विश्व सिनेमा : आरंभ, बदलती तकनीक और तस्वीरें / डॉ. विजय शिंदे

SHARE:

28 दिसंबर, 1895 में आयोजित पहले फिल्मी शो की देन लिमिएर बंधुओं की रही। ‘द अरायव्हल ऑफ अ ट्रेन’ उनकी पहली फिल्म बनी और सिनेमाटोग्राफी मश...

28 दिसंबर, 1895 में आयोजित पहले फिल्मी शो की देन लिमिएर बंधुओं की रही। ‘द अरायव्हल ऑफ अ ट्रेन’ उनकी पहली फिल्म बनी और सिनेमाटोग्राफी मशीन के सहारे बाद में उन्होंने कई छोटी-छोटी फिल्मों को दिखाना शुरू किया। उनके इन दृश्यों में कॅमरा एक ही जगह पर सेट करके फिल्मांकन होता था, उसमें कई कमियां थी परंतु पूरे विश्व में विविध जगहों पर हो रहे उनके प्रदर्शन और उसे देख विद्वान और लोगों के आकर्षण तथा आश्चर्य का कोई पारावार नहीं था। इन फिल्मों का प्रदर्शन होता था उससे पहले विभिन्न देशों के अखबारों और उन शहरों में उसका प्रचार-प्रसार जोरशोर से होता था कि आपके शहरों मे सदी के सबसे बड़े चमत्कार का प्रदर्शन होने जा रहा है। इसका परिणाम यह हुआ कि शौकिन, जिनके पास पैसा था वे, कौतुहल रखनेवाले, वैज्ञानिक, पत्रकार, चिंतक, साहित्यकार तथा सभी वर्गों के लोग इस चमत्कार को आंखों से देखने तथा उसका साक्षी होने के लिए उपस्थित रहा कर रहे थे और सच मायने में चकित भी हो रहे थे। तभी वैज्ञानिक, चिंतक, इस विषय में रुचि रखनेवालों के साथ बाकी सब ने भी यह पहचान लिया था कि इसतरह से परदे पर चलते-फिरते चित्रों को देखना सच्चे मायने में अद्भुत है और इस तकनीक में असीम संभावनाएं भी है, भविष्य में यह तकनीक सचमुच सदी का सबसे बड़ा चमत्कार और अद्भुत खोज साबित होगी बता रही थी। आज विश्व सिनेमा जिन स्थितियों में है उससे आरंभ के समीक्षक और विद्वानों ने कहीं बात की सच्चाई साबित भी होती है। आज सिनेमा का भविष्य और ताकतवर, उज्ज्वल होने की संभावनाएं दिख रही है। नवीन तकनीकों के चलते सामान्य लोगों तक वह और बेहतर रूप में आसानी के साथ पहुंचेगा।

मूक फिल्मों से सवाक फिल्मों तक का सफर तय करते तथा आरंभिक सिनेमाई विकास की गति धीमी थी। इसके तकनीकों को लेकर शोध जारी था। आरंभिक तीस-पैंतीस सालों तक इसके विकास और तकनीक परिवर्तन की गति भी धीमी थी पर लोगों में उत्साह ज्यादा था। जैसे ही फिल्मों में कहानी ढली तथा आवाज के साथ संगीत जुड़ा और वह रंगीन हो गया तब मानो सिनेमा में चार चांद लग गए। इसके बाद सिनेमा के विकास और तकनीकों में भी अद्भुत परिवर्तन आ गया। आज विश्व सिनेमा में जितनी भी बड़ी खोज हो चुकी वह सारी भारतीय सिनेमा जगत में देखी जा सकती है। उससे हम कल्पना कर सकते हैं कि 1895 से 1930 तक का सिनेमाई सफर धीरे-धीरे और वहां से आगे आज-तक 85 वर्षों में कितना परिवर्तित हो गया। सरसरी नजर से कहे तो केवल पचास वर्षों में इसमें इतना परिवर्तन आ गया कि जिससे पूरी दुनिया चकित है। मनुष्य की ज्यादा से ज्यादा लंबी जिंदगी सौ वर्ष भी मानी जाए तो सिनेमा निर्माण और उसका चरम पर पहुंचना एक इंसान के लिए उसकी आंखों देखी है। आज-कल तो यह तकनीकें इतनी आसान हो गई है कि आप केवल कॅमरे और कंप्युटर के बलबूते पर बहुत और बहुत अच्छी फिल्म बना सकते हैं। ईरानी नव सिनेमा के प्रणेता जाफर पनाहिने इसका उदाहरण है। ‘द व्हाईट बलुन’ (1995), ‘द सर्कल’ (2000), ‘ऑफसाईड’ (2006) जैसी ईरानी फिल्में उन्होंने बनाई तो न केवल उनके देश में तो विश्व सिनेमा में मानो धमाका हो गया। जिन विषयों और तकनीकों को उन्होंने उठाया उससे उनकी सरकार परेशान हो गई उन पर फिल्में बनाने के लिए पाबंदी लगवाई गई। फिर भी नए तकनीकों के सहारे बिना पैसा लगाए उन्होंने पाबंदी के बावजूद भी इसे बनना जारी रखा। ‘दिस इज नॉट अ फिल्म’ (2011), ‘क्लोज्ड कर्टन’ (2013) जैसी फिल्मों ने इनके दिमाग के तारों को खोल दिया। 2015 में आयोजित कॉन फिल्म समारोह में इनकी फिल्म ‘टॅक्सी’ (2015) को पुरुस्कृत किया जाना बताता है कि दुनिया की कोई भी ताकत किसी को भी फिल्में बनाने से और उसे प्रदर्शित करने से रोक नहीं सकती। कुछ ही दिनों में बिल्कुल कम लागत में केवल एक कॅमरे से और कंप्युटर तकनीक से बनी ‘टॅक्सी’ सम्मानित हो सकती है तो यह बहुत छोटा सिनेमाई इतिहास बहुत बड़ी ताकत दिखा देता है साथ ही निकट भविष्य में प्रत्येक व्यक्ति के लिए निर्माण क्षेत्र खुलने का भी संकेत देता है।

विश्व में कई देश हैं और कई भाषाएं भी है। फिल्म इंडस्ट्री भी इस तरह से विस्तृत और व्यापक है। फिल्म मनुष्यों के लिए मानो भूतकाल को दुबारा जीवंत करना, यथार्थ से परिचित होना और भविष्य में ताक-झांक करने जैसा है। अपने ही जीवन से जुड़ी घटनाएं एक साथ दो-ढाई घंटे मे परदे पर दृश्य रूप और ध्वनि के साथ साकार होना तीनों लोकों (भूत-वर्तमान-भविष्य) का सफर करने जैसा ही है। इंसान ने सिनेमा को जादू-सा पाया और दुनिया की वास्तविकताओं, कल्पनाओं को एक ही जगह पर देख लिया और उसमें से बहुत कुछ अपनी झोली में भरना चाहा।

सिनेमा का आरंभ 28 दिसंबर, 1895 लिमिएर बंधुओं की फिल्म ‘द अरायव्हल ऑफ अ ट्रेन’ है। उसी दौरान जॉर्ज मेलिएस जैसे कई विद्वान इस नई तकनिक को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। जॉर्ज मेलिएस को भी इसमें सफलता मिल गई वैसे कइयों के हाथों में यह तकनीक आती गई और सबके रुचि के चलते इसमें बड़ी गति के साथ कार्य और फिल्म निर्माण होने लगा। शुरुआती दौर में कॅमरा को एक जगह पर सेट करके दृश्यों को फिल्माया जाता था और एक ही फिल्मांकन पूरी फिल्म माना जाता रहा। दो दृश्यों को जोड़ने का सफल प्रयोग रॉबर्ट डब्ल्यू पॉल की फिल्म ‘कम अलांग डू!’ में किया गया। फिल्मों में कहानी का समावेश करने का पहला सफल प्रयास एडविस पोर्टर और जॉर्ज मेलिएस ने किया। एडविस पोर्टर की फिल्म ‘द ग्रेट ट्रेन रॉबरी’ (1903) का प्रभाव दर्शकों पर बड़े पैमाने पर पड़ा। फिल्म के भीतर एक डकैत सामने बंदूक करके जब गोली चलाते हुए देखा तो दर्शक अपने-आपको बचाते भागने-बचने लगे। वहीं ‘ द अरायव्हल आफ ट्रेन’ को लेकर हुआ गाड़ी अपने तरफ आते देख दर्शक घबराते हुए छिपने लगे थे। आज थ्री डी तकनीक से जो परिर्तन आया उससे भी दर्शकों ने कुछ ऐसा ही अनुभव लिया। पोर्टर द्वारा बनाई फिल्म ‘द ग्रेट ट्रेन रॉबरी’ और ‘लाईफ ऑफ अमेरिकन फायर मॅन’ कई दृश्यों को जुड़कर कहानी बताने में सफल हुआ।

जॉर्ज मेलिएस ने अपनी जिंदगी में लगभग पांच सौ लघु फिल्में बनाई जो कई विषयों से जुड़ती गई। अर्थात् मेलिएस का सिनेमाई दुनिया के लिए बड़ा योगदान कथा संरचना (नॅरेटिव्ह स्ट्रक्चर) को लेकर रहा है। उनके कई चर्चित फिल्मों में ‘ए ट्रिप टू द मून’ सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो गई। जो कथा संरचना का अच्छा नमुना तो थी ही परंतु कल्पना की उड़ान भी थी जो लोगों को चांद पर ले जाने का एहसास करवा रही थी। जॉर्ज मेलिएस मूलतः कार्टुनिस्ट थे। उन्होंने फिल्मों में यथार्थ की अपेक्षा कल्पना, चमत्कार और संभावनाओं को तलाशना शुरू किया अर्थात् इससे कथा संरचना का विकास होते गया। मेलिएस ने सिनेमा को तकनीक परिवर्तन के लिए भी योगदान दिया है। स्लो मोशन, मल्टीपल एक्सपोजर, टाइम-लैप्स फोटोग्राफी और डिजाल्व जैसे साधन मेलिएस की देन रहे और इससे कहानी कहने की कला में गति आती गई।

जॉर्ज मेलिएस ने फिल्म स्टूड़ियो का निर्माण किया और इससे फिल्में बनाने के लिए आसानी तो हो गई परंतु उसमें जो कमियां थी वह भी हटती गई। प्रकाश योजना का सफल इस्तेमाल स्टूड़ियो के निर्माण से ही संभव हुआ। ‘द केव ऑफ डिमोन्स’, ‘ए ट्रिप टू द मून’, ‘द हाऊस दॅट जॅक बिल्ट’ जैसी फिल्में मेलिएस की तकनीक, प्रकाश योजना और स्टूड़ियो का ही कमाल था।

clip_image002

‘ए ट्रिप टू द मून’ (1902)

पहला कॅमरा मूवमेंट का अनुभव देने की देन लुमिएर बंधुओं की है। उन्होंने एक फिल्म के दौरान ट्रेन के पीछले हिस्से में कॅमरे को बिठा दिया और फिल्मांकन किया। आज फिल्मों के शूटिंग के दौरान इसे आधुनिकता के साथ बड़ी सफलता से उपयोग में लाया जा रहा है। कॅमरा का मूवमेंट करवाना मानो दर्शक को खुद इधर-उधर घूम-फिरकर दृश्यों को देखने का एहसास देने लगा। कॅमरा सबके लिए आंखें साबित हुआ और उसमें परिवर्तन और विकास के लिए तथा अँगल बनाने में महारत हासिल करने में निर्माता और कॅमरामन जुट गए।

clip_image004

लिमिएर द्वारा निर्मित सिनोमाटोग्राफी मशीन

दर्शक और फिल्मी दुनिया को जोड़ने का अहं काम कॅमरा ही करता है। हमारे सामने परदे पर जो दिखता है वह उस कॅमरा और कॅमरामन का कमाल होता है। फिल्मों का पहला अच्छा दर्शक कॅमरामन ही होता है।

संदर्भ ग्रंथ सूची

1. पश्चिम और सिनेमा – दिनेश श्रीनेत, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, 2012.

2. सिनेमा की सोच – अजय ब्रह्मात्मज, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, 2006, आवृत्ति 2013.

3. सिनेमा के चार अध्याय – डॉ. टी. शशिधरन्, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, 2014.

डॉ. विजय शिंदे

देवगिरी महाविद्यालय, औरंगाबाद - 431005 (महाराष्ट्र).

ब्लॉग - साहित्य और समीक्षा डॉ. विजय शिंदे

■■■

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: विश्व सिनेमा : आरंभ, बदलती तकनीक और तस्वीरें / डॉ. विजय शिंदे
विश्व सिनेमा : आरंभ, बदलती तकनीक और तस्वीरें / डॉ. विजय शिंदे
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhM8aC5G085S6cFQZVlw-TtzcI4JxCo1g5HhIMz4xM4sgj4_7AYe6JxOMFni0NMKal2z3R-5TKwj-G1bd7TC8_gbl1-ru49cwJ22L20_6qrfTAyjBhyphenhyphenct6RW_r4pnlnJn9_p2zJ/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhM8aC5G085S6cFQZVlw-TtzcI4JxCo1g5HhIMz4xM4sgj4_7AYe6JxOMFni0NMKal2z3R-5TKwj-G1bd7TC8_gbl1-ru49cwJ22L20_6qrfTAyjBhyphenhyphenct6RW_r4pnlnJn9_p2zJ/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/02/blog-post_366.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/02/blog-post_366.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content