(एक) कदम-कदम बढ़ा रहा है कोई। साथ मेरा निभा रहा है कोई।। वो घनी छाँव में भी तपता है, आग भीतर लगा रहा है कोई। मैं कभी ...
(एक)
कदम-कदम बढ़ा रहा है कोई।
साथ मेरा निभा रहा है कोई।।
वो घनी छाँव में भी तपता है,
आग भीतर लगा रहा है कोई।
मैं कभी कहीं अकेला नहीं होता,
पास मेरे सदा रहा है कोई।
एक लम्बे सफ़र से थक करके ,
चार काँधे पे जा रहा है कोई।
फिर कष्ट दूर करने का वादा,
चाँद जल में दिखा रहा है कोई।
तीरगी में जलता हुआ चराग़ ,
शोक जैसे मना रहा है कोई।।
(दो)
रात भर के हैं अँधेरे।
सूर्य निकलेगा सबेरे।।
गर्म तपती दोपहर में,
छाएँगे बादल घनेरे।
टूट जाएँगे सबर कर,
अड़चनों के तंग घेरे।
मछलियाँ अब हैं सयानी,
मात खाएँगे मछेरे।
पास कुछ मेरे नहीं है,
लूट लेंगे क्या लुटेरे।
पतझड़ोें के भी बसंती,
चित्र खींचेंगे चितेरे।
साथ कोई हो न हो पर,
संग होंगे स्वप्न तेरे।
(तीन)
जब निराश हों कुछ न पाएँ।
मीठे सपनों में खो जाएँ।
सपनों में मिलता सब कुछ,
सुन्दर घर-संसार बसाएँ।
स्वप्न कभी जो देखे हमने,
उनको अब साकार बनाएँ।
इतने पक्के रंग में रंग जा,
और सभी फीके पड़ जाएँ।
जहाँ के पंछी जाग चुके हैं,
वहाँ शिकारी खुद फँस जाएँ।
(चार)
स्थिर नदिया, बहती धारा ।
प्रेम हमारा और तुम्हारा।।
दुनिया ने ठुकराया ऐसा,
तन्हा भटक रहा बेचारा।
मात मिली है उसको गहरी,
जिसके वश में सूरज-तारा।
बाहर जिसकी धाक बहुत है,
अन्तर्मन क्यों उसका हारा।
अंधकार में डूब चुका है,
'उज्ज्वल' करता जो तम सारा।
(पाँच)
जिस-जिस को उपहास मिला है।
जीवन का अहसास मिला है।।
पतझड़ में भी जो गाता था,
मुझको आज निराश मिला है।
फूल खिला है पत्थर क्यों,
धरती का आभास मिला है।
पिंजड़े में कब तक रखोगे,
उड़ने को आकाश मिला है।
तोड़ लिया अपनों से नाता ,
गैरों का विश्वास मिला है।
मोती मिल ही जाएगा अब,
सागर का जो साथ मिला है।
अंधकार की चिंता है क्या,
मुझको दिव्य प्रकाश मिला है।
(छः)
खेल समय का समझ न आए।
कैसे-कैसे दिन दिखलाए।।
समझ चुका जो पूरे सच को,
इधर-उधर क्यों मन भटकाए।
दुनिया की है रीति अनोखी,
कभी उजाड़े , कभी बसाए।
मानुष की औकात भला क्या,
जन्में और ख़तम हो जाए।
जिसका खौफ रहा हर दिल में,
आहट भर से क्यों घबराए।
सबको सदा बढ़ाने वाला,
अक़्सर पीछे क्यों रह जाए।
(सात)
दरिया गूढ़ कहानी है।
जीवन बहता पानी है।।
गूँगे बाँच रहे पोथी,
बहरे को हैरानी है।
इज्जत लुटती देख रहे,
लहू नहीं, क्या पानी है।
छूट नहीं जब उड़ने की,
आजादी बेमानी है।
नई सदी में पहुँच गए,
मन की सोच पुरानी है।
कोठे पर मुजरा करती,
हर दिल की पटरानी है।
गैरों ने हमला बोला,
अपनी ही नादानी है।
(आठ)
अपना ही ध्यान है।
मुश्किल में जान है।।
लाले हैं अन्न के ,
आन-बान शान है।
ख़्वाब सजे महलों के,
गिरवीं मकान है।
गधा पहलवान जब,
खुदा मेहरबान है।
ओंठ थरथरा रहे,
कट चुकी जुबान है।
सो रहे सभी जहाँ,
कौन निगहबान है।
बाल-बाल बच गए,
जान है जहान है।
(नौ)
हम सुबह से शाम तक चलते रहे।
पेट की ज्वाला में ही जलते रहे।।
चंद लम्हों की हमारी ज़िन्दगी,
मौत से फिर क्यों भला डरते रहे।
मार कर ठोकर हमें वो चल पड़े,
राह जिनकी उम्रभर तकते रहे।
पंख की उनको ज़रुरत ही नहीं,
हौसलों से जो सदा उड़ते रहे।
जीत जाएँगे यकीनन जंग भी,
साथ मिल कर हम अगर लड़ते रहे।
जो भी चाहेंगे हमें मिल जाएगा,
सोच पक्की कर अगर चलते रहे।
राह में काँटे बहुत आए मगर,
पाँव मंजिल की तरफ बढ़ते रहे।
उसके जाने से गया सब कुछ चला,
हाथ खाली आज तक मलते रहे।
जिनके दिल का लुट चुका है कारवां,
वे कभी रोए , कभी हँसते रहे।
रंक से राजा बने हैं आज जो ,
चाय के प्याले कभी धुलते रहे।
वे हवाई यात्रा करने लगे,
पाँव नंगे रोज जो चलते रहे।
अब उन्हें पकवान फीके लग रहे,
भुखमरी में जो सदा पलते रहे।
स्वच्छता अभियान में वे अब लगे ,
जो हमेशा गन्दगी करते रहे।
(दस)
घर की करो सफाई बिटिया।
दीवाली फिर आई बिटिया।।
खील, बतासा, चूरा, गट्टा,
बुधवा से मँगवाई बिटिया।
घर में हैं मेहमान पधारे,
लाना ज़रा मिठाई बिटिया।
लक्ष्मी की पूजा करने से,
होगी बहुत कमाई बिटिया।
डरने की है बात नहीं ये,
फायर हुआ हवाई बिटिया।
चकरी-फुलझड़ियाँ अब तक क्यों,
तुमने नहीं छुड़ाई बिटिया।
दिए जलाओ अंधकार अब,
पड़े न कहीं दिखाई बिटिया।
हँसी-खुशी दीवाली बीते,
सबको आज बधाई बिटिया।
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जीवन-वृत्त
नाम : राम नरेश 'उज्ज्वल'
पिता का नाम : श्री राम नरायन
विधा : कहानी, कविता, व्यंग्य, लेख, समीक्षा आदि
अनुभव : विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगभग पाँच सौ
रचनाओं का प्रकाशन
प्रकाशित पुस्तके : 1-'चोट्टा'(राज्य संसाधन केन्द्र,उ0प्र0
द्वारा पुरस्कृत)
2-'अपाहिज़'(भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत)
3-'घुँघरू बोला'(राज्य संसाधन केन्द्र,उ0प्र0 द्वारा पुरस्कृत)
4-'लम्बरदार'
5-'ठिगनू की मूँछ'
6- 'बिरजू की मुस्कान'
7-'बिश्वास के बंधन'
8- 'जनसंख्या एवं पर्यावरण'
सम्प्रति : 'पैदावार' मासिक में उप सम्पादक के पद पर कार्यरत
सम्पर्क : उज्ज्वल सदन, मुंशी खेड़ा, पो0- अमौसी हवाई अड्डा, लखनऊ-226009
ई-मेल : ujjwal226009@gmail.com
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