देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–3 : इटली की लोक कथाएँ–3 संकलनकर्ता सुषमा गुप्ता Cover Page picture: Colosseum, Rome, Italy Published ...
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–3 :
इटली की लोक कथाएँ–3
संकलनकर्ता
सुषमा गुप्ता
Cover Page picture: Colosseum, Rome, Italy
Published Under the Auspices of Akhil Bhartiya Sahityalok
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Map of Italy
विंडसर, कैनेडा
मार्च 2016
Contents
सीरीज़ की भूमिका 4
इटली की लोक कथाएं - 3 5
1 जीसस और सेन्ट पीटर फ्रियूली में 7
2 जादू की अॅगूठी 33
3 राजकुमारी जिसको कभी पेट भर अंजीर नहीं मिलीं 48
4 तीन कुत्ते 58
5 चाचा भेड़िया 73
6 जानवरों का राजा 78
7 नमक की तरह प्यारा 91
8 सोने के तीन पहाड़ों की रानी 103
9 सात सिर वाला राक्षस 114
10 सोती हुई रानी 141
लोक कथाएँ किसी भी समाज की संस्कृति का एक अटूट हिस्सा होती हैं। ये संसार को उस समाज के बारे में बताती हैं जिसकी वे लोक कथाएँ हैं। आज से बहुत साल पहले, करीब 100 साल पहले, ये लोक कथाएँ केवल ज़बानी ही कही जातीं थीं और कह सुन कर ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दी जाती थीं इसलिये किसी भी लोक कथा का मूल रूप क्या रहा होगा यह कहना मुश्किल है।
आज हम ऐसी ही कुछ अंग्रेजी और कुछ दूसरी भाषा बोलने वाले देशों की लोक कथाएँ अपने हिन्दी भाषा बोलने वाले समाज तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। इनमें से बहुत सारी लोक कथाएँ हमने अंग्रेजी की किताबों से, कुछ विश्वविद्यालयों में दी गयी थीसेज़ से, और कुछ पत्रिकाओं से ली हैं और कुछ लोगों से सुन कर भी लिखी हैं। अब तक 1200 से अधिक लोक कथाएँ हिन्दी में लिखी जा चुकी हैं। इनमें से 400 से भी अधिक लोक कथाएँ तो केवल अफ्रीका के देशों की ही हैं।
इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि ये सब लोक कथाएँ हर वह आदमी पढ़ सके जो थोड़ी सी भी हिन्दी पढ़ना जानता हो और उसे समझता हो। ये कथाएँ यहाँ तो सरल भाषा में लिखी गयी है पर इनको हिन्दी में लिखने में कई समस्याएँ आयी है जिनमें से दो समस्याएँ मुख्य हैं।
एक तो यह कि करीब करीब 95 प्रतिशत विदेशी नामों को हिन्दी में लिखना बहुत मुश्किल है. चाहे वे आदमियों के हों या फिर जगहों के। दूसरे उनका उच्चारण भी बहुत ही अलग तरीके का होता है। कोई कुछ बोलता है तो कोई कुछ। इसको साफ करने के लिये इस सीरीज़ की सब किताबों में फुटनोट्स में उनको अंग्रेजी में लिख दिया गया हैं ताकि कोई भी उनको अंग्रेजी के शब्दों की सहायता से कहीं भी खोज सके। इसके अलावा और भी बहुत सारे शब्द जो हमारे भारत के लोगों के लिये नये हैं उनको भी फुटनोट्स और चित्रों द्वारा समझाया गया है।
ये सब कथाएँ “देश विदेश की लोक कथाएँ” नाम की सीरीज के अन्तर्गत छापी जा रही हैं। ये लोक कथाएँ आप सबका मनोरंजन तो करेंगी ही साथ में दूसरे देशों की संस्कृति के बारे में भी जानकारी देंगी। आशा है कि हिन्दी साहित्य जगत में इनका भव्य स्वागत होगा।
सुषमा गुप्ता
मई 2016
इटली की लोक कथाएँ–3
इटली देश यूरोप महाद्वीप के दक्षिण पश्चिम की तरफ स्थित है। पुराने समय में यह एक बहुत ही शक्तिशाली राज्य था। रोमन साम्राज्य अपने समय का एक बहुत ही मशहूर राज्य रहा है। उसकी सभ्यता भी बहुत पुरानी है – करीब 3000 साल पुरानी। इसका रोम शहर 753 बीसी में बसाया हुआ बताया जाता है पर यह इटली की राजधानी 1871 में बना था। इटली में कुछ शहर बहुत मशहूर हैं – रोम, पिसा, फ्लोरैन्स, वेनिस आदि। यहाँ की टाइबर नदी बहुत मशहूर है। यूरोप में लोग केवल लन्दन, पेरिस और रोम शहर ही घूमने जाते हैं।
रोम में कोलोज़ियम और वैटिकन अजायबघर सबसे ज़्यादा देखे जाते हैं। पिसा में पिसा की झुकती हुई मीनार संसार का आदमी द्वारा बनाये गये आठ आश्चर्यों में से एक है। इटली का वेनिस शहर नहरों में बसा हुआ एक शहर[1] है। इस शहर में अधिकतर लोग इधर से उधर केवल नावों से ही आते जाते हैं। यहाँ कोई कार नहीं है कोई सड़क पर चलने वाला यातायात का साधन नहीं है, केवल नावें हैं और नहरें हैं। शायद तुम्हें मालूम नहीं होगा कि असल में वेनिस शहर कोई शहर नहीं है बल्कि 118 द्वीपों को पुलों से जोड़ कर बनाया गया है इसलिये ये नहरें भी नहरें नहीं हैं बल्कि समुद्र का पानी है और वह समुद्र का पानी नहर में बहता जैसा लगता है।
इटली का रोम कैसे बसा? कहते हैं कि रोम को बसाने वाला वहाँ का पहला राजा रोमुलस था। रोमुलस और रेमस दो जुड़वॉ भाई थे जो एक मादा भेड़िया का दूध पी कर बड़े हुए थे। दोनों ने मिल कर एक शहर बसाने का विचार किया पर बाद में एक बहस में रोमुलस ने रेमस को मार दिया और उसने खुद राजा बन कर 7 अप्रैल 753 बीसी को रोम की स्थापना की। इटली के रोम शहर में संसार का मशहूर सबसे बड़ा कोलोज़ियम[2] है जहाँ 5000 लोग बैठ सकते हैं। पुराने समय में यहाँ लोगों को सजाएँ दी जाती थीं।
इटली में ही वैटीकन सिटी है जो ईसाई धर्म के कैथोलिक लोगों का घर है पर यह एक अपना अलग ही देश है। वहाँ इसके अपने सिक्के और नोट हैं। इसकी अपनी सेना है। पोप इस देश का राजा है। इसका अजायबघर बहुत मशहूर है। यह संसार का सबसे छोटा देश है क्षेत्र में भी और जनसंख्या में भी – 842 आदमी केवल .4 वर्ग मील के क्षेत्र में बसे हुए।
इटली की बहुत सारी लोक कथाएँ हैं। इटली की सबसे पहली लोक कथाएँ 1550 में ल्खिाी गयी थीं। इतालो कैलवीनो[3] का लोक कथाओं का यह संग्रह इटैलियन भाषा में 1956 में संकलित करके प्रकाशित किया गया था। इनका सबसे पहला अंग्रेजी अनुवाद 1962 में छापा गया। उसके बाद सिलविया मल्कही[4] ने इनका अंग्रेजी अनुवाद 1975 में प्रकाशित किया। फिर मार्टिन ने इनका अंग्रेजी अनुवादों 1980 में किया। ये लोक कथाएँ हम मार्टिन की पुस्तक से ले कर अपने हिन्दी भाषा भाषियों के लिये यहाँ हिन्दी भाषा में प्रस्तुत कर रहे हैं। आशा है कि ये लोक कथाएँ तुम लोगों को पसन्द आयेंगी।
इतालो ने इस पुस्तक में 200 लोक कथाएँ संकलित की हैं। हमने उन 200 लोक कथाओं में से 125 लोक कथाएँ चुनी हैं। फिर भी क्योंकि वे बहुत सारी लोक कथाएँ हैं इसलिये वे सब पढ़ने की आसानी के लिये एक ही पुस्तक में नहीं दी जा रही हैं। इससे पहले हमने “इटली की लोक कथाएँ–1”[5] और “इटली की लोक कथाएँ–2”[6] पुस्तकें प्रकाशित की थी जिन दोनों में हमने वहाँ की क्रमशः 15 और 17 लोक कथाएँ प्रकाशित की थीं। तुम सब लोगों को यह जान कर प्रसन्नता होगी कि वे दोनों ही पुस्तकें बहुत पसन्द की गयीं।
तो अब यह प्रस्तुत है तुम्हारे हाथों में इटली की लोक कथाओं का तीसरा संकलन – “इटली की लोक कथाएँ–3”। इस संकलन में हम उस पुस्तक की नम्बर 41 से 61 तक की 10 लोक कथाएँ प्रकाशित कर रहे हैं। हमें आशा ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि यह तीसरा संकलन भी तुम लोगों को पहले दो संकलनों की तरह बहुत पसन्द आयेगा और मजेदार लगेगा।
1 जीसस और सेन्ट पीटर फ्रियूली में[7]
जीसस और सेन्ट पीटर की यहाँ छोटी छोटी चार लोक कथाएँ दी जा रही हैं जो इटली के फ्रियूली प्रान्त[8] में बहुत मशहूर हैं।
1 सेन्ट पीटर जीसस[9] से कैसे मिला
एक बार की बात है कि एक बहुत ही गरीब आदमी था जिसका नाम था पीटर। वह मछली पकड़ कर अपना गुजारा करता था।
एक दिन मछली पकड़ कर जब वह घर पहुँचा तो बहुत थक गया था। उस दिन उसको कोई मछली भी नहीं मिली थी। उसको और भी ज़्यादा बुरा तब लगा जब उस दिन उसकी पत्नी ने उसके लिये शाम का खाना भी नहीं बनाया था।
वह बोली — “आज मैं खाने के लिये सारा दिन इधर उधर तो देखती रही पर बनाने के लिये मुझे कुछ मिला ही नहीं और तुम्हें मालूम है कि हमारे पास पैसे तो हैं नहीं जो मैं कहीं से कुछ खरीद लाती।”
पीटर बोला — “पर बिना खाना खाये मुझे नींद कैसे आयेगी? जल्दी कर मुझे कुछ खाने के लिये दे।”
“घर में तो आज कुछ भी नहीं है पीटर। अगर तुम चाहो तो हम लोग पास वाले खेत पर जा सकते हैं जहाँ बहुत अच्छी अच्छी बन्द गोभियॉ लगी हुई हैं। वहाँ से हम उनको तोड़ कर ला सकते हैं।”
“पर मैं चोरी करना नहीं चाहता।”
“तब तो हमको आज बिना खाना खाये ही रहना पड़ेगा।”
“क्या कहा तूने? बन्द गोभी? क्या हम दोनों साथ साथ जा कर उनको ला सकते हैं?”
पीटर की पत्नी बोली — “हाँ हाँ क्यों नहीं। कोई हम लोगों को देखे नहीं इसके लिये हम ऐसा करेंगे कि एक आदमी एक तरफ से जाये और दूसरा आदमी दूसरी तरफ से।”
पीटर बोला “यह ठीक है।” और दोनों बन्द गोभी लाने के लिये खेत की तरफ चल दिये। पीटर ने एक सड़क ली और उसकी पत्नी ने दूसरी सड़क ली।
जब पीटर खेत की तरफ जा रहा था तो उसे सफेद बालों[10] और भूरी ऑखों वाला एक आदमी मिला। वह सड़क के किनारे लकड़ी के एक लठ्ठे पर बैठा हुआ था।
पीटर ने उसको देख कर सोचा “यह अजनबी यहाँ बैठा क्या कर रहा है?”
सो उसने उस अजनबी से पूछा — “ओ भले आदमी, तुम यहाँ बैठे क्या कर रहे हो?”
वह आदमी बोला — “मैं यहाँ लोगों को यह सिखाने के लिये बैठा हुआ हूँ कि कोई बुरा काम नहीं करना चाहिये . . .।”
पीटर ने तुरन्त सोचा — “ओ मेरे भगवान, यह तो लगता है कि मुझे ही इशारा करके यह कह रहा है।”
वह अजनबी आगे बोला — “ . . . और अगर उन्होंने कोई खराब काम किया तो उसके लिये बाद में उनको पछताना पड़ेगा।”
यह बात तो पीटर के दिमाग में ही नहीं घुसी सो वह अजनबी को बीच में ही वहीं छोड़ कर आगे बढ़ गया पर उस अजनबी के शब्द उसके कानों में बहुत देर तक गूँजते रहे।
खेत पर पहुँचने पर उसको एक स्त्री का साया वहाँ घूमता हुआ दिखायी दिया। वह उस खेत के मालिक की पत्नी का साया था।
पीटर ने उसको देखा तो वह डर गया। वह बोला — “खेत के मालिक की पत्नी का साया? उफ़ मैं तो यहाँ से तुरन्त ही भागता हूँ।”
और बस पीटर वहाँ से तुरन्त ही भाग लिया।
वह पौधों, गड्ढों और हैजैज़[11] को फांदता हुआ भागा चला जा रहा था। वह भागता भागता सीधा घर पहुँचा। उस अजनबी के शब्द अभी भी उसके कानों में गूँज रहे थे “उसके लिये बाद में उनको पछताना पड़ेगा।”
जैसे ही वह घर में घुसा उसने झाड़ू उठायी और अपनी पत्नी को उससे मारना शुरू कर दिया — “तो तू मुझे एक चोर बनाना चाहती थी, ओ कमीनी औरत।”
पत्नी चिल्लायी — “पीटर, भगवान के लिये मुझे माफ कर दो। क्या तुम्हें पता है कि मैं भी उस खेत से कुछ नहीं चुरा सकी क्योंकि उसी समय खेत का मालिक वहाँ आ गया था और मुझे अपनी जान बचा कर वहाँ से भागना पड़ा।”
“और मुझे उसकी पत्नी ने डराया, ओ कमीनी औरत। तू तो मुझे चोर ही बनाना चाहती थी। मैं यहाँ से जा रहा हूँ और अब जा कर पश्चाताप करूँगा।”
और वह वहाँ से भाग लिया उस अजनबी को ढूँढने के लिये जिसके शब्द अब तक उसके कानों में गूँज रहे थे “उसके लिये बाद में उनको पछताना पड़ेगा।” उसने जल्दी ही उस अजनबी को पकड़ लिया और जा कर उसको अपनी सारी कहानी कह सुनायी।
अजनबी बोला — “हाँ पीटर यह तुमने ठीक किया कि तुम मेरे पास चले आये। पर मैं तुमको यह बता दूँ कि वह साया जो तुमने खेत पर देखा था वह साया खेत के मालिक की पत्नी का नहीं था बल्कि वह तुम्हारा अपना ही साया था। और क्योंकि तुम खराब काम करने जा रहे थे इसलिये तुम उस साये को पहचान नहीं सके।
आओ तुम मेरे साथ आओ। तुम तो मेरे सबसे अच्छे दोस्त और मेरा दाँया हाथ हो जाओगे। मैं लौर्ड हूँ।” और पीटर उस अजनबी के पीछे पीछे चल दिया।
[1] City of Canals
[2] Colosseum
[3] “Italian Folktales: collected and retold by Italo Calvino. Translated by George Martin. San Diego, Harcourt Brace Jovanovich, Publishers. 1980. 300 p.
[4] Sylvia Mulcahy
[5] “Italy Ki Lok Kathayen-1” – 15 folktales (No 1-18), by Sushma Gupta in Hindi languge
[6] “Italy Ki Lok Kathayen-2” – 17 folktales (No 19-40), by Sushma Gupta in Hindi language
[7] Jesus and St Peter in Friuli (Story No 41) – a folktale from Italy from its Friuli Province.
Adapted from the book “Italian Folktales”, by Italo Calvino”. Translated by George Martin in 1980.
[8] Friuli, or Friuli-Venezia Giulia, is one of the 20 regions of Italy, and one of five autonomous regions with special statute. Its capital is Trieste. Venice, is not in this region as its name indicates. It has an area of 7,858 km² and about 1.2 million inhabitants. The name of the region was spelled Friuli–Venezia Giulia until 2001.
[9] Translated for the word “Lord”.
[10] Translated for the words “Blond Hair”. Blond hair is of white color.
[11] Hedges are the low walls made by growing special plants, so thick that even a bird cannot pass through it. See its picture above.
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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं की एक अन्य पुस्तक - रैवन की लोक कथाएँ में से एक लोक कथा यहाँ पढ़ सकते हैं. इथियोपिया व इटली की बहुत सी अन्य लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.
(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)
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