गीता दुबे की कहानी - हाँ मैं डायन...पिशाचिनी......

SHARE:

हाँ मैं डायन...पिशाचिनी...... . उ से आज भी याद है जब वह इस गाँव में बहू बनकर आई थी तो इस गाँव की औरतें, बच्चे उसकी एक झलक देखने के लिए किस...

हाँ मैं डायन...पिशाचिनी.......

image

से आज भी याद है जब वह इस गाँव में बहू बनकर आई थी तो इस गाँव की औरतें, बच्चे उसकी एक झलक देखने के लिए किसी न किसी बहाने नंदू के घर आ जाते। पूरे गाँव में यह खबर फैल गई थी कि नंदू बहुत खूबसूरत बहू ब्याह लाया है। सचमुच गेहूंआ रंग होते हुए भी फूलमनी की शक्ल ऐसी थी मानो उसे किसी मूर्तिकार ने अपने साँचे से बाहर निकाला हो, कहीं कोई खोट नहीं। एक बार देखने के बाद उसे निहारने को जी चाहता। उसपर उसकी हँसी... जब हँसती तो मानो फूलों की बारिश हो रही हो। उमर उसकी यही कोई सतरह-अठारह रही होगी। घर में बस तीन ही थे। नंदू, फूलमनी और नंदू की माँ सोमारी।

कहीं नई-नवेली दुल्हन को गाँव वालों की नजर न लग जाए इसलिए सोमारी फूलमनी को घर में ही कामों में बझाए रखती, उसे घर की चौखट से बाहर नहीं निकलने देती। नंदू तो फुलमनिया पर इस कदर फिदा था कि कई-कई दिन काम पर न जाता, दिन-भर उससे बतियाते रहता, हँसी- ठिठोली करता रहता। लेकिन नंदू के सुनहरे दिन ज्यादा दिन के नहीं थे। तीन महीने बाद ही ठीकेदार ने उसे काम से निकाल दिया। अब दिन भर नंदू घर पर ही पड़ा रहता। धीरे-धीरे नंदू गाँव के आवारा, मवालियों के साथ उठने-बैठने लगा उसे पीने की लत लग गई। गाँव से थोड़ी दूर पर शहर जाने वाले रास्ते पर एक ढाबा था। सोमारी वहीं झाड़ू- पोंछा और बर्तन धोने का काम करती। सुबह तड़के वह घर से निकल जाती और सूर्यास्त के बाद घर लौटती। वहाँ से जो कुछ भी मिलता उसे आकर बहू के हाथों में रख देती और बहू भी तुरत कटोरी में तेल लेकर सास के पैरों तले बैठ जाती। पूरे गाँव में यह बात फैल गई कि नंदू की बहू फूलमनी रूपवती होने के साथ-साथ स्वभाव की भी भली है। इसी तरह चार वर्ष बीत गए लेकिन फूलमनी अब तक सोमारी की गोद में एक पोता नहीं दे पाई थी। वही सोमारी अब फुलमनिया को बात-बात पर ताने मारने लगी।

‘तोर बाप के हमनी का बिगड़लियोहल कि उ तोहार इहाँ ला के बांध देल्थुन रे बांझिन’(तुम्हारे बाप का हमने क्या बिगाड़ा था कि वो तुम्हें यहाँ लाकर बाँध गए) और उसे और हर तरह की गालियाँ देती फिर अपनी भाषा में राग अलापने लगती “नंदू रे नंदू तू दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेता रे नंदू”...... अरे नंदू रे नंदू .....।

उस दिन जब सोमारी ढाबे से घर लौटी तो उसका सर दर्द से फटा जा रहा था। दोनों हाथों से अपना सर पकड़ वह कराहे जा रही थी। फुलमनिया ने उसे देखा तो दौड़कर उसके पास आई लेकिन सोमारी ने उल्टे उसे फटकारते हुए अपनी भाषा में कहा..

‘हाथ मत लगाना मुझे बांझिन’ न जाने क्या सोचकर तू इस घर में आई कि आते ही तूने नंदू की नौकरी छुडा दी, उसे शराबी बना दिया, अब मेरे पास मत आना...., कौन जाने अब तेरा इरादा मुझे मारने का भी हो....’

उसी समय पता नहीं कहाँ से नंदू आ टपका। आते ही वह फुलमनिया पर बरस पड़ा ... अपनी भाषा में कहने लगा....

‘ क्या कहा तूने! क्या कहा... तू माँ को मारना चाहती है.....बोल मेरी माँ को तू मारना चाहती है.. इतनी तेरी हिम्मत.... और फुलमनिया का झोंटा खींचकर जोर से एक घूँसा उसके पीठ पर मारा और उसे जोर से धकेल दिया। फुलमनिया जमीन पर मुँह के बल जा गिरी और उसके सामने का एक दाँत टूट गया। साँचे से निकली मूर्ति में अब एक खोट आ गई थी। हा नारी! नारी होकर भी तू नारी का मर्म नहीं समझती...और उसकी सबसे बड़ी दुश्मन बन बैठी है....  

सोमारी के सर का दर्द कम नहीं हो रहा था लेकिन वह फुलमनिया को पास फटकने नहीं देती थी। कल से उसे तेज बुखार भी रहने लगा। नंदू को इसकी जरा भी परवाह नहीं थी। फूलमनी ने गाँव के हकीम को बुला लाया, हकीम ने दवा दी लेकिन फिर भी बुखार उतरने का नाम नहीं ले रहा था। दो दिन बाद पर्वतिया चल बसी। माँ के मर जाने पर नंदू फुलमनिया को कहने लगा कि तू डायन है तू ही माँ को खा गई और हमेशा उसपर लात- घूँसा बरसाया करता था। फूलमनी अब दिन-भर इधर-उधर खेतों में घास काटती और उसे खटाल में बेच देती। दिनभर में वह सात या आठ बोझा बनाती। आमदनी का यही जरिया था। इत्तिफाक देखिए पर्वतिया के मरते ही फूलमनी गर्भवती हो गई लेकिन बच्चा बच न पाया। फूलमनी फिर गर्भवती हुई लेकिन फिर बच्चा बच न पाया। वह अब हर साल बच्चा जनने लगी। उसने कुल छह बच्चे जने थे जिसमें एक ही बचा था वो भी गूंगा। गाँव भर में यह बात फैल गई कि फुलमनिया सच में डायन है। वह अपने ही बच्चों को एक एक कर खा गई और एक को गूंगा बना कर छोड़ दिया। गाँव वालों ने उसे अपनी बिरादरी से निकाल दिया था।

फुलमनिया की साँसें उसके गूंगे बेटे से बंधी थी। उसी की नींद उठती और उसी की नींद सोती। गरीबी, अज्ञानता और दिन-रात की कड़ी मेहनत ने उसे काफी दुर्बल बना दिया था उस पर से गाँववालों की अवहेलना सहते-सहते वह कमजोर हो चली थी, बिल्कुल एक सूखी लकड़ी की तरह हो गई थी, जिसे जब चाहे जहाँ से कोई तोड़ दे। क्या उम्र थी उसकी बस तीस वर्ष... जब जवानी अपनी पराकाष्ठा पर होती है लेकिन उसने तो इसी उम्र में जीवन के सारे खेल देख लिए थे। इन पन्द्रह सालों में साँचे से निकली वह मूर्ति टूट चुकी थी।

आज फुलमनी की तबियत कुछ ठीक नहीं है। काम पर जाने की उसकी तनिक भी इच्छा नहीं है लेकिन जब उसकी नजर सो रहे अपने बेटे पर पड़ी तो वह हिम्मत जुटा घास काटने घर से निकल पड़ी। दो बोझा घास काटते-काटते उसके पैर डगमगाने लगे। वह घास देने खटाल नहीं जा सकी। कुछ ही देर में खटाल वाला लड़का घास लेने उसके घर पहुँच गया। उसने एक बोझा घास साईकिल के पीछे बाँध लिया और दूसरा पैडल की आगे वाली जगह में फंसा लिया। और कच्चे रास्ते पर पैडल मारते-मारते खटाल की ओर चल पड़ा। अचानक उसे ऐसा लगा मानो पैर के अंगूठे में कुछ चुभ गया है, उसने देखा तो उसके होश उड़ गए। साईकिल की चेन के नीचे वाली रॉड पर एक साँप लिपटा था। खटाल पहुँचने के पहले ही वह रास्ते में गिर गया और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई। गाँव भर में यह हल्ला फैल गया कि फुलमनिया खटाल वाले लड़के को खा गई। इससे पहले कि वह गाँव के किसी व्यक्ति को अपना शिकार बनाए लोगों ने उसे जान से मारने की योजना बना ली। सुबह फुलमनिया की नींद कुछ देर से खुली। गाँव वालों की बातों से बेखबर वह हँसुआ ले घास काटने निकलने वाली थी कि उसने देखा गाँव वालों का एक हुजूम उसके घर की ओर बढ़ा चला आ रहा है, किसी के हाथ में लाठी है तो किसी के हाथ में फरसा... फुलमनिया डायन है...फुलमनिया डायन है... इसे मार डालो ...इसे मार डालो हल्ला करते लोगों का हुजूम उसके घर की ओर तेजी से बढ़ता आ रहा था, फूलमनी ने जब यह सुना तो वह मारे डर के लगी काँपने.. क्या करे? कहीं भाग भी तो नहीं सकती..भीड़ घर के करीब आ चुकी थी। बस कुछ ही देर में लोगों ने फुलमनिया के टीन का दरवाजा तोड़ डाला और उसके घर में घुस गए.. फुलमनिया डर से काँप रही थी ... भीड़ को देख उसे कुछ नहीं सूझ रहा था कि वह क्या करे .. कोई रास्ता न देख उसने अपनी सारी शक्ति लगाकर हँसुआ उठाया और तन कर खड़ी हो गई.. साड़ी लपेटी और बन गई चंडी .. ऐसा करते ही उसका काँपना बंद हो गया.. न जाने कहाँ से उसमें इतनी शक्ति आ गई कि उसके गर्जन से धरा भी काँप उठी...वह दहाड़ते हुए बोली (अपनी भाषा में) ... हाँ मैं डायन हूँ...पिशाचिनी हूँ... अगर एक कदम भी आगे बढ़ाया तो तुम सबको लील जाऊँगी.. रक्त पी जाऊँगी तुमलोगों का... फुलमनिया की गर्जना सुनते ही गाँव वालों का हुजूम जितनी तेजी से उसके घर आया था उतनी ही तेजी से उल्टे पाँव भाग गया। आज फुलमनिया को अपनी ताकत का एहसास हो गया। अब वह अच्छी तरह जान गई है कि गाँव का तिनका भी उसका बाल बांका नहीं कर सकता, वह शान से उसी गाँव में रहती है

गीता दुबे

जमशेदपुर, झारखण्ड

COMMENTS

BLOGGER: 2
  1. sahi hai naari jab tak apni shakti nahin pehchanti tabhi tak abla hai.....sarthak rachna..abhar

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. गीता दुबे7:34 pm

      सोमाली जी सकारात्मक टिप्पणी के लिए धन्यवाद|

      हटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: गीता दुबे की कहानी - हाँ मैं डायन...पिशाचिनी......
गीता दुबे की कहानी - हाँ मैं डायन...पिशाचिनी......
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhYsbu2tGPNy8fq9qYG0Zq3QmoeFp2TmfXeiEk-Ja7zMKnpeyoZEOx6GhjoyF4ach_xpkEv5Ui1bnme0WaChKJPCyyAY_8v_yL0_p97KcKGJzynIWpTIfm69lKLPNzMelC4TDdN/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhYsbu2tGPNy8fq9qYG0Zq3QmoeFp2TmfXeiEk-Ja7zMKnpeyoZEOx6GhjoyF4ach_xpkEv5Ui1bnme0WaChKJPCyyAY_8v_yL0_p97KcKGJzynIWpTIfm69lKLPNzMelC4TDdN/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/04/main-daayan-pishaachinee.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/04/main-daayan-pishaachinee.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content