डॉ. जयन्ती प्रसाद नौटियाल प्रस्तावना : विश्व स्तर पर हिन्दी की स्थिति के बारे में यह शोध 1981 में शुरु हुआ था और सन् 1997 में इस...
डॉ. जयन्ती प्रसाद नौटियाल
प्रस्तावना :
विश्व स्तर पर हिन्दी की स्थिति के बारे में यह शोध 1981 में शुरु हुआ था और सन् 1997 में इसकी शोध रिपोर्ट भारत सरकार राजभाषा विभाग की पत्रिका "राजभाषा भारती" में " हिन्दी एक अन्तर्राष्ट्रीय भाषा है " नामक शीर्षक से प्रकाशित हुई । इस प्रकाशन के उपरान्त सन् 2005 में इसकी विस्तृत रिपोर्ट विश्व भर में अनेक समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई, जिसका सम्पूर्ण विश्व में स्वागत हुआ व साथ ही सराहना हुई एवं इस शोध को मान्यता प्राप्त हुई। विश्व के अधिकांश विद्वानों व भाषाविदों ने इस तथ्य को स्वीकार कर लिया कि विश्व में हिन्दी जानने वाले सर्वाधिक हैं तथा मंदारिन दूसरे स्थान पर है । यह शोधकार्य भारत सरकार के प्रतिलिप्याधिकार पंजीयक (Registrar of copyright, Govt. of India) के पास पंजीयन क्रमांक L-26910/2006 पर मेरे नाम से पंजीकृत है ।
मेरे शोध के संबंध में कुछ प्रतिक्रियाएँ :
विश्व में इन्टरनैट जैसे माध्यमों से इस शोध के प्रकाशित होने पर विश्व समुदाय के अनेक विद्वानों ने इसे सराहा तथा इसकी प्रामाणिकता एवं सत्यता को स्वीकारा , लेकिन चीन के एक पोर्टल पर इस शोध पर विश्व समुदाय से अभिमत माँगे गए । इस पोर्टल पर मैंने निरंतर निगरानी रखी ताकि कोई प्रतिकूल टिप्पणी या कोई स्पष्टीकरण माँगा जाए तो मैं उसका उत्तर दे सकूँ, लेकिन इस पोर्टल पर किसी भी विद्वान ने इस तथ्य को नकारा नहीं बल्कि आश्चर्य व्यक्त किया कि हिन्दी इतनी व्यापक व लोक प्रिय है यह उन्हें पहली बार इस शोध से मालूम हुआ ।
भारत और लंदन के कुछ विद्वानों ने हिन्दी और उर्दू को समान भाषा मानने से इंकार किया लेकिन मैंने उन्हें बताया कि शब्दावली एवं वाक्य रचना तथा व्याकरण इन दोनों ही भाषाओं का समान है, यह अलग भाषा नहीं बल्कि हिन्दी का हिन्दुस्तानी स्वरूप है। अतः इसे एक ही भाषा के अंतर्गत माना जाएगा । भाषा वैज्ञानिक नियमों के अनुसार भी विश्व भर में यही भाषाओं के वर्गीकरण का सिद्धांत है ।
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अब तक प्रस्तुत शोध रिपोर्टों का सार :
हिन्दी विश्व में सबसे अधिक बोली व समझी जाती है तथा यह विश्व की सबसे लोक प्रिय भाषा है, यह मैंने अपनी शोध में सिद्ध किया है । इस शोध को समय-समय पर अद्यतन किया जाता रहा है ताकि हर दो तीन साल के कालखण्ड में भाषा गत परिदृश्य में आए परिवर्तनों को रेखांकित किया जा सके । अब तक प्रकाशित हुई शोध रिपोर्टों का सार निम्नवत् है :
(आँकड़े मिलियन में)
शोध रिपोर्ट का वर्ष | विश्व में हिन्दी जानने वाले | विश्व में चीनी जानने वाले | अंतर |
शोध रिपोर्ट 1997 | 800 | 730 | +70 |
शोध रिपोर्ट 2005 | 1022 | 900 | +122 |
शोध रिपोर्ट 2007 | 1023 | 920 | +103 |
शोध रिपोर्ट 2009 | 1100 | 967 | +133 |
शोध रिपोर्ट 2012 | 1200 | 1050 | +150 |
शोध रिपोर्ट 2015 | 1300 | 1100 | +200 |
स्रोत: डॉ. जयन्ती प्रसाद नौटियाल द्वारा किया गया शोध अध्ययन सन् 2015 (अनुमानित)
यह शोध रिपोर्टें इस बात का प्रमाण हैं कि हिन्दी जानने वालों की संख्या विश्व में सबसे अधिक हैं तथा यह निरंतर बढ़ती जा रही है । इससे यह सिद्ध होता है कि हिन्दी विश्व की सबसे लोक प्रिय भाषा है ।
हिन्दी विश्व में सबसे लोकप्रिय भाषा :
' हिन्दी विश्व में सबसे लोकप्रिय भाषा है ' - यह तथ्य भी निर्विवाद रूप से सिद्ध हो चुका है । इस तथ्य को अब अधिकांश विद्वान स्वीकार करने लगे हैं । इसका एक प्रमाण यह भी है कि भारत के प्रधान मंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ सहित विश्व के अनेक देशों में अपना व्याख्यान हिन्दी में ही दिया, यह व्याख्यान सम्पूर्ण विश्व में लोगों ने बड़े चाव से सुना व समझा । आदरणीय मोदी जी के सम्मान में इन कार्यक्रमों को भी हिन्दी में ही प्रसारित किया गया था । हिन्दी भाषा की लोकप्रियता और उसका प्रभा मंडल केवल भारत या भारत के पड़ोसी देशों तक ही सीमित नहीं है बल्कि सुदूर कैरेबियाई राष्ट्रों तक फैला है, मारीशस, फीजी, गुयाना, सूरीनाम, ट्रिनिडाड और टोबेगो जैसे देशों में यह राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित है । इतना ही नहीं बल्कि इंडोनेशिया, अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका और खाड़ी के देशों में हिन्दी बहुत लोकप्रिय है । विश्व की 18% जनता हिन्दी जानती है। इसलिए अनेक देश अपने प्रिंट मीडिया और इलैक्ट्रानिक मीडिया में हिन्दी को स्थान दे रहे हैं । इतना ही नहीं भारतीय फिल्में और टी.वी चैनलों के कार्यक्रम भी विश्व के कई देशों में चाव से देखे जाते हैं ।
सार्वभौमीकरण और हिन्दी :
नब्बे के दशक के उपरान्त जब उदारीकरण व सार्वभौमीकरण अर्थात लिबरलाइज़ेशन एवं ग्लोबेलाइज़ेशन का दौर भारत में चला तब ज्यादातर विचारकों का मत था कि ग्लोबेलाइज़ेशन से भारत के आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य में आमूचूल परिवर्तन हो जाएगा । आर्थिक दृष्टि से विदेशी पूँजीवाद फिर से शुरु हो जाएगा तथा हमारा सांस्कृतिक ताना-बाना ध्वस्त होकार पूरी तरह विदेशी संस्कृति हम पर हावी हो जाएगी व हमारी भारतीय भाषाएँ तथा विशेषतः हिन्दी विलुप्त प्रायः हो जाएगी । हिन्दी व भारतीय भाषाओं का स्थान अंग्रेजी ले लेगी । परन्तु यह हर्ष का विषय है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ जैसा कि पूर्वानुमान लगाया जा रहा था । यह सत्य सिद्ध नहीं हुआ.......!
ऐसा ही चिंतन उस दौर में भी आया था जब भारत में कम्प्यूटरों का आगमन हुआ था । अर्थात् 1980 के दशक से यह चिंतन चलने लगा था और लोगों को यही भय सता रहा था । परन्तु भारत में भाषा प्रौद्योगिकी ने काफी विकास किया है तथा आज हम; सब काम हिन्दी में व क्षेत्रीय भाषाओं में करने में सक्षम हैं। सोशियल मीड़िया में भी हिन्दी काफी तेज़ी से आगे बढ़ रही है ।
अंग्रेजी परस्त मानसिकता व यथार्थ :
आधुनिकता के इस दौर में भारतीय जन मानस को कुछ नफासत पसंद और अंग्रेजी मानसिकता के लोग यह कह कर भ्रमित कर रहे थे कि अब बिना अंग्रेजी जाने भारतीयों का कोई भविष्य नहीं है । यह नितांत हास्यास्पद है तथा यथार्थ इसके विपरीत है। इस दौर में हिन्दी भाषा का इतना विकास हुआ कि स्टार चैनल के रूर्पट मार्डोक को अपने स्टार कार्यक्रमों की पी आर पी बढ़ाने के लिए हिन्दी में लाना पड़ा क्योंकि अंग्रेजी कार्यक्रमों के दर्शक भारत में तो बहुत कम हैं तथा विश्व में भी अंग्रेजी चैनल देखने वालों की संख्या निरंतर गिरती जा रही है । हिन्दी का वर्चस्व निरंतर बढ़ता ही जा रहा है तथा आज वह उस मुकाम पर पहुँच गई है जहाँ उसकी लोक प्रियता और ग्राह्यता को कोई अन्य भाषा चुनौती नहीं दे सकती है । हिन्दी आज विश्व में मनोरंजन की दुनिया में सबसे आगे है। यही कारण है कि सोनी , जी टी वी, डिस्कवरी चैनल, विदेशी "कार्टून कार्यक्रम" भी भारत में व हमारे पड़ोसी देशों में हिन्दी में प्रसारित होने लगे हैं ।
भारत की सांस्कृतिक विरासत और हिन्दी :
भारत की सांस्कृतिक विरासत इतनी व्यापक है कि विश्व में इसकी तुलना किसी अन्य सभ्यता और संस्कृति से नहीं की जा सकती है । आपको मालूम ही होगा कि भारतीय वेद अर्थात ऋग्वेद को अंतर्राष्ट्रीय थाती(धरोहर) का दर्जा तो पहले ही मिल चुका था । अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 175 देशों के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को "अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस" के रूप में मान्यता दी है । "10 जनवरी " संसार के कई देशों में "विश्व हिन्दी दिवस" के रूप में मनाया जाता है। भारत और हिन्दी दोनों का वर्चस्व विश्व स्तर पर दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। यह हमारे लिए गर्व का विषय है ।
हिन्दी की लोकप्रियता और आर्थिक एवं राजनैतिक प्रभाव :
हिन्दी संख्या बल से विश्व में सबसे अधिक है परन्तु संयुक्त राष्ट्र संघ की अधिकृत भाषाओं में इसको स्थान नहीं मिल पाया है । इसका प्रमुख कारण यह है कि आर्थिक शक्ति और राजनैतिक शक्ति हिन्दी से प्रत्यक्षतः नहीं जुड़ी थी, जब कि भारत में ही परोक्ष रूप में हिन्दी ही राजनैतिक शक्ति व आर्थिक शक्ति का आधार पहले से ही रही है। आज स्थितियाँ बेहतर हो गई हैं। हिन्दी के पास प्रत्यक्षतः राजनैतिक शक्ति भी है और आर्थिक शक्ति भी ......!! अतः इस परिदृश्य में हिन्दी की लोकप्रियता में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है ।
विश्व में हिन्दी शिक्षण एवं प्रशिक्षण का प्रभाव :
विश्व में हिन्दी की लोकप्रियता को देखते हुए विश्व के 150 से अधिक देशों में हिन्दी शिक्षण एवं प्रशिक्षण के अनेक शिक्षण माध्यम शुरु हो गए हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि विश्व में हिन्दी के प्रति अधिक झुकाव है । हिन्दी अध्यापन; अनेक हिन्दी समितियों, हिन्दी संस्थाओं द्वारा चलाया जा रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा भी हिन्दी अध्ययन हेतु हिन्दी शिक्षण योजना चलाई जा रही है। विश्व के अनेक विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्व विद्यालयों में हिन्दी का अध्ययन-अध्यापन तेज़ी से चल रहा है। भारत में केन्द्र सरकार के प्रयासों व स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रयासों से हिन्दी सीखने वालों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। इसे निम्न लिखित तालिका से समझा जा सकता है ।
क्षेत्र | कुल जन संख्या | हिन्दी जानने वाले | प्रतिशत |
क – क्षेत्र (हिन्दी भाषी राज्य) | 60,72,26,843 | 60,72,26,843 | 100 % |
ख – क्षेत्र (हिन्दी और प्रांतीय भाषा का समान स्तर) | 20,82,78,328 | 18,74,50,495 | 90.00 % |
ग - क्षेत्र | 44,86,85,821 | 20,74,54,095 | 46.00 % |
कुल – संपूर्ण भारत | 1,26,41,90,992 | 1,00,21,31,433 | 79.27 % |
भारत को छोड़कर अन्य देश | 5,95,64,09,008 | 29,64,86,562 | 4.97 % |
विश्व की कुल जन संख्या | 7,22,06,00,000 | 1,29,86,17,995 | 17.98 % |
( पूर्णांकित ) | 7,22,06,00,000 | 1,30,00,00,000 | 18.00 % |
स्रोत: डॉ. जयन्ती प्रसाद नौटियाल द्वारा किया गया शोध अध्ययन सन् 2015(अनुमानित)
विस्तृत जानकारी के लिए अनुबंध- 1 एवं 2 देखें ।
मंदारिन बनाम हिन्दी :
सम्पूर्ण विश्व में यह प्रचारित किया जाता है कि मंदारिन सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है जब कि सत्य यह है कि सम्पूर्ण विश्व में मंदारिन जानने वाले 2015 के आँकड़ों के अनुसार सिर्फ 1100 मिलियन हैं । चीन की सरकारी भाषा मंदारिन है तथा चीन में कुल जन संख्या का 70 % भाग ही मंदारिन जानता है । चीन की वर्तमान जन संख्या 1360 मिलियन है । इसका अर्थ यह है कि चीन में मंदारिन जानने वाले केवल 950 मिलियन हैं व 150 मिलियन अन्य देशों में हैं । यह ध्यातव्य कि यह संख्या सन् 2012 में 1050 मिलियन थी । अतः इसमें 50 मिलियन की वृद्धि हुई है । हिन्दी की लोकप्रियता व इसके अग्रणी होने की स्थिति इससे भी आँकी जा सकती है कि वर्ष 2012 में इसे जानने वालों की संख्या 1200 मिलियन थी । यह 2015 में प्रचुर बढ़ोत्तरी से यह 1300 मिलियन हो गई है अर्थात मंदारिन से 200 मिलियन ज्यादा । अंग्रेजी को तो सभी स्त्रोतों से सभी बोलियों को जोड़ने पर भी यह आँकड़ा अधिकतम 1000 मिलियन तक बडी मुश्किल से पहुँचता है ।
हिन्दी के संबंध में एक साधारण सी गणना नीचे दी जा रही है। :
1. | भारत में हिन्दी जानने वाले | 1023 मिलियन |
2. | पाकिस्तान में हिन्दी जानने वाले | 165 मिलियन |
3. | बंगलादेश में हिन्दी जानने वाले | 59 मिलियन |
4. | नेपाल में हिन्दी जानने वाले | 25 मिलियन |
4 राष्ट्रों में हिन्दी जानने वालों का योग | 1272 मिलियन | |
5. | विश्व के अन्य राष्ट्रों में हिन्दी जानने वाले | 28 मिलियन |
संपूर्ण विश्व में हिन्दी जानने वाले | 1300 मिलियन |
स्रोत: डॉ. जयन्ती प्रसाद नौटियाल द्वारा किया गया शोध अध्ययन सन् 2015(अनुमानित)
युवा भारत की आत्मा और पहचान है हिन्दी :
आनेवाले समय में हमारा " युवा भारत " विश्व की महाशक्ति बनने जा रहा है। इसलिए हिन्दी के प्रति विश्व स्तर पर लोकप्रियता में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है । इस प्रवृत्ति से सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि निकट भविष्य में हिन्दी को संयुक्त संघ की अधिकृत भाषा के रूप में भी महत्व मिलेगा व यह "विश्व भाषा" के पद पर भी आसीन होगी । भारत में तो हर भारतीयों के दिल और आत्मा में इसको स्वीकार्यता मिल चुकी है । ' हिन्दी विरोध ' बीते कल की बात हो चुकी है । समस्त दक्षिण भारत में हिन्दी धीरे-धीरे सम्पर्क भाषा का ध्वज धारण किए आगे बढ़ती जा रही है । यह आनेवाले समय का संकेत है। धार्मिक स्थलों, पर्यटन स्थलों पर तो हिन्दी पहले से ही लोक प्रिय थी । अब हिन्दी, द्योग, व्यापार, शिक्षा एवं मनोरंजन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान ले चुकी है। भारत की युवा पीढ़ी की पसंदीदा भाषा हिन्दी ही है । आज भारत की युवा पीढ़ी भाषा के मामले में व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाती है। अतः यह हिन्दी की लोकप्रियता बढ़ाने में और भी अधिक सहायक होगी ।
संयुक्त राष्ट्र संघ की अधिकृत भाषाएँ :
संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के समय चीनी, अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी एवं स्पेनिश ही अधिकृत भाषाएँ थी। 18 दिसम्बर 1973 से इसमें अरबी भाषा भी जोड़ दी गई इस प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ में 6 अधिकृत भाषाएँ हो गई ।
यह सबसे बड़े दुख की बात है कि विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र की भाषा हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थान नहीं दिया गया । संयुक्त राष्ट्र संघ की अधिकृत भाषाओं पर एक नज़र डालें :
(संख्या मिलियन में)
क्रम सं. | भाषा | मातृ भाषा | अर्जित भाषा | कुल भाषा भाषी |
1. | अरबी | 235 | 225 | 460 |
2. | चीनी | 950 | 150 | 1100 |
3. | अंग्रेजी | 350 | 650 | 1000 |
4. | फ्रेंच | 70 | 60 | 130 |
5. | रूसी | 148 | 112 | 260 |
6. | स्पेनिश | 332 | 63 | 395 |
कुल | 2035 | 1260 | 3345 | |
उक्त तालिकानुसार हिन्दी की स्थिति | ||||
हिन्दी | 619 | 681 | 1300 |
स्रोत : डॉ. जयन्ती प्रसाद नौटियाल द्वारा किया गया शोध अध्ययन सन् 2015( आँकड़े अनुमानित)
संयुक्त राष्ट्र संघ की अधिकृत भाषाओं का औचित्य :
इन भाषाओं को अधिकृत किए जाने के पीछे तर्क यह है कि इनको प्रथम भाषा (मातृ भाषा) द्वितीय भाषा के रूप में बोलने वालों की संख्या 3.34 बिलियन है । यह संपूर्ण विश्व की जन संख्या का लगभग आधा हिस्सा है तथा संसार की आधे से अधिक राष्ट्रों में ये भाषाएँ प्रचलित हैं । यदि इन भाषाओं में हिन्दी भी जोड़ दी जाए तो यह संख्या 4.64 बिलियन हो जाएगी तथा यह विश्व की सम्पूर्ण आबादी के 64.26 % भाग का प्रतिनिधित्व करेगी ।
अब बारी हिन्दी की है । विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र की भाषा को संयु्क्त राष्ट्र संघ की अधिकृत भाषा का दर्जा मिलना ही चाहिए ।
अनुबंध -1
भारत में हिन्दी जानने वालों की संख्या
संशोधित राजभाषा नियम के अनुसार "क" क्षेत्र
क्र.स. | राज्य/संघ शासित क्षेत्र | कुल जन संख्या | हिन्दी जानने वाले | हिन्दी जाने वालों का % |
1 | अंडमान एवं निकोबार | 3,82,783 | 3,82,783 | 100 |
2 | बिहार | 10,97,42,591 | 10,97,42,591 | 100 |
3 | छत्तीसगढ़ | 2,65,08,463 | 2,65,08,463 | 100 |
4 | दिल्ली | 1,67,50,767 | 1,67,50,767 | 100 |
5 | हरियाणा | 2,64,44,965 | 2,64,44,965 | 100 |
6 | हिमाचल प्रदेश | 70,35,401 | 70,35,401 | 100 |
7 | झारखंड | 3,33,13,459 | 3,33,13,459 | 100 |
8 | मध्य प्रदेश | 7,60,70,288 | 7,60,70,288 | 100 |
9 | राजस्थान | 7,20,55,927 | 7,20,55,927 | 100 |
10 | उत्तराखंड | 1,00,53,951 | 1,00,53,951 | 100 |
11 | उत्तर प्रदेश | 22,88,68,248 | 22,88,68,248 | 100 |
कुल : ' क ' क्षेत्र | 60,72,26,843 | 60,72,26,843 | 100% |
संशोधित राजभाषा नियम के अनुसार "ख " क्षेत्र
12 | चंडीगढ़ | 10,95,994 | 9,86,394 | 90 |
13 | दादर एवं नगर हवेली | 3,77,138 | 3,39,424 | 90 |
14 | दमण एवं दीव | 2,69,631 | 2,42,668 | 90 |
15 | गुजरात | 6,30,89,998 | 5,67,80,998 | 90 |
16 | महाराष्ट्र | 11,66,33,162 | 10,49,69,846 | 90 |
17 | पंजाब | 2,68,12,405 | 2,41,31,165 | 90 |
कुल : 'ख ' क्षेत्र | 20,82,78,328 | 18,74,50,495 | 90 % |
संशोधित राजभाषा नियम के अनुसार "ग " क्षेत्र
18 | आन्ध्र प्रदेश | 8,80,98,809 | 4,40,49,405 | 50 |
19 | अरुणाचल प्रदेश | 14,44,741 | 5,05,659 | 35 |
20 | असम | 2,98,27,735 | 1,19,31,094 | 40 |
21 | गोवा | 15,20,609 | 11,40,457 | 75 |
22 | जम्मू एवं कश्मीर | 1,30,76,372 | 1,11,14,916 | 85 |
23 | कर्नाटक | 6,08,37,239 | 3,04,18,620 | 50 |
24 | केरल | 3,48,57,060 | 1,56,85,677 | 45 |
25 | लक्षद्वीप | 66,006 | 19,802 | 30 |
26 | मणिपुर | 28,30,843 | 12,73,879 | 45 |
27 | मेघालय | 30,82,207 | 9,24,662 | 30 |
28 | मिजोरम | 11,40,564 | 3,42,169 | 30 |
29 | नागालैंड | 20,01,214 | 4,00,243 | 20 |
30 | उड़ीसा | 3,99,34,980 | 2,19,64,239 | 55 |
31 | पांडिचेरी | 12,44,242, | 2,48,848 | 20 |
32 | सिक्किम | 6,33,072 | 3,79,843 | 60 |
33 | तमिलनाडु | 6,98,45,516 | 1,39,69,103 | 20 |
34 | त्रिपुरा | 037,96,228 | 11,38,868 | 30 |
35 | पश्चिम बंगाल | 9,44,48,384 | 5,19,46,611 | 55 |
कुल : ' ग ' क्षेत्र | 44,86,85,821 | 20,74,54,095 | 46.24 | |
कुल : क + ख + ग | 1,26,41,90,992 | 1,00,21,31,433 | 79.27 |
स्रोत : डॉ. जयन्ती प्रसाद नौटियाल द्वारा किया गया शोध अध्ययन सन् 2015( आँकड़े अनुमानित)
अनुबंध 2
विश्व में हिन्दी जानने वालों की संख्या
क्रम सं | देश | हिंदी जाननेवाले | | क्रम सं | देश | हिंदी जाननेवाले | | क्रम सं | देश | हिंदी जाननेवाले | |
1 | भारत | 1023541490 | 36 | न्यूजीलैंड | 92234 | 71 | अंगोला | 7299 | |||
2 | पाकिस्तान | 165112311 | 37 | मैक्सिको | 90012 | 72 | घाना | 6567 | |||
3 | बांग्लादेश | 59523421 | 38 | तंज़ानिया | 90137 | 73 | निकारागुआ | 6052 | |||
4 | नेपाल | 25234117 | 39 | जमैका | 83100 | 74 | विएतनाम | 6660 | |||
5 | म्यांमार | 3221134 | 40 | इस्राइल | 75016 | 75 | वैनेज़ुएला | 5976 | |||
6 | मलेशिया | 2711212 | 41 | फ्रांस | 70180 | 76 | सूडान | 5832 | |||
7 | यूनाईटेड किंगडम | 2532113 | 42 | पुर्तगाल | 62077 | 77 | सेंट लूसिया | 5759 | |||
8 | अमेरिका | 2212415 | 43 | हांगकांग | 48069 | 78 | प्युरटो रिको | 5788 | |||
9 | दक्षिण अफ्रीका | 1512111 | 44 | अफगानिस्तान | 47170 | 79 | जॉर्डन | 5582 | |||
10 | सऊदी अरब | 1503216 | 45 | स्पेन | 43103 | 80 | पनामा | 5472 | |||
11 | संयुक्त अरब अमीरात | 1431212 | 46 | मोज़ांबीक | 42210 | 81 | इजिप्ट | 5399 | |||
12 | कनाडा | 1254123 | 47 | रूस | 37310 | 82 | साइप्रस | 5087 | |||
13 | मॉरिशस | 887634 | 48 | लीबिया | 31213 | 83 | दक्षिण कोरिया | 3320 | |||
14 | भूटान | 864317 | 49 | मैडागास्कर | 29121 | 84 | डेन्मार्क | 3046 | |||
15 | फ़ीजी | 532126 | 50 | युगांडा | 28226 | 86 | ब्राज़ील | 2579 | |||
16 | त्रिनिडाड और टोबैगो | 484311 | 51 | बोट्सवाना | 26670 | 87 | ताइवान | 2525 | |||
17 | कुवैत | 475166 | 52 | चीन | 25555 | 88 | सीरिया | 2430 | |||
18 | ओमान | 465336 | 53 | पोलैंड | 24666 | 89 | आयरर्लैंड | 2306 | |||
19 | गुयाना | 425125 | 54 | अर्जेंटीना | 23522 | 90 | ज़िंबाब्वे | 2223 | |||
20 | सिंगापुर | 313779 | 55 | ज़ाम्बिया | 22370 | 91 | चेक गणतंत्र | 2471 | |||
21 | कतार | 308083 | 56 | जापान | 21001 | 92 | कज़ाकिस्तान | 1728 | |||
22 | सूरीनाम | 267244 | 57 | स्विट्ज़रलैंड | 19064 | 93 | सीरा लियोन | 1510 | |||
23 | नीदरलैंड | 265343 | 58 | स्वीडेन | 18620 | 94 | इथिओपिया | 1460 | |||
24 | बहरीन | 264312 | 59 | नॉर्वे | 17030 | 95 | वर्जिनिया | 1482 | |||
25 | थाइलैंड | 174313 | 60 | कोरिया | 16300 | 96 | उज़बेकिस्तान | 1444 | |||
26 | केनिया | 159134 | 61 | ऑस्ट्रिया | 14404 | 97 | ईरान | 1362 | |||
27 | ऑस्ट्रेलिया | 121677 | 62 | लेबनान | 12711 | 98 | चिली | 1330 | |||
28 | यमन | 118116 | 63 | सेशेल्स | 12572 | 99 | कोंगो | 1256 | |||
29 | फ़िलीपीन | 109307 | 64 | बेल्जियम | 12639 | 100 | बंगलादेशी शरणार्थी | 373214 | |||
30 | जर्मनी | 102010 | 65 | ब्रुनेई | 11505 | 101 | तिब्बती शरणार्थी | 121690 | |||
31 | इटली | 101301 | 66 | मालदीव | 10600 | 102 | म्यांमार व अफगान शरणार्थी | 101000 | |||
32 | इंडोनेशिया | 101122 | 67 | ग्रीस | 10313 | 103 | शेष 135 देशों में | 100000 | |||
33 | रीयूनियन (फ्रांस) | 101110 | 68 | यूक्रेन | 9108 | कुल हिन्दी जानने वाले | 1298617995 | ||||
(पूर्णांकित) | 1300000000 | ||||||||||
34 | नाइजीरिया | 98411 | 69 | फिनलैंड | 8562 | विश्व की जन संख्या | 7220600000 | ||||
35 | श्रीलंका | 96333 | 70 | इक्वाडोर | 7571 | हिन्दी जानने वालों का % | 18.05 | ||||
( स्रोत: डॉ. जयन्ती प्रसाद नौटियाल द्वारा दिया गया शोध अध्ययन सन् 2015(आँकड़े अनुमानित)
संक्षिप्त जीवन वृत्त (बायोडाटा)
नाम : डॉ जयन्ती प्रसाद नौटियाल उप महा प्रबंधक; कार्पोरेशन बैंक प्रधान कार्यालय, मंगलूर -575 001 कर्नाटक राज्य, भारत वेबसाईट : www.drjpnautiyal.com ई-मेल : dr.nautiyaljp@gmail.com jpn@corpbank.co.in जन्म तिथि : 03.03.1956, जन्म स्थान : देहरादून , (उत्तराखण्ड) |
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कुल योग्यताएँ (शैक्षिक / व्यावसायिक / विविध) | 60 | 60 डिग्री, डिप्लोमा एवं प्रमाण-पत्र प्राप्त मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों / बोर्डों /संस्थानों से अर्जित ( कुल 252 प्रश्न पत्र उत्तीर्ण / पूर्ण किए ) |
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शैक्षिक योग्यता | 11 | 11 डिग्री/डिप्लोमाः इनमें एम.ए हिंदी (स्वर्णपदक), एम.ए (अंग्रेजी), पी.एच.डी(भाषा विज्ञान), डी.लिट, एल.एल.बी आदि शामिल हैं। |
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व्यावसायिक योग्यता | 26 | 26 डिग्री/डिप्लोमाः इनमें एम.बी.ए (बैंकिंग एवं वित्त), सी.ए.आइ.आइ.बी, डी.बी.एम, सी.पी.डी आदि शामिल हैं। |
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विविध प्रशिक्षण | 23 | 21 प्रशिक्षण प्रमाण-पत्रः इन प्रशिक्षणों में विभिन्न प्रकार के 68 विषयों पर प्रशिक्षण लिया व प्रमाण-पत्र प्राप्त। |
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अनुभव | 28 | 28 विभागों/संगठनों में 33 पदों पर सेवा जिनमें पत्रकार, चित्रकार, सम्पादक, रीडर आदि शामिल है तथा कार्पोरेशन बैंक (राष्ट्रीयकृत बैंक) में राजभाषा,क्रेडिट कार्ड प्रभाग, शाखा परिचालन, विपणन, एसोशिएट फैकल्टी, चैनल माइग्रेशन, बैंकाश्यूरैन्स, सरकारी कारोबार, निक्षेपी सेवाएँ,पूँजी बाजार सेवाएँ, डिबेंचर ट्रस्टी सेवाएँ, केन्द्रीकृत पेंशन प्रसंस्करण, नई पेंशन योजना, उगाही एवं भुगतान सेवा जैसे प्रभागों में विभिन्न पदों पर कार्य शामिल हैं। संप्रति कार्पोरेशन बैंक के प्रधान कार्यालयय में उप महा प्रबंधक स्वतंत्र प्रभार पद पर सेवारत हैं। |
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विशिष्ट कार्य | 51 | 51 प्रकार के विशिष्ट दायित्वों का निर्वाह जिनमें पी.एच.डी के परीक्षक, शोध निर्देशक, बोर्ड आफ स्टडीज़ के सदस्य, शिक्षा सलाहकार, बैंकिंग शब्दावली विशेषज्ञ, मुख्य परीक्षा प्रशासक, चयन बोर्ड के सदस्य ,मुख्य बीमा कार्यपालक जैसे कार्य शामिल हैं. |
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साहित्यिक योगदान | 1530
| 55 पुस्तकें प्रकाशित (इनमें अनेक पुस्तकें विश्वविद्यालयों की पाठ्य पुस्तकें/संदर्भ ग्रंथ हैं) (इनमें 30 पुस्तकें स्वयं लिखी व 25 संयुक्त लेखन) 93 पुस्तकों/प्रक्रियात्मक साहित्य का अनुवाद/संयुक्त अनुवाद 13 राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की पत्रिकाओं के अनेक अंकों का सम्पादन 76 राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय संगोष्ठियों में शोध पत्र/आलेख प्रस्तुत (यू.जी.सी/सरकार द्वारा अनुमोदित) 73 कार्यक्रम आकाशवाणी पणजी(गोवा) तथा मंगलूर से प्रसारित 1220 लेख विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित 1530 - कुल साहित्यिक योगदान |
समितियों में प्रतिनिधित्व | 82 | विविध विषयों पर राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय शीर्ष समितियों में विभिन्न भूमिकाओं और दायित्वों का निर्वाह,82 समितियों में प्रतिनिधित्व किया । |
सम्मान/पुरस्कार | 57 | हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार व साहित्यिक योगदान के लिए भारत सरकार एवं प्रतिष्ठित संस्थाओं से 3 अन्तर्राष्ट्रीय 42 राष्ट्रीय तथा 12 राज्य स्तरीय कुल 57 पुरस्कार/सम्मान प्राप्त |
प्रशस्ति-पत्र | 40 | व्यावसायिक दक्षता एवं उत्कृष्ट योगदान के लिए 40 प्रशस्ति-पत्र (Appreciation Letters) प्राप्त |
सम्प्रति | | उप महाप्रबंधक, कार्पोरेशन बैंक (भारत सरकार का अग्रणी उद्यम) कार्पोरेट कार्यालय,पांडेश्वर, मंगलूर , पिन - 575001 ((कर्नाटक राज्य) वेबसाईट : www.drjpnautiyal.com मोबाइल : 9900068722 ई-मेल : dr.nautiyaljp@gmail.com & jpn@corpbank.co.in |
दिनांक : 01.01.2015
स्थान : मंगलूर (डॉ. जयन्ती प्रसाद नौटियाल)
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