Sanjay Jha Mastan ने ’व्यंग्य की जुगलबंदी’ के बहाने लिखना शुरु किया। व्यंग्य की जुगलबंदी-37 में उनका मार्मिक व्यंग्य – मैं टॉपर कैसे बना :...
Sanjay Jha Mastan ने ’व्यंग्य की जुगलबंदी’ के बहाने लिखना शुरु किया। व्यंग्य की जुगलबंदी-37 में उनका मार्मिक व्यंग्य – मैं टॉपर कैसे बना :
बचपन में मेरे लिए पका हुआ गर्म खाना बहुत बड़ी लालच थी ! गरीबी की वजह से मैं भूखा रहता, इसी के चलते मेरी माँ मुझे स्कूल भेज देती ! स्कूल के मिड डे मील में रोज पके -पकाये भोजन का लालच एक आशीर्वाद के रूप में मेरे काम आ गयी ! मुफ्त खाने के लिए मैं स्कूल जाता था और खाने में छुपी हुई योजना के मुताबिक खाना खाते - खाते मैं चमत्कारिक रूप से पढ़ना भी सीख गया !
मिड डे मील के कैलोरी का हिसाब किताब रखने के चक्कर में मैं आने, खाने और जाने से ऊपर उठ गया ! दो दूनी चार का पहाड़ा मैंने अपने भूखे पेट की अंतड़ियों से सीखा था ! वो खाली होने पर गुड़ - गुड़ दो, दो दूनी गड़ - गड़ चार करती ! मैं अपने एक हाथ को मुंह तक ले जाता और खाने का इशारा करते हुए दो तिया छह कहता ! गुरूजी ये देख कर कक्षा में मुझे खूब शाबाशी देते ! दू चौके आठ कहते हुए गुरुजी अपने बज्र हाथों को मेरी पीठ पर धम से पटक देते और खूब हँसते ! उनकी हंसी से मिल कर मेरी पीठ पर पड़े धौल का दर्द मेरे चेहरे पर फ़ैल जाता ! दू पंचे दस कहता हुआ मैं दर्द से बिलबिला कर बैठ जाता ! मेरे दस कहते ही दस ग्राम तेल सब्जी में डाल दिया जाता ! ये गिनती मिड डे मील के खाने की मात्रा की थी जो गुरूजी मुझसे खाना बनवाते हुए पढ़वाते ! ये मेरी गणित की कक्षा थी ! मिड डे मील की कैलोरी गणना के साथ स्कूल मेरे लिए भूख, दर्द और गुरूजी का ठहाका था, पर आग पर पकते हुए खाने की गंध मेरा सब दुःख हर लेती !
14 घंटे · Bhusawal, Maharashtra ·
मैं टॉपर कैसे बना
#व्यंग्यकीजुगलबंदी #कालाहास्य #sanjayjhamastan
१.
टॉपर होने का अधिकार सबके पास है ! फिर हमारे बीच इतने कम टॉपर्स क्यों हैं ? मैं स्कूल से घर लौटते समय रोज यही सोचता था ! एक ही बात जब आप कई बार सोचते हैं तो बार - बार सोचने से सोची हुई बातें दिमाग में बार - बार जनम कर मरती हैं ! इच्छा नहीं पूरी होने पर दिमाग में जनम कर बार - बार मरने से बातें भूत बन जाती है और सोचने वाले की दिमाग पर सवार हो जाती है ! मुझ पर टॉपर बनने का भूत सवार हो गया था !
' किस बात में टॉपर बनना है ? ' मेरी ज़िद से हार कर एक रात भूत ने मुझसे पूछा !
' मुझे तो बस टॉपर बनना है ! कोई भी बात हो मुझे कोई फरक नहीं पड़ता ! ' मैंने तपाक से जवाब दिया !
' तुम्हारा विषय क्या है ?'
' जो कुछ स्कूल में होता है वही मेरा विषय है !'
' स्कूल में क्या होता है ?'
' स्कूल में हम खाना बनाते हैं !'
' तो तुम्हे खाना बनाने में टॉप करना है ?'
' नहीं, मुझे खाना खाने में टॉप करना है !'
भूत का आश्चर्य भरा चेहरा शायद मुझसे पहले किसी ने नहीं देखा हो ! आश्चर्य से भूत का चेहरा पाकिस्तान के नक़्शे सा डरावना हो गया था ! भूत के चेहरे के नक़्शे में कश्मीर से पानी चूने लगा ! खाने का नाम सुन कर गाँव के भूतों के मुंह में भी पानी आ जाता है !
२.
बचपन में मेरे लिए पका हुआ गर्म खाना बहुत बड़ी लालच थी ! गरीबी की वजह से मैं भूखा रहता, इसी के चलते मेरी माँ मुझे स्कूल भेज देती ! स्कूल के मिड डे मील में रोज पके -पकाये भोजन का लालच एक आशीर्वाद के रूप में मेरे काम आ गयी ! मुफ्त खाने के लिए मैं स्कूल जाता था और खाने में छुपी हुई योजना के मुताबिक खाना खाते - खाते मैं चमत्कारिक रूप से पढ़ना भी सीख गया !
मिड डे मील के कैलोरी का हिसाब किताब रखने के चक्कर में मैं आने, खाने और जाने से ऊपर उठ गया ! दो दूनी चार का पहाड़ा मैंने अपने भूखे पेट की अंतड़ियों से सीखा था ! वो खाली होने पर गुड़ - गुड़ दो, दो दूनी गड़ - गड़ चार करती ! मैं अपने एक हाथ को मुंह तक ले जाता और खाने का इशारा करते हुए दो तिया छह कहता ! गुरूजी ये देख कर कक्षा में मुझे खूब शाबाशी देते ! दू चौके आठ कहते हुए गुरुजी अपने बज्र हाथों को मेरी पीठ पर धम से पटक देते और खूब हँसते ! उनकी हंसी से मिल कर मेरी पीठ पर पड़े धौल का दर्द मेरे चेहरे पर फ़ैल जाता ! दू पंचे दस कहता हुआ मैं दर्द से बिलबिला कर बैठ जाता ! मेरे दस कहते ही दस ग्राम तेल सब्जी में डाल दिया जाता ! ये गिनती मिड डे मील के खाने की मात्रा की थी जो गुरूजी मुझसे खाना बनवाते हुए पढ़वाते ! ये मेरी गणित की कक्षा थी ! मिड डे मील की कैलोरी गणना के साथ स्कूल मेरे लिए भूख, दर्द और गुरूजी का ठहाका था, पर आग पर पकते हुए खाने की गंध मेरा सब दुःख हर लेती !
३.
मैं खाने की लालच में मिड डे मील के राशन की बोरियों को बैलगाड़ी से अपने कंधों पर उठाकर एक कमरे में रखता ! ये मेरी खेल की कक्षा थी ! गुरूजी खेल - खेल में मुझसे सभी बोरियाँ ढुलवा लेते ! इस खेल से मेरी पीठ की हड्डी दुखती पर कंधे और घुटने मजबूत हो गए !
रोज सुबह मेरा स्कूल एक रसोईघर बन जाता ! कूक के नाम पर बाबुओं के फाइलों और रजिस्टरों में साल भर धान की बुआई चलती जिसकी वजह से कुक खाना बनाने मेरे स्कूल में कभी नहीं आते ! मैं और गुरूजी मिल कर खाना पकाते और खाते ! मुझे मिड डे मील का मेनू कैलोरी सहित याद था और पुरानी किताबों को फाड़ के ईंधन तैयार करने में मुझे समय नहीं लगता था ! गुरूजी की मार खाते हुए मैं खाने के पकते ही खाना खाने को तैयार हो जाता !
मिड - डे मील योजना की शुरुआत करने के पीछे एक मकसद ये भी था कि बच्चे भोजन मिलने की वजह से स्कूल जाने में रुचि दिखाएंगे ! भोजन और पढ़ाई को एक साथ जोड़कर देखा गया ! मिड डे मील की व्यवस्था में भोजन और पढ़ाई को एक साथ जोड़कर देखने वाले को सदा मेरा सादर प्रणाम रहेगा ! शिक्षा और भोजन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जिसे सरकार उछालती है और स्कूल में गुरूजी के साथ उसे मैं लूटता हूँ !
स्कूल में दोपहर के भोजन से सामाजिक समरसता भी कायम होती है ! सभी बच्चे बिना किसी भेदभाव के साथ बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं ! बच्चों में स्कूल के चौकीदार कुत्ते के छः बच्चे भी शामिल हैं ! कुत्ते के बच्चे भी हमारे साथ खाते हैं ! यह एक बहुत बड़ा सामाजिक बदलाव है, जिसकी जरूरत भारत को है ! ये मिड डे मील की उपयोगिता है ! जो सामाजिक समरसता को बढावा दे रहा है ! मुझे इस बात का अफ़सोस है कि सरकारी स्कूलों को लेकर आज भी अभिभावकों के मन में अच्छी सकारात्मक सोच नहीं है ! दुःख की बात है जो भारतीय परिवार थोड़े सी भी अच्छी आय वाले हैं, उनके बच्चे प्राइवेट स्कूलों में ही शिक्षा प्राप्त करते हैं !
४.
मिड डे मील स्कीम में लोहे, फोलिक एसिड, जस्त और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों के आपूर्ति की सिर्फ परिकल्पना की जाती है ! मिड डे मील की थाली में इन सब तत्वों की भीड़ नहीं होती ! गुरूजी को साफ़ थाली पसंद है ! मैं अपने हिस्से की छः रुपये अठारह पैसे की अपनी साढ़े चार सौ कैलोरी के भोजन को इतनी लगन से खाता कि मेरे खाने के बाद थाली में कुत्ते तक के लिए चाटने को कुछ नहीं बचता !
मेरी कक्षा में मेरा प्रतिद्वंदी खूंखार था ! उसके बड़े नाख़ून और पैने दांत थे ! मुझे अपना खाना उससे लड़ के जीतना पड़ता था ! जिस दिन मैं खाने में टॉपर बना उस दिन आलू और सोयाबीन की तरी वाली सब्ज़ी और रोटी बनी थी ! उस दिन ये तब की बात है जब मैंने सिर्फ सब्जी खाई थी, वह भी बारह ग्राम प्रोटीन के छः सोया बीन के दाने में से सोयाबीन के दो दाने मेरी मुंह में गए थे ! तभी कुत्ते ने मेरी रोटी पर पंजा मार दिया ! नज़र हटी और दुर्घटना घटी ! एक सौ ग्राम गेहूं की दोनों रोटी कुत्ते की मुंह में थी !
प्राकृतिक रूप से खाना छीनने के लिए कुत्ता मुझसे ज्यादा प्रशिक्षित था ! उसके मुंह में मेरी रोटी फंस गयी थी ! उसकी गर्म आँखों में भूख का एक तूफ़ान था जिसे मैं बहुत देर तक नहीं रोक सकता था ! वो मेरी रोटी किसी भी वक़्त निगल जाता ! मुझे अपना स्टेटस दिख गया था ! मैं कुत्तों से प्यार करता हूं, और मैं कभी भी कुत्तों को चोट नहीं पहुंचा सकता ! हमारे बीच एक सौ ग्राम का खाद्य अनाज था जिसकी मुझे भी बड़ी जरुरत थी ! मुझे बहुत भूख लगी थी ! मुझे अपनी बुद्धि से अपना भोजन कुत्ते से बचा कर आज टॉपर बनना था !
तभी एक बिल्ली वहाँ से गुजरी ! बिल्ली को मैंने अनदेखा कर दिया ! बिल्ली मुझे एक नियमित शिकार की तरह देखती ! बिल्ली को मेरी शिक्षा, स्कूल और सबकुछ जो स्कूल में मेरे साथ होता उसे बस नाटक लगता ! मैंने बिल्ली की आँख में बार बार यही पढ़ा था ! शरीर की भाषा को पढ़ने में हम दोनों के गुरु एक ही थे !
' हिम्मत मत हारो - हिम्मत मत हारो ' मुझ पर टॉपर होने का सवार भूत बार बार यही कह रहा था ! भूत की ये बात मेरा ध्यान भंग कर रही थी ! मैंने एक पल के लिए अपने भूत को झटक के उतारा ! भूत को ये अच्छा नहीं लगा और टॉपर बनने का भूत कुत्ते पर सवार हो गया ! अब सब परिस्थितियों का खेल था ! कुत्ता काफी बुद्धिमान था ! अधिकांश कुत्तों को पीछे की ओर जाने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया जाता है, इसलिए वे तेजी से संतुलन और स्थिरता खो देते हैं ! इस कुत्ते में मौके को देखकर आगे और पीछे जाने की अद्भुत क्षमता थी ! कुत्ते का ध्यान खाने से हटाने के लिए मैं कभी बन्दर तो कभी खरगोश की तरह उछलता रहा ! खाने की गंध ने हम दोनों को बाँध दिया था ! हमारी नज़रें लॉक हो गयी थीं ! मैं उछला तो वो भी उछला ! मुझे खाने पर से कुत्ते का ध्यान हटाने के लिए अजीब, अप्रत्याशित और अराजक नृत्य करना पड़ा ! मैंने बैक अप लिया कुत्ते ने भी बैक अप लिया ! मैं नीचे झुका वो भी नीचे झुका ! इस बिंदु पर अब हम दोनों में से किसी एक को टॉपर होना था !
सौभाग्य से रोटी पर एक मक्खी आ कर बैठ गयी ! कुत्ते की नज़र मक्खी की वजह से एक पल के लिए ही भटकी ! बस मैंने तपाक से अपनी रोटी कुत्ते की मुँह से छीन ली ! कुत्ता हार गया ! मैं जीत गया और टॉपर हो गया !
५.
अपने स्कूल में अगर आप टॉपर नहीं बन पाए थे तो मेरे टॉपर होने की कहानी को पढ़ कर आप को अपने टॉपर नहीं बनने का अब कभी बुरा नहीं लगेगा !
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(संजय झा मस्तान के फ़ेसबुक पोस्ट से साभार)
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्म दिवस : ख्वाजा अहमद अब्बास और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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