क्या पेड़-पौधों और वनस्पतियों में संवेदनाएँ होती हैं ? क्या वे मनुष्य जाति से बात-चीत कर सकते हैं? तो इसका उत्तर होगा हाँ. हाँ वे मनुष्य ...
क्या पेड़-पौधों और वनस्पतियों में संवेदनाएँ होती हैं ? क्या वे मनुष्य जाति से बात-चीत कर सकते हैं? तो इसका उत्तर होगा हाँ. हाँ वे मनुष्य जाति से बातचीत कर सकते हैं . मनुष्य द्वारा स्थापित किए गए सजीव संपर्क की ढेरों घटनाओं का उल्लेख मिलता है. आयुर्वेद शास्त्र के पितामह कहलाए जाने वाले चरक मुनि के सम्बन्ध में विख्यात है कि उन्होंने अपने छोटे-से-छॊटॆ जीवन में हजारों जड़ी-बूटियों के गुण-धर्म मालूम किए तथा कौन-सी जड़ी किस रोग में कैसे प्रयोग की जानी चाहिए ?. उन्होंने इसका विस्तृत विधि-विधान खोजा. आजकल वैज्ञानिक एक रोग की दवा खोजने में अथवा दवा का परीक्षण करने में अपना संपूर्ण जीवन खपा देते हैं तो एक व्यक्ति द्वारा अपने छॊटॆ-से-जीवन में हजारों औषधियों का अध्ययन विवेचन कैसे संभव है ? विश्वास नहीं किया जाता.
आयुर्वेद की रचना करने वाले चरक जंगल में एक-एक झाड़ी और वनस्पति के पास जाते तथा उससे उसकी विशेषता पूछते. वनस्पति स्वयं अपनी विशेशताएँ बता देतीं. इसी आधार पर हजारों वर्षों या हजार वैज्ञानिकों का कार्य एक अकेले व्यक्ति द्वारा सम्पन्न किया जा सका. इस कार्य को कभी संदिग्ध तो कभी हास्यास्पद समझा जाता रहा,. परन्तु अब, वनस्पति जगत में हुई अधुनातन खोजों के आधार पर वैज्ञानिक यह कहने लगे हैं कि पेड़-पौधों से न केवल सम्वाद संभव है वरन उनसे इच्छित कार्य भी कराया जा सकता है.
मात्र एक छॊटी सी घटना से प्रेरित होकर हमारे देश के वैज्ञानिक जगदीशचन्द्र बसु ने यह सिद्ध किया कि पेड़-पौधों में भी जान होती है. वे भी अनुभव करते है. उनमें भी अनुभूति और भावनाएँ मौजूद रहती है. वे भी मनुष्यों और जानवरों की तरह दुख-सुख का अनुभव करते हैं. उन्होंने “आप्टिकल लीवर” नामक एक यंत्र बनाया, जिसके माध्यम से पेड़-पौधों के स्पन्दन ,और सम्वेदनाओं का अध्ययन किया गथा था. पेड़ की पत्तियाँ तोड़ने में उसे पीड़ा होती है. आप्टिकल लीवर ने उसे पकड़ा और बताया, इसी तरह की कई बातें, प्रतिक्रियाएँ “आप्टिकल लीवर” से देखी जा सकी.
सर जगदीशचन्द्र बसु के बाद से अब तक विज्ञान ने काफ़ी तरक्की कर ली है और उसी तरह वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में हुई नई-नई शोधों ने वनस्पति संसार के नये रहस्य खोलकर रख दिए हैं. पेड़ पौधे मनुष्य के संकेतों को समझते हैं. यदि उन्हें प्रेरित किया जाए तो सम्मोहित व्यक्ति की तरह उन पर आचरण भी करते है.
पियरे पाल साविन ने यही तो किया. उन्होंने घोषित प्रदर्शन के पूर्व बिजली के एक स्विच को गैल्वोनोमीटर से लगाया. इस गैल्वेनोमीटर का सम्बन्ध एक पौधे के साथ जोड़ा गया था. साविन वहाँ बैठे-बैठे संकेत देते और पौधा विद्युत ट्रेन के परिपथ के साथ उलटा सम्बन्ध स्थापित करता, जिससे ट्रेन पीछॆ की ओर चलने लगती. इस प्रयोग को अमेरिका के टेलीविजन पर बताया गया. लोग दंग रह गए यह देखकर कि पौधा भी इतना आज्ञाकारी हो सकता है !. पियरे पाल साविन का तो यहाँ तक कहना है कि चोरों से घर की सुरक्षा के लिए भी भविष्य में पेड-पौधों का इस्तेमाल किया जा सकेगा. उसके लिए किसी भी पौधे का सम्बन्ध दरवाजे के साथ जोड़ दिया जाएगा और मकान मालिक जब उस पौधे के पास जाकर खड़ा हो जाएगा तो पौधा अपने मालिक को पहचानकर दरवाजा खोल देगा. उसने तो यहाँ तक कहा है कि पेड़-पौधे न केवल मनुष्यों की मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हैं बल्कि उन्हें मानव कोशाओं की मृत्यु पर बोध होता है तो वे उस पर भी अपनी सम्वेदना व्यक्त करते हैं. उसने एक अभिनव प्रयोग किया. जिस पौधे को प्रयोग के लिए चुना था वह एक अनुसंधान केन्द्र में अस्सी मील की दूरी पर स्थित था. फ़िर उसने अपने शरीर को बिजली के झटके दिए. अस्सी मील दूरी पर स्थित पौधे पर प्रतिक्रिया नोट की गई जबकि दोनों के बीच कोई सम्बन्ध नही था सिवाय इसके कि जब साविन के शरीर को बिजली के झटके दिए जा रहे थे तो वह कल्पना में उस पौधे का ध्यान कर रहा था.
इतने पर भी साविन को यह विश्वास नहीं हुआ कि पौधे उसके शरीर पर लगने वाले झटकों पर ही प्रतिक्रिया व्यक्त करते थे. उसने विचार किया कि सम्भव है पौधे अपने आस-पास की दूसरी किसी घटना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हों. अतः अब एक पौधे के स्थान पर तीन-तीन पौधे लिए गए और तीनों को अलग-अलग कमरों में रखा गया. हर कमरे का माहौल दूसरे के माहौल से बिल्कुल भिन्न था तथा तीनों पौधे एक ही विद्युत पथ से जुड़े हुए थे. उधर अस्सी मील दूरी पर स्थित साविन ने अपना प्रयोग आरम्भ किया. न कोई सम्पर्क, न कोई सम्बन्ध सूत्र. केवल विचार शक्ति का उपयोग करना था, जब उसने अपना प्रयोग आरम्भ किया तो तीनों पौधों पर एक समान प्रतिक्रिया हुई. अब इसमें कोई सन्देह नहीं था कि पौधे अस्सी मील दूर बैठे साविन की अनुभूतियों, सम्वेदनाओं को ग्रहण कर अपनी प्रतिक्रियाएँ व्यक्त कर रहे थे.
जापान के मनोविज्ञानी डा.केन.हाशीमोतो ने “लाइडिटेक्टर” के माध्यम से इस बात का पता लगाया. “लाइडिटेक्टर एक ऎसा यंत्र है जो अपराधियों की झूठ पकड़ने के काम आता है. उसका सिद्धांत है कि व्यक्ति जब कोई बात छुपाता है या झूठ बोलता है तो उसके शरीर में कुछ वैद्युतिक परिवर्तन आ जाता है और वह उन परिवर्तनों को अंकित कर लेता है और बता देता है कि व्यक्ति झूठ बोल रहा है अर्थात मनुष्य की भावनात्मक स्थिति में आने वाले परिवर्तनों को लाइडिटेक्टर बता देता है. उसने एक पौधे को मशीन से जोड़ा और यंत्र चालु कर दिया, यंत्र ने बड़ी तेजी से कम्पन अंकित करना शुरु कर दिया. हाशीमोतो ने इन कम्पनों को ध्वनि-तरंगों में बदलने के लिए कुछ विशेष इलेक्ट्रानिक यंत्रों का सहारा लिया. इन यंत्रों की मदद से कम्पनों के ध्वनि- तरंगों में परिवर्तित किया और उन्हें सुना गया तो लयात्मक स्वर सुने गए. जो स्वर सुने गए उनमें कहीं हर्ष का आवेग था तो जहीं भय की भावना.
हाशीमोतो ने कैक्टस के पौधों पर इतने प्रयोग किए कि उसे गिनती तक सीखा दिया. कैक्टस का पौधा हाशीमोतो की आज्ञा पाकर एक से बीस तक गिनती गिनने लगता और यह पूछने पर कि दो और दो कितने होते हैं, तो वह स्पष्ट उत्तर देता चार. फ़िर उसने प्रश्न पूछा कि बारह में से चार घटाने पर कितने बचते हैं? कैक्टस ने उत्तर दिया –आठ. डाक्टर हाशीमोतो ने उसे ध्वनि-तरंगों के रूप में परिवर्तित करके दिखाया. ध्वनि-तरंगों को जब हैडफ़ोन पर सुना गया तो स्पष्ट उत्तर सुनाई दे रहा था-आठ .इन प्रयोगों और निष्कर्षों को लेकर जापान ही नहीं संसार के वनस्पति विज्ञान में एक नयी हलहल पैदा हो गई.
अब इसमें कोई सन्देह नहीं रह जाता कि चरक ने कभी जड़ी-बूटियों से प्रश्न किया हो और जड़ी बूटियों ने बताया हो कि हम अमूक रोग का उपचार करने में समर्थ हैं.
बच्चों--उपरोक्त तथ्यों के आधार पर हम कह सकते हैं कि पेड़-पौधे तथा वनस्पतियाँ हमारी संस्कृति के विभिन्न अंग रहे हैं. प्रकृति औढ़र दानी है. उसके पास बड़ा ही वैविध्य पूर्ण खजाना है ,जिसमें तरह-तरह के पौधों की प्रजातियाँ, फ़ल-फ़ूल तथा अनेक प्रकार के पदार्थ हमें मिलते हैं. पहली बारिश के बाद ही धरती पर भृंगराज, भटकटैया जैसे अनेक पौधे बड़ी मात्रा में ऊग आते हैं जो हमारे जीवन को सहज-सरल और निरोग बनाने में योगदान देते हैं. बस जरुरत इस बात की है कि हम उन्हें पहचाने और उनका उपयोग करना सीख लें.
गोवर्धन यादव
103,कावेरी नगर,छिन्दवाडा (म.प्र.) 480001
07162-246651,9424356400
COMMENTS