मोहम्मद इस्माईल खान की कहानी - बस कंडक्टर

SHARE:

16 - बस कन्डक्टर उस साल बहुत ज्यादा बारिश थी। टी.व्ही., रेडियो और अखबारों में बारिश, बाढ़ और बारिश से होने वाले हादसों के ही जिक्र थे। लोग ब...

image

16 - बस कन्डक्टर

उस साल बहुत ज्यादा बारिश थी। टी.व्ही., रेडियो और अखबारों में बारिश, बाढ़ और बारिश से होने वाले हादसों के ही जिक्र थे। लोग बहुत जरूरी होने पर ही सफर पर बाहर निकलते थे।

उस रोज तो बहुत ज्यादा ही बारिश थी। सारा, शहर, कर्फ्यु जैसा हो गया था। मैं भी आज ऑफिस नही गया था और घर में ही था। टेलीफोन की घन्टी बजी। चूंकि टेलीफोन रात से ही सुस्त पड़ा था, मानो वह भी बारिश में ठिठुर कर दुबक गया हो। जब उसने शोर मचाया तो, मैंने सोचा कौन होगा! टेलीफोन पर लम्बी बेल थी, तो जरूर बाहर से होगा। मैंने रिसीवर उठाया। टेलीफोन दूर मेरे गाँव से था, छोटे भाई की तबियत ज्यादा खराब थी इसलिये माँ ने मुझे तुरन्त बुलाया था।

दिन का तीसरा पहर था, जाने का इरादा किया और एक छोटी अटैची लेकर बस स्टेण्ड की ओर चल दिया। बारिश बहुत तेज थी, मैं देर रात तक इन्दौर पहुंचा। आगे बस की कोई व्यवस्था न थी। बारिश की वजह से कई बसें नही चल रही थी। इसलिये मैं इन्दौर में ही रूक गया।

इन्दौर का सर्वटे बस स्टेण्ड बारिश की सीलन और मक्खियों से भरा हुआ था। फर्श लोगों के गीले पैरों की आवाजाही की वजह से गन्दा था। लकड़ी की गोल बेंचों पर जो सीमेन्ट पोल के चारों तरफ लगी थी, उन पर कुछ लोग बेतरतीब बैठे थे। कुछ ने पैर भी ऊपर रख लिये थे कुछ ने अपना सामान। कोई बैठने को कोई जगह नही थी। मक्खियाँ भिनभिना रही थी और परेशान भी कर रही थी। तभी बस स्टैण्ड पर एक सरसाहट और छोटी सी अफरा तफरी सी मची। कोई कह रहा था, 'वो' बस जायेगी। लोग खिड़कियों में से ही अपना सामान अन्दर डालने लगे, कि उन्हें बैठने की जगह मिल जाये। थोड़ी ही देर में बस पूरी भर गई। लोग अपना सामान सीटों के पास और कॉरीडार में इधर उधर रखने लगे। मैं बस के बाहर ही खड़ा ये पेसेन्जरों की धींगामस्ती देखता रहा।

वैसे मैं भी इसी बस में सफर करने का इरादा रखता था, पर पता नही क्यों मैंने उन पेसेन्जरों की तरह जल्दी नही मचाई। थोड़ी ही देर में एक ठेठ किस्म का कन्डक्टर बस के करीब आया। उसने अपने रबर के जूतों पर पतलून ऊपर टखनों तक मोड़ रखी थी। खाकी रंग की पतलून पर खाकी रंग की ही चार जेबों वाला कन्डक्टर यूनिफार्म का शर्ट जो मैला और बदबूदार था, पहन रखा था। मुँह में पान, कान के ऊपर पेन, बगल में मुड़ी हुई कागज की पेसेन्जर शीट और टिकिट बुक थी। एक सफेद रंग का मैला रूमाल जो उसने अपने शर्ट की कॉलर के पीछे घड़ी करके जमा लिया था, उसके कन्डक्टर रूप को पूरा कर रहा था। वो पास खड़े एक आदमी से जो शायद एजेन्ट के कन्धे पर हाथ मारता, फिर पान से सने दाँत निकाल कर हँसता।

मैंने उस कन्डक्टर के पास जा कर पूछा - ये बस खरगोन जायेगी। वह बोला - बाबू जी चलेगी अभी थोड़ी देर में, पर कहाँ जायेगी मुझे ही नही मालूम। रास्ते तो सारे बन्द हैं। बैठो बैठो, सब चढ़ गये तो तुम भी चढ़ो, जहाँ तक जायेगी अपन साथ-साथ चलेंगें। मैंने कहा - ऐसा क्यों कहते हो भाई। क्या कहें बाबू जी आगे मानपुर घाट मे जाम लगा हैं। बारिश की वजह से जगह जगह ट्रक फँसे हैं। सड़क का ठिकाना नही बड़े बड़े ट्राले फँसा देते हैं। एक भद्दी सी गाली देकर उसने कहा।

इतने में ड्रायवर अपनी सीट पर बैठ चुका था और उसने बस स्टार्ट कर दी थी। बाहर खड़े लोग बस की ओर लपके और बस में चढ़ गये। मैं भी चढ़ गया। पीछे से कन्डक्टर, ऊपर चढ़ो, पीछे निकलो करता हुआ बस में अन्दर जाने का निर्देश देता हुआ बस के दरवाजे पर लटक गया, और जोर की सीटी बजाई। बस अपनी जगह से सरक कर रेंगने लगी।

पूरी बस का अन्दर भी वैसा ही हाल था, जैसा बारिश में होता है। नीचे बस का पूरा फर्श कीचड़ और गन्दे पानी से सना था। बस में एक अजीब गन्ध बारिश की फैली हुई थी। मक्खियाँ बस में भी मौजूद थी। बस की छत जगह से चू रही थी। कुछ खिड़कियों के शीशे नहीं थे, वहां से लोग रिमझिम पानी रोकने की कोशिश कर रहे थे। सर्वटे बस स्टैण्ड से बाहर निकलते-निकलते, बस दो चार बार रूकीं कभी कोई दूसरी बस सामने आ गई, तो कभी ड्रायवर साहब खिड़की से बाहर गर्दन निकाल कर किसी से बातें करने लगे।

उस गिचपिच बारिश के माहौल में, बस में बैठे लोगों की गंध के साथ, गाड़ी के डीजल की गंध मिलकर अजीब ऊबाऊ माहोल बना रही थी।

एक घन्टा चलने के बाद बस इन्दौर शहर से बाहर आ पाई। कभी ट्रैफिक लाईट, तो कभी ट्रैफिक जाम तो कभी सवारियों का चढ़ना। बस जब हिलती डुलती बीस-पच्चीस किलोमीटर चली होगी कि मानपुर घाट के पहले ट्रकों, बसों, ट्रेलरों कारों के पास जाकर बस रूक गई। कन्डक्टर ने कहा ट्राफिक जाम, मरो अब यहीं पर, इसकी तो......................। लोग कोतुहल से इधर उधर बाहर देखने लगे। शाम घिर आई थी, और बारिश बन्द होने का नाम नहीं ले रही थी। कन्डक्टर जो कि खड़े-खड़े अब तक आ रहा था, और झुंझला कर कुछ बुदबुदाने लगा। उसकी सीट पर एक गाँव की देहाती बूढ़ी औरत और उसके पास एक जवान औरत थोड़ा घूँघट किये बैठी थी। उसकी गोद में एक बच्चा था, जो बहुत रो रहा था। बस चलने की आवाज और लोगों के बातचीत के कोलाहल में उस बच्चे के रोने की आवाज कम हो रही थी लेकिन जब ड्रायवर ने बस का इंजन बंद कर दिया, और लोगों की आवाज कुछ कम हुई तो बच्चे के रोने की आवाज उभर कर कुछ ज्यादा ही शोर करने लगी।

कन्डक्टर जो उस बच्चे के पास ही खड़ा था, ललकार कर उस औरत से बोला - ए बाई बच्चे को चुप करा।

वो औरत बच्चे को कन्धे से लगा चुप कराने की कोशिश करने लगी। पर बच्चे का रोना थमता न था।

उसके पास बैठी बूढ़ी औरत ने कहा - ''या तो रड़ि रड़ि न मरि जायगों, उको ऊ खोदरा को पाणी पिवाड़ दें। मोटर अभी नई चाले, डर मति'' (ये तो रो रो कर मर जायेगा, उसको वो गड्डे का पानी पिला दे। मोटर अभी नहीं चलेगी, तू डर मत)। ओर उसने सड़क किनारे गड्डे में भरे पानी की ओर इशारा किया।

बच्चे वाली औरत धीरे से उठने की कोशिश कर ही रही थी, कि पास खड़े कन्डक्टर ने जो इनकी बातें सुन रहा था, थोड़ा डाँट भरी आवाज में बोला-ऐ बाई बच्चे को गंदा पानी पिलाकर मारेगी क्या?

वो औरत वहीं सकुचाकर सिमटकर बैठ गई। कन्डक्टर ने पेसेन्जरों की तरफ देखकर कहा - ए भाई जरा पानी हो किसी के पास तो दो यार बच्चा रो रो कर परेशान है, इसका रोना सुनाता नहीं क्या? है किसी के पास पानी!

बस में से कहीं से आवाज आई - पानी नहीं है किसी के पास! इसकी साली ऐसी की तैसी ...............कह कर सर झटकता हुआ, बस से नीचे उतर गया। गर्दन ऊँची कर बस के आगे लगी लम्बी गाड़ियों की कतार को देखने लगा। खुद ही बुदबुदाया कितनी लम्बी है ....................और आगे चलने लगा। मैं भी कन्डक्टर के पीछे बस से नीचे उतर आया था। बस में एक ही जगह, ऊपर हेन्डिल पकड़कर खड़े-खड़े उकता गया था, चहल कदमी के बहाने कन्डक्टर के पीछे चलने लगा।

गाड़ियाँ एक के पीछे एक लगी थीं एक ट्रक के पास जाकर उसने ट्रक में बैठे ड्रायवर से पूछा सरदार जी पीने का पानी है?

नहीं है पा जी - ड्रायवर ने कहा।

फिर उसने जाम में कतार में खड़ी कई कार वालों ट्रक वालों जीप वालों मिनी बस वालों से पूछा भई गाड़ी में किसी के पास थोड़ा पानी है, मेरी बस मे ंएक छोटा बच्चा प्यासा है यार, रो रहा है।

ऐसा पूछता पूछता वह अपनी बस से काफी आगे निकल आया। पर संयोग से पानी कहीं नहीं मिला। किसी की आवाज आई-जाम खुल गया, चलो-चलो। गाड़ियां धीरे-धीरे रेंगने लगी। हम लोग दौड़ कर अपनी बस में चढ़ गये। बस में बच्चा वैसे ही रो रहा था। ट्रक, बसें, कारें सब एक के पीछे एक रेंगने लगी। हमारी बस भी उनमें शामिल थी। घाट उतर कर बस की रफ्तार कुछ तेज हुई, हालाँकि आगे पीछे गाड़ियों की कतार थी, लेकिन उनके बीच अब फासले बन गये थे। ड्रायवर गाड़ी चलाने में कुछ राहत महसूस कर ही रहा था कि कन्डक्टर ने जोर की सीटी बजायी। जो बस रोकने का आदेश थी। ड्रायवर ने झुंझलाकर पीछे देखा और कहा - क्या करते हो यार, बड़ी मुश्किल से तो चले हैं। आगे पीछे गाड़ियां लगी चली जा रही हैं, नहीं रोकूँगा। कन्डक्टर ने अपने अन्दाज में जोर से चिल्लाकर कहा-गाड़ी रोक .............मेरी सीटी पर गाड़ी रोकना और मेरी सीटी पर गाड़ी बढ़ाना समझा साले! कंडक्टर ने एक भद्दी सी गाली देकर ड्रायवर से कहा। ड्रायवर ने गुस्से और अपमान से जोर का ब्रेक लगाया। मोटर थोड़ा साइड से लेकर खड़ी कर दी।

कन्डक्टर ने उस बच्चे वाली औरत की ओर देखा, बच्चा रो रो कर निढ़ाल सा हो रहा था बोला ए बाई वो सामने ढ़ाबे पर जाकर बच्चे को पानी पिला ला, घबरा मत मोटर नहीं जायेगी।

रात का अन्धेरा घिर आया था, दोनों औरतें डरती हुई बस से नीचे उतरी, ढाबे पर जाकर बच्चे को पानी पिलाया और भागकर वापस बस में आकर बैठ गई। तब तक बस स्टार्ट भर्र-भर्र करती रही।

कन्डक्टर ने सीटी बजाई। ड्रायवर ने गुस्से से धड़ाक की आवाज के साथ बस का गियर डाला और बस आगे चल दी। बच्चे का रोना बन्द हो चुका था और वो सो गया था।

बस में पेसेन्जर भी खामोश हो गये थे। ड्रायवर ने बस के अन्दर की सारी बत्तीयाँ बुझा दी थी गाड़ियों की भीड़ भी सड़क पर कुछ कम हो गई थी और बारिश भी फुहार में बदल गई थी। रात करीब दस बजे काफी देर चलने के बाद बस नर्मदा किनारे पुल के करीब एक ढ़ाबे पर रूकी। कन्डक्टर ने कहा-पन्द्रह मिनिट रूकेगी, चाय नाश्ता वगैरह किसी को करना हो तो कर लो। और वह उतर कर ढाबे पर चला गया। उसने बाहर टेबल पर रखे पानी एक मैले गिलास को उठाकर पानी पिया इतने में ढाबे से एक लड़का उसके लिये एक कागज में पोहे जलेबी ला कर उसे थमा गया था। ये उसे ढ़ाबे पर गाड़ी रोकने के बदले में था जो पहले से निर्धारित था उसने पेन अपने कान पर रखी। कागज की शीट और टिकिट बुक मोड़ कर बगल में दबाई, और जल्दी-जल्दी पोहे जलेबी खाने लगा।

वह खाते-खाते इधर-उधर देखता जाता और अपने बगल में दबी टिकिट बुक और शीट को सम्भालता जाता। मैंने देखा कि वह एक सम्पूर्ण बस कन्डक्टर जो सारे लोगों से अलग नजर आ रहा था, बात करने पर पता चला कि सचमुच वह बाकी सारे लोगो से अलग ही था।

मैं उसके पास खड़ा चाय पी रहा था और उसे ही देख रहा था। मैंने उससे कहा-कन्डक्टर साहब आज आपने उस बच्चे के पानी के लिये काफी मेहनत की और फिकर ली।

उसने मेरी और देखा और बोला-बाबू जी अपन छोटे आदमी क्या कर सकते हैं, अपन किसी को पानी थोड़े ही पिला सकते हैं। पानी तो वो ऊपर वाला पिलाता है। उसी ने पिलाया। अपन ने तो बस थोड़ी सी फिकर .............फिर उसने ऊपर उगँली उठाकर कहा - बच्चे ने अपनी तकदीर से पानी पिया, पर अपना नाम तो वहाँ लिखा गया न। बाबू जी मेरी एक बात याद रखना। इस आपाधापी के जमाने में नेक काम करने का मौका मिलता कहाँ हैं। मिले तो छोड़ना नहीं।

मैं इस ठेठ कन्डक्टर से यह उपदेश लेकर आश्चर्य से उसे निहारता रह गया। उसने सीटी बजाई, चलो बैठो गाड़ी जाने का टाईम हो गया।

और वह मेरी तरफ से बेपरवाह होकर गाड़ी की ओर बढ़ गया।

 

मोहम्मद इस्माईल खान

एफ-1 दिव्या होम्स् सी 4/30 सिविल लाईन

श्यामला हिल्स् भोपाल 462002

0755- 2660424; मो0 9826329005

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. बहुत ही स्पष्ट और समयानुकूल संदेश। कहानी छोटी है पर बात बहुत ही गंभीर करती है। आपको धन्यवाद और बधाई दोनों इस कहानी के लिए।

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: मोहम्मद इस्माईल खान की कहानी - बस कंडक्टर
मोहम्मद इस्माईल खान की कहानी - बस कंडक्टर
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgRLZTmm_XmD0sw9ZmU55sxGAnF3ziRhAIZ0lYF_RWvigawUXP_iNTm0Uws0pQHkpizXqw1wDvXb9LA-5t5wTVIaMG2z_QtllfLWARZ-ljcuL-KFF3_Be19zhyDeDOh0-xyxcI1/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgRLZTmm_XmD0sw9ZmU55sxGAnF3ziRhAIZ0lYF_RWvigawUXP_iNTm0Uws0pQHkpizXqw1wDvXb9LA-5t5wTVIaMG2z_QtllfLWARZ-ljcuL-KFF3_Be19zhyDeDOh0-xyxcI1/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/04/mohammad-eesmaeel-khaan-kahaanee-bas.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/04/mohammad-eesmaeel-khaan-kahaanee-bas.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content