्कुल भी मेल नहीं खा रही थी।
ऐसा इसलिये था क्योंकि वह अपने बेटे राजकुमार के बारे में बहुत चिन्तित था। उसने पूछा — “मेरे राजकुमार को क्या हुआ है? क्या राजकुमार के पेट में दर्द है? या फिर उसके सिर में दर्द है? या फिर उसकी कमर में दर्द है? या उसके हाथ या पैर में दर्द है?
उसकी ऑखें खाली खाली दिखायी देती हैं और वह एक शब्द भी नहीं बोलता। दुनिया भर के सैंकड़ों डाक्टरों ने उसको देख लिया और सब एक ही निश्चय पर पहुँचे हैं कि उसको हँसना चाहिये। पर भगवान जानता है कि मेरा बेचारा बेटा तो कभी हँसा ही नहीं।”
राजा बेचारा एक गहरी साँस ले कर रह गया। फिर वह उस जोकर की तरफ घूम कर बोला — “पैन्टेलून, तुम ही इसका कुछ उपाय करो।”
पैन्टेलून ने सलाह दी कि राजा को अपने दरबार के हँसोड़िये ट्रुफ़ालडीनो[8] को बुलाना चाहिये जिसका काम ही सबको हँसाना और सबका दिल बहलाना था।
उसके चुटकुले और उसकी बेवकूफी की बातें शायद राजकुमार को हँसा सकें। यह सलाह सुन कर राजा ने अपने दरबारियों को हुकुम दिया कि वे ट्रुफ़ालडीनो को ढूँढ कर लायें।
जब ट्रुफ़ालडीनो मिल गया तो सारे देश के लोग उसके शो का इन्तजार करने लगे। इस बीच चैलियो जादूगर और फ़ैटा मौरगैना जादूगरनी[9] ने भी उसके शो की तैयारी करने में काफी सहायता की।
चैलियो को शक था कि फ़ैटा मोरगैना जादूगरनी जरूर ही कुछ गड़बड़ चाल चलेगी इसलिये वह गहरी अँधेरी घाटी की तरफ चल पड़ा जहाँ वह बूढ़ी जादूगरनी रहती थी।
वह यह सोच रहा था कि वह उसको इस बात के लिये तैयार कर लेगा कि वह अपनी चाल न खेले। पर जब वह फ़ैटा मौरगैना के पास पहुँचा तो फ़ैटा मौरगैना ने चैलियो का एक भेदभरी मुस्कान के साथ स्वागत किया।
उसने पूछा — “तुम मुझे यह बताने के लिये यहाँ किस अधिकार से आये हो कि मैं क्या करूँ और क्या न करूँ?”
बात करते करते उसने अपनी ताश की गड्डी उठा ली और बोली — “क्या तुम फ़ैटा मौरगैना के ताश का पत्ता खींचने की हिम्मत कर सकते हो? अगर कर सकते हो तो करो। पर देखना कि अगर मैं हार गयी तो फिर जो तुम कहोगे मैं वही करूँगी।”
यह कह कर उसने ताश का एक पत्ता जादूगर को दिया और एक खुद लिया। एक पल बाद ही वह पागलों की तरह अपना पत्ता हिलाते हुए खुशी से बोली — “हा हा हा। हुकुम की रानी। अब तुम अगर अपना पत्ता दिखा सकते हो तो दिखाओ।”
चैलियो हार गया था। फ़ैटा खुशी से बोली — “मैं जीत गयी, मैं जीत गयी।” और ऐसा कहते हुए वह महल की तरफ भाग गयी।
उधर दरबार के हँसोड़िये ट्रुफ़ालडीनो ने राज्य के सारे जोकरों को इकठ्ठा कर रखा था। और वह तो बस क्या ही बढ़िया शो था।
मजाकिया चेहरे और कपड़े पहन कर सब लोग मंच पर इधर से उधर घूम रहे थे जिससे कि सारे देखने वाले हँसी से दोहरे हुए जा रहे थे। हँसते हँसते उनकी ऑखों से उनके गालों पर ऑसू बहे जा रहे थे।
पर अफसोस राजकुमार ऐसे ही बैठा था। इतनी सब हँसी की चीज़ें होते हुए भी राजकुमार का चेहरा वैसा ही पीला और उदास रहा।
क्योंकि हर आदमी राजकुमार को हँसाने की इतनी कोशिश कर रहा था कि उनमें से किसी ने देखा ही नहीं कि फ़ैटा मौरगैना कब महल में खिसक आयी।
बहुत ऊँची एड़ी के जूते पहने वह राजकुमार की तरफ चली जा रही थी जैसे वह उसे बहुत करीब से देखना चाहती थी।
इतने में उसका ध्यान बँटा और वह अपने स्कर्ट की झालर में अटक कर राजकुमार के सामने गिर गयी। उसके हाथ पैर सब तरफ फैल गये। उसकी पोशाक के नीचे पहना हुआ उसका धारी वाला निकर भी सबको दिखायी देने लगा।
कमरे में बैठे सारे लोग इस सबको देख कर पहले तो आश्चर्य में पड़ गये पर फिर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे।
पर पता है क्या हुआ? वह आदमी जो सबसे ज़्यादा ज़ोर से हँसा वह कौन था? वह था राजकुमार।
पर क्या वह सचमुच राजकुमार ही था जो हँसा था? उसकी तो हँसी इतनी ज़्यादा थी कि उसको तो साँस लेने का भी मौका नहीं मिल रहा था। वह तो बस उस अजीब सी हालत में पड़ी जादूगरनी को देखे जा रहा था जो उसके सामने पड़ी थी और हँसे जा रहा था।
“यह तो सबसे अजीब निकर होगा जो दुनियाँ में पहले कभी किसी ने देखा होगा।”
यह देख कर जादूगरनी का चेहरा शरम से लाल पड़ गया। जब वह लाल पड़े चेहरे वाली जादूगरनी उठने की कोशिश कर रही थी तो उसने गुस्से से राजकुमार की तरफ इशारा करके कहा — “फ़ैटा मौरगैना पर हँसने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? मैं अभी तुमको सबक सिखाती हूँ तब तुमको अपनी इस हरकत पर अफसोस होगा।
यह कह कर उस बूढ़ी जादूगरनी ने शाप के कुछ शब्द बुड़बुड़ाने शुरू किये तो महल के उस कमरे में बैठे सब डर गये और डर के मारे एकदम चुप हो गये।
जब फ़ैटा मौरगैना ने अपना जादू राजकुमार पर डाला तो सबकी ऑखें राजकुमार पर ठहर गयी — “ंमैं तुम्हें हुकुम देती हूँ कि तुम तीन सन्तरों के प्रेम में पड़ जाओ।”
जैसे ही उसने ये शब्द कहे राजकुमार बोल पड़ा — “मैं तीन सन्तरों को प्यार करता हूँ, मैं तीन सन्तरों को प्यार करता हूँ।”
अपने शाप को काम करते देख कर सन्तुष्ट होते हुए उसने राजकुमार की तरफ देखा और फिर अपना हाथ हिलाया जिससे उसका अपना राक्षस नौकर एक बहुत बड़ी धौंकनी[10] खिसकाता हुआ वहाँ ले आया।
उस धौंकनी से उसने एक बड़ा सा हवा का झोंका फेंका और उस झोंके से वह राजकुमार और वह हँसोड़िया ट्रुफ़ालडीनो दोनों ही उस कमरे से बाहर जा पड़े – दूर कहीं बहुत दूर किसी दूसरे देश में।
राजकुमार और हँसोड़िया दोनों ही अपने होश खो चुके थे और उनको यह भी नहीं पता था कि वे थे कहाँ। वे एक जलते हुए रेगिस्तान में पड़े थे।
जब वे दोनों यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि उत्तर किधर है और दक्षिण किधर है, पूर्व किधर है और पश्चिम किधर है तभी वह चैलियो जादूगर वहाँ प्रगट हो गया।
जादूगर चैलियो राजकुमार और ट्रुफ़ालडीनो को यह बताने आया था कि वे इस शाप से कैसे आजाद हो सकते थे। चैलियो ने बताया कि जिन तीन सन्तरों के प्रेम में राजकुमार पड़ गया है वे तीनों सन्तरे एक किले में रखे हैं और वह किला एक रेगिस्तान के बीच में है।
एक डरावना राक्षस उन सन्तरों की रात दिन रखवाली करता है। यह राक्षस दुनियाँ के सबसे ज़्यादा लम्बे पेड़ से भी ज़्यादा लम्बा है और अफ्रीका के तीन हाथियों से भी ज़्यादा ताकतवर है।
यह राक्षस खाना बनाने के पीछे पागल है। अगर कोई अनजाने में भी उसके पास चला जाये तो वह रसोई के चाकू से उस आने वाले को बिना किसी वजह के खच खच करके तुरन्त ही बहुत छोटे छोटे टुकड़ों मे काट देता है।
जब राजकुमार और ट्रुफ़ालडीनो ने उन सन्तरों की खोज में जाने का यह भयानक हाल सुना तो वे बहुत डर गये।
पर जादूगर चैलियो ने अपने कपड़ों की आस्तीन के अन्दर से जादू की एक छड़ी निकाली जिसके एक सिरे पर पाँच अलग अलग रंगों के रिबन लगे हुए थे। वे सारे रिबन एक घंटी के बजने पर हवा में नाच उठते थे जो उस जादू की छड़ी में लगी हुई थी।
जादूगर चैलियो ने उनको तसल्ली दी और कहा — “जब तक तुम इस जादू की छड़ी से उस राक्षस का ध्यान बँटा सकते हो तब तक तुम लोगों को उन सन्तरों को लेने की चिन्ता करने की कोई जरूरत नहीं है।
और इस जादू की छड़ी से तुम उतनी देर तक उस राक्षस का ध्यान उन सन्तरों पर से हटा सकते हो जितनी देर में तुम उनको वहाँ से ले कर भाग सकते हो।”
फिर उसने उनको चेतावनी दी कि इस बात का ध्यान रखना कि अगर तुम उन सन्तरों को लेने में कामयाब हो जाओ तो उनको पानी के पास ही तोड़ना।
जादूगर चैलियो से वह जादू की छड़ी ले कर वे दोनों उस किले को ढूँढने चले। जल्दी ही उनको वह किला मिल गया। हिम्मत बटोरते हुए वे दोनों उस किले में दबे पाँव दाखिल हुए।
पाँच सात मिनट में ही उन्होंने उस राक्षस रसोइये को ढूँढ लिया। उनको देखते ही वह उन पर गरजा — “आहा, क्या ही बहादुर लोग आज मेरी रसोई में आये हैं। तुम लोग ठीक समय पर आये हो। मुझे अपना सूप बनाने के लिये बहुत अच्छा माँस चाहिये था। अब मैं तुम्हारे माँस से अपना सूप बनाऊँगा।”
राजकुमार ने जल्दी में तुरन्त ही जादू की वह छड़ी हिला दी। तुरन्त ही वह राक्षस उस छड़ी के हिलते हुए रिबनों और बजती हुई घंटी से अपने होश खो बैठा और उस जादू की छड़ी की तरफ देखता ही रह गया।
ट्रुफ़ालडीनो तुरन्त ही उस राक्षस के पास से गुजरा और बिजली की सी तेज़ी से वहाँ रखे उसके तीनों सन्तरे उठा लिये और उनको अपनी जेब में डाल लिया।
सन्तरे अपनी जेब में डालने के बाद उसने राजकुमार की बाँह खींची और बोला — “चलो चलो, जल्दी चलो।” और फिर बिजली की सी तेज़ी से ही वे दोनों उस किले के बाहर निकल कर अपनी जान बचा कर भाग लिये।
जब वे अपने घर जाने वाले रास्ते पर आये तो अचानक ही उन सन्तरों में कुछ बदलाव आने लगा। वे सन्तरे साइज़ में बड़े होते जा रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे कि वे ज़िन्दा हों।
कुछ ही देर में वे इतने बड़े हो गये कि वे ट्रुफ़ालडीनो की जेब से निकल कर सड़क पर नीचे लुढ़कने लगे। और अब वे इतने बडे. हो गये थे कि राजकुमार और ट्रुफ़ालडीनो दोनों को उन लुढ़कते हुए सन्तरों को पकड़ कर रखने में बड़ी ताकत लगानी पड़ रही थी।
सूरज की कड़ी धूप से नीचे रेगिस्तान की रेत बुरी तरह से जल रही थी। ट्रुफ़ालडीनो थकान और प्यास की वजह से उन सन्तरों को वहीं छोड़ने को तैयार था।
वह बोला — “चलो, इन सन्तरों को भूल जाओ। हम इनको यहीं छोड़े देते हैं।” हालाँकि राजकुमार भी उतना ही थका और प्यासा था पर फिर भी वह उन सन्तरों को छोड़ने के लिये तैयार नहीं था क्योंकि उसके वे प्यारे सन्तरे छोड़े जाने के लायक थे ही नहीें।
वह तो वैसे भी जादूगरनी फ़ैटा मौरगैना के शाप के असर में था इसलिये भी वह उन सन्तरों को बहुत प्यार करता था।
वह थोड़ा रुक कर बोला — “हम इनको यहाँ इस तरह अकेले नहीं छोड़ सकते।”
फिर उसने एक पल के लिये कुछ सोचा और बोला ऐसा करते हैं कि हम थोड़ी देर के लिये यहाँ कहीं आराम कर लें फिर चलेंगे। ऐसा कह कर वह सन्तरों के साये में ही लेट गया और सो गया।
पर ट्रुफ़ालडीनो तो सारा पसीने से भीगा हुआ था। वह गुस्से से में बुड़बुड़ाया — “इस भट्टी में कोई कैसे सो सकता है? मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे मैं इस गरमी में ज़िन्दा ही भुन रहा हूँ। मैं तो गरमी में भुन भुन कर चमड़ा हो गया हूँ, पानी कहाँ से लाऊँ?”
यह कह कर उसने उन परेशान करने वाले सन्तरों की तरफ देखा तो एक अजीब सा विचार उसके मन में आया। और उस विचार के साथ ही वह हँस पड़ा जैसे उसने कोई बड़ा इनाम जीत लिया हो।
अपने विचार पर खुश हो कर उसने अपने आपसे कहा — “मैं बस एक सन्तरा खा लूँ। वही मुझे इस गरमी और प्यास से बचाने के लिये काफी रहेगा।”
उस समय दरबार के उस हँसोड़िये की निगाहों में वे तीन बड़े और पके सन्तरे किसी शाही पकवान से कम नहीं थे।
वह धीरे से एक सबसे पास वाले सन्तरे के पास गया जिसके पीछे राजकुमार लेटा हुआ सो रहा था और उस सन्तरे को छीलना शुरू कर दिया।
पौप। उसका छिलका तो हाथ लगाते ही अपने आप फट गया और उसमें से रसीला गूदा नहीं बल्कि एक सुन्दर सी राजकुमारी बाहर निकल कर आ गयी और उस सन्तरे का छिलका जमीन पर चारों तरफ बिखर गया। वह राजकुमारी ट्रुफ़ालडीनो की तरफ देख रही थी।
बाहर निकलते ही वह राजकुमारी बोली — “ओ भले आदमी, मेहरबानी करके मुझे पानी दो वरना मैं प्यास से मर जाऊँगी।”
ट्रुफ़ालडीनो जो कुछ अभी उसकी ऑखों के सामने हुआ था उसको देखते हुए आश्चर्यचकित होता हुआ बोला — “मगर मेरे पास तो पानी नहीं है। मैं तो खुद ही प्यासा हूँ।”
सो उस राजकुमारी की प्यास बुझाने के लिये पानी पाने के लिये जल्दी में उसने दूसरा सन्तरा छील दिया।
पौप। पहले सन्तरे की तरह से इस सन्तरे का छिलका भी अपने आप ही फट गया और इसमें से भी एक राजकुमारी निकल आयी और इस सन्तरे का छिलका भी जमीन पर चारों तरफ बिखर गया।
इस राजकुमारी ने भी बाहर निकल कर कहा — “ओ भले आदमी, मेहरबानी करके मुझे पानी दो वरना मैं प्यास से मर जाऊँगी।”
अब तो ट्रुफ़ालडीनो को इस बात का बिल्कुल भी अन्दाजा नहीं था कि वह इस मुसीबत से कैसे छुटकारा पाये। वह यह सोच ही रहा था कि वह क्या करे कि इतने में वे दोनों राजकुमारियाँ मर कर जमीन पर गिर पड़ीं।
वह हँसोड़िया ट्रुफ़ालडीनो रो पड़ा और चिल्लाया — “ओह मेरे भगवान, मेरी सहायता करो। यह सब कैसे हो गया? मुझे यह सब क्यों देखना पड़ा?
मैं तो एक सादा सा शाही हँसोड़िया हूँ जिसका काम लोगों को हँसाना है। मैं तो ऐसी मौत देखने के लिये पैदा नहीं हुआ था। और कोई दूसरा भी ऐसी चीज़ का सामना कैसे कर सकता था। मुझे यहाँ से चले जाना चाहिये और आज जो कुछ भी यहाँ हुआ है उसे भूल जाना चाहिये।”
और यह कह कर वह वहाँ से खोये हुए बच्चे की तरह रोता हुआ भाग लिया।
ट्रुफ़ालडीनो के रोने की आवाज सुन कर और जो कुछ भी उसके आस पास हो रहा था उसको महसूस करके राजकुमार की ऑख खुल गयी। उसने पूछा — “यह सब यहाँ क्या हो रहा है?”
और जैसे ही उसने दो मरी हुई राजकुमारियों को अपने से कुछ गजों की दूरी पर जमीन पर पड़े देखा तो वह तो बहुत ही डर गया।
वह अपने आपसे ही बोला — “हे भगवान। दो मरी हुई राजकुमारियाँ? किसी ने मुझे कभी सिखाया ही नहीं कि इस दशा में मुझे क्या करना चाहिये। अब यह राजकुमार क्या करे?”
डरे हुए और प्यासे राजकुमार ने तीसरे और आखिरी सन्तरे की तरफ देखा तो उसका रस पीने के लिये उसके मुँह से लार टपकने लगी।
आखिर जब उससे नहीं सहा गया तो वह अपने प्यारे सन्तरे को छीलने पर मजबूर हो गया। पौप। उस सन्तरे का छिलका भी अपने आप फट कर खुल गया और उसमें से एक तीसरी राजकुमारी बाहर निकल आयी।
बाहर निकल कर वह राजकुमारी बोली — “मेरा नाम निनैटा[11] है। मुझे थोड़ा पानी चाहिये।”
राजकुमारी को देख कर राजकुमार का दुखी चेहरा खुशी से खिल उठा। वह बोला — “तुम इतनी सुन्दर हो कि मैं तो तुमको देखते ही प्यार करने लगा हूँ। क्या तुम मुझसे शादी करोगी?”
राजकुमारी बोली — “हाँ, मैं तुमसे शादी करूँगी पर मैं तुमसे इस पोशाक में शादी नही कर सकती। तुम पहले महल जाओ और मेरे लिये मेरे पहनने लायक कपड़े ले कर आओ।”
राजकुमार खुश हो कर बोला — “अच्छा तुम यहीं मेरा इन्तजार करो मैं तुम्हारे लिये शाही कपड़े ले कर अभी आता हूँ।” और यह कह कर वह अपने महल की तरफ भाग गया।
राजकुमार को जाये हुए अभी बहुत देर नहीं हुई थी कि रेगिस्तान की चिलचिलाती हुई धूप और उसकी गरमी से वह सूखी हुई राजकुमारी धीरे धीरे सुकड़ने लगी जैसे किसी सन्तरे का रस निकल जाने के बाद सन्तरा निचुड़ा हुआ सा दिखायी देता है।
तभी अचानक एक जादू सा हुआ और उस जादू से हँसोड़ियों का एक समूह पानी से भरे हुए बरतन और बालटियाँ लिये हुए उसको बचाने के लिये वहाँ प्रगट हो गया। वहाँ आ कर उन्होंने उसको पानी पिलाया।
उसे पानी पिला कर वे हँसोड़िये वहाँ से चले गये। लेकिन जैसे ही वे हँसोड़िये वहाँ से गये कि फ़ैटा मौरगैना ने दोबारा वहाँ आने का विचार किया और हवा के एक झोंके के साथ वह वहाँ आ पहुँची।
वह बोली — “हुँह, मुझे खुशी का अन्त[12] अच्छा नहीं लगता। राजकुमार को तो कपड़े मिल ही चुके हैं। वह और राजा और उनका शाही जुलूस बस किसी समय भी आता ही होगा। तो मुझे कोई और तरीका सोचना पड़ेगा जिससे कि मैं उनकी खुशियाँ रोक सकूँ।”
और उसने अपना कोई बुरा जादू डालने के लिये कुछ बुड़बुड़ाना शुरू कर दिया। देखते देखते वह राजकुमारी एक चूहे में बदल गयी। फिर उसने अपने उसी नौकर राक्षस को राजकुमारी के कपड़े पहना दिये और उसको वहाँ खड़ा कर दिया।
जब महल से वह शाही जुलूस आया तो राजा जिसने असली राजकुमारी को पहले कभी देखा नहीं था उस जादूगरनी के जादू के धोखे में आ गया और फ़ैटा मौरगैना के नौकर राक्षस को ही वह राजकुमारी समझ बैठा जिसके लिये राजकुमार शाही कपड़े ले कर आया था।
पर राजकुमार जानता था कि वहाँ कुछ तो था जो गड़बड़ था। वह चिल्लाया — “नहीं नहीं, यह राजकुमारी मेरी राजकुमारी निनैटा नहीं है। यह इतनी बदसूरत कैसे हो गयी?”
यह सुन कर राजा बोला — “हूँ, ऐसा ही सही कि यह वह नहीं है जिसको मैं सुन्दर कहूँगा पर अब तो तुमको इसी से शादी करनी पड़ेगी क्योंकि एक राजकुमार को तो अपना वायदा निभाना ही चाहिये।”
और फिर वह उस जादूगरनी के उस नौकर राक्षस की तरफ घूमा और बोला — “प्रिय राजकुमारी, अगर तुम्हारी इच्छा हो तो तुम हमारे साथ आओ।”
बेचारे राजकुमार के पास कोई और चारा नहीं था सिवाय इसके कि वह अपने पिता और अपनी होने वाली पत्नी के पीछे पीछे महल वापस जाता। वह बहुत दुखी था और अपने लिये बहुत पछता रहा था।
सब लोगों के पहुँचते ही महल में राजकुमार की शादी की तैयारियाँ होने लगीं। पर जैसे ही राजा अपने सिंहासन पर बैठने को था कि जरा सोचो कि वहाँ उसके बैठने पहले उस सिंहासन पर क्या था? एक चूहा।
राजा चिल्लाया — “चूहा।”
जादूगर चैलियो ने उन सब लोगों को पीछे किया जिनकी चीखों की आवाज से सारा कमरा गूँज रहा था। वह जल्दी से उस चूहे को देखने के लिये उस चूहे के सामने आया।
उसने भी कुछ जादू के शब्द बड़बड़ाये और उसके जादू के असर से वह चूहा तो वहाँ से गायब हो गया और असली राजकुमारी निनैटा अपनी पूरी सुन्दरता के साथ वहाँ प्रगट हो गयी।
राजकुमार खुशी से चिल्ला पड़ा — “आखिर मुझे अपनी प्यारी राजकुमारी मिल ही गयी।”
आखिर में जादूगरनी फ़ैटा मौरगैना की चाल का सारा कच्चा चिठ्ठा खुल गया। वह और उसका नौकर राक्षस महल से ही नहीं बल्कि राज्य से भी बाहर निकाल दिये गये।
राजा ने राजकुमार की राजकुमारी से शादी करते हुए खुश हो कर सन्तुष्ट होते हुए कहा — “बहुत अच्छे, मुझे तो खुशी का अन्त ही अच्छा लगता है।”
खुशी के उस हल्ले गुल्ले में नाटक देखने वालों के सामने पैन्टैलून फिर प्रगट हुआ और बोला — “चाहे ऑसू खुशी के हों या गम के, हम सब आगे बढ़ते रहते हैं। एक अच्छे नाटक का ऐसा अन्त होना चाहिये जो एक दूसरे नाटक की शुरूआत को जन्म दे। सो विदा। हम फिर मिलेंगे।”
[1] City of Canals
[2] Colosseum
[3] “Italian Folktales: collected and retold by Italo Calvino’. Translated by George Martin. San Diego, Harcourt Brace Jovanovich, Publishers. 1980. 300 p.
[4] “Italy Ki Lok Kathayen-1” – 15 folktales (No 1-18), by Sushma Gupta in Hindi languge
“Italy Ki Lok Kathayen-2” – 17 folktales (No 19-40), by Sushma Gupta in Hindi language
“Italy Ki Lok Kathayen-3” – 10 folktales (No 41-61), by Sushma Gupta in Hindi language
“Italy Ki Lok Kathayen-4” – 11 folktales (No 62-84), by Sushma Gupta in Hindi language
“Italy Ki Lok Kathayen-5” – 18 folktales (No 85-126), by Sushma Gupta in Hindi language
“Italy Ki Lok Kathayen-6” – 13 folktales (No 129-150), by Sushma Gupta in Hindi language
“Italy Ki Lok Kathayen-7” – 12 folktales (No 151-164), by Sushma Gupta in Hindi language
“Italy Ki Lok Kathayen-8” – 14 folktales (No 165-182), by Sushma Gupta in Hindi language
“Italy Ki Lok Kathayen-9” – 15 folktales (No 183-200), by Sushma Gupta in Hindi language
[5] Crane, Thomas Frederick. “Popular Italian Folktales”. London. 1885. Contains 109 tales.
Available free on the following Web Sites :
http://www.surlalunefairytales.com/authors/crane.html And https://books.google.ca/books?id=RALaAAAAMAAJ&pg=PR1&redir_esc=y#v=onepage&q&f=false
[6] The Love for Three Oranges – a story adapted from the book “The Love for Three Oranges”, by Sergei Prokofiev. Grimm Press. 2006. 30 p. A 1-story picture book.
Because this book is based on a play that is why some dramatic effect may be seen.
[It is a famous Italian fairy tale written by Giamattista Basile in the Pentamerone. It may be found with the title “The Three Citrons”. It has a variant too – “The Love of Three Pomegranates”.]
[7] Pentaloon is the clown
[8] Truffaldino jester
[9] Chelio wizard and Fata Morgana witch – Fata Morgana witch is a famous witch of Italy. She is mentioned in several other stories also. She is famous character of Italian folktales.
[10] Translated for the words “A pair of bellows” – a pair of bellows is a device constructed to furnish a strong blast of air. The simplest type consists of a flexible bag comprising a pair of rigid boards.
[11] Ninetta – name of the girl appearing from the orange
[12] Translated for the words “Happy ending”
------------
सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः - रैवन की लोक कथाएँ, इथियोपिया व इटली की ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
COMMENTS