नववर्ष की कविताएँ

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रचनाकार के पाठकों को नववर्ष की अनंत शुभकामनाएँ! 000000000000 पद्मा मिश्रा नव वर्ष की स्नेहिल, नव सृजन, नवोत्कर्ष, हर्ष-उल्लास भरी शुभ-काम...

रचनाकार के पाठकों को नववर्ष की अनंत शुभकामनाएँ!
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पद्मा मिश्रा

नव वर्ष की स्नेहिल, नव सृजन, नवोत्कर्ष, हर्ष-उल्लास भरी शुभ-कामनाएं

-- स्वागत है---
स्वागत है आज नए सूरज का स्वागत है!,
स्वर्णिम किरणों की डोरी थामे,
आया है वर्ष नया, स्वागत है, स्वागत है!
नए नए सपने हैं,नूतन आशाएं हैं,
साँसों की धड़कन ने गीत नए गए हैं,
खुशियों की प्यास जगी फिर मन में,,स्वागत है,
स्वागत है आज नए सूरज का स्वागत है!,
भूलें हम जो कुछ भी खोया, या पाया था,
बीत गया जीवन, अतीत जो पराया था,
नव प्रभात बेला में नवयुग की बात करें,
सपने साकार करें, हमने जो चाहा था,
श्रद्धा विश्वास भरा ,स्वागत है, स्वागत है!
स्वागत है आज नए सूरज का स्वागत है!
मंजिल की और चलें, एक कदम और बढ़ें
काँटों को साथ लिए फूलों की बात करें,
पथ की दूरी कैसी?,काँटों का क्या गम है?
साहस के आगे तो पर्वत नतमस्तक हैं,
दृढ़ता विश्वास लिए स्वागत है, स्वागत है!
स्वागत है आज नए सूरज का स्वागत है.

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युवा साथियों के लिए....
बैठ कर सागर किनारे सिर्फ लहरें ही न गिनना,
लक्ष्य पाने के लिए मंझधार भी सहना पडेगा.
शत प्रदीपित दीप तो क्या, संकल्प की दृढ़ता बनो तुम,
सर्जना के पंथ पर दिनमान सा जलना पड़ेगा.
आँधियों ने थम ली जब क्रांति- सूरज की पताका,
दर नहीं तूफ़ान का अंधियार को ढलना पड़ेगा.
शब्द जब आवाज देंगे ,शक्ति मन की तोलना तुम,
युग पुरुष हो ,समय का विश्वास भी बनाना पड़ेगा.
जो कलम के साथ हैं ,इतिहास उनकी भी सुनेगा,
अवनी अम्बर तक तुम्हें आलोक भी बनाना पड़ेगा.
रोशनी के पंथ पर विश्वास ले बढ़ते चलो तुम,
जागृति की राह पर असिधार बन चलना पड़ेगा.
सभ्यता की राह में आने न दो बोझिल हवाएं,
मुक्त नभ में क्रांति की युग-धर बन बहना पड़ेगा
                  
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सीमा स्‍मृति

        नव-वर्ष
नव-वर्ष  की  शुभकामनाओं  के लिए
एहसास की सुगन्‍ध चाहिए
यूं तो  नि:शब्‍द भी----
जीवन की बगिया महकती है,
उम्‍मीदों  के पंछी चहकते हैं,
संभावनाओं की तितलियां मचलती हैं,
आस के भँवरे गुनगुनाते हैं,
और
कहते हैं, बार-बार
भूलो इसी क्षण
जो कल बीते,कठिन पल
देखो नई दिशा,
फैलाओ नव उल्‍लास,
करो नव प्रयास,
मिले नई आशा,
जीवन को दो नई परिभाषा।
नव-वर्ष की नव किरण देती पैगाम
शुभ हों ! पूर्ण हों! फलीभूत हों !
तुम्‍हारे सभी काम ।

 

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दामोदर लाल जांगिड

नए साल के स्वागत में

नए साल की नयी भौर है आने वाली।

स्वागत हेतु पुष्प लिए हैं डाली डाली।।

पक्षीगण समवेत स्वरों में मंगल गाते।।

सकल चराचर विचर रहे कैसे इठलाते।।

किरण किरण ही एक नया उल्लास लिए हैं।

और धरा ने भी सोलह शृंगार किए हैं।।

नए साल के स्वागत को आतुर हैं सारे।

अलसाये संकल्प सो रहे अभी हमारे।।

रह गए अधूरे सपने अब साकार करें।

हम नए साल का हृदय से सत्कार करें।।

 

कैसे खिल कर फूल और कलियाँ मुस्काते।

नए साल के स्वागत में नव गंध लुटाते।।

हर एक वल्लरी झूम झूम कर नाच रही हैं ।

पवन रही पगलाय चहूँ दिश भाग रही है।।

लो पुलकित सागर की लहरे हिल्लोरें मारे।

तो गले लगाने को लालायित  बांह पसारे।।

रच गई लालिमा पौर पौर में नई सुबह के ।

जो हर्षावेग में कदम पड़ रहे बहके बहके ।।

इस विगत वर्ष को विदा चलो साभार करें ।

हम नए साल का हृदय से सत्कार करें।।

             

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अनन्त आलोक


दो ग़ज़लियात                                 
1.
चाँद काला बहुत है
रंग शाया बहुत है

चार दिन जिन्दगी के
पार्थ सोता बहुत है

हो न जाए तू शाइर
दर्द सहता बहुत है

खाक हो जाएगा ये
सूर्य जलता बहुत है

जीस्त बेनूण होगी
यार रोता बहुत है

नैन भर भर कटोरे
सूर पीता बहुत है

राह इस की कठिन है
इश्क जीता बहुत है

मैं न जाऊं डिपू में
नाज घर का बहुत है

फ्रेंड हसबेंड होया
रोज लड़ता बहुत है
+++++++++++++
शाया = प्रकाशित
बेनून =खारा रहित
जीस्त =जिन्दगी
सूर = शराब
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2.                                                                         
कभी चंदा नहीं आता
कभी साया नहीं आता

मुझे रोना नहीं आता
उसे खोना नहीं आता

अज़ब शादी है बेटे की
यहाँ बाबा नहीं आता

हमारे बिन अकेली हैं
उन्हें सोना नहीं आता
अभी बी ए ही तो की है
उसे पढना नहीं आता

उगेगा कारखाने में
उन्हें बोना नहीं आता

मलाला सी हो हर बेटी
उसे डरना नहीं आता

तिरा आलोक हर सू है
इसे मिटना नहीं आता
---------------------


अनन्त आलोक
साहित्यालोक , बायरी , ददाहू  सिमौर
हिमाचल प्रदेश 173022

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मधुरिमा प्रसाद


           बुद्धू कहीं की
                                    
बर्फ ने था ढंक लिया
पर्वतों की चोटियों को
लुढ़कती सी कड़कड़ाती
ठण्ड दौड़ी आ गयी थी
हम सभी तक।

सुरसुराती कंपकंपाती
झुण्ड में कुछ युवतियां
खिलखिलाती मचलती सी
साथ में चलती दिखीं।

वसन उनके कीमती
सुन्दर बहुत थे
आवश्यकता से अधिक
तन पर नहीं थे।
किसी की बाजू
किसी की पीठ ही लापता।

दांत उनके बज रहे
कम्पन सभी अंगों में था।
अंग औ' गहने दिखाने में ही
मगन मदमस्त थीं।

सुरसुराती कंपकंपाती
साथ चलती युवतियां।

यूँ लगा बेचारियों को
गर्म कपड़ों कमी।

दिल नहीं माना
कहाः--
'लो शॉल बहना,
ओढ़ लो,
मैं इसी स्वेटर में भी कुछ ठीक हूँ।

तब लगा कि
'हाय मुझसे हो गई
ग़लती ये क्या !'

घूर कर और झिड़क कर
उनने कहा :---
'बुद्धू कहीं की !
हम बराती जा रहे बनने
किसी बारात के।'  

                     ----
      
याददाश्त ही मर जाये                                                 


जो लिखो
ऐसा लिखो
जब कभी भी तुमको
सत्य की कसौटी पर
आँख मूँद खरा उत्तर जाये
मत लिखो इतना
कि पूरा डस्टबिन भर जाये।

कह सको यदि कुछ
सभा में कहने का अवसर मिले
नाप और तौल कर
संक्षिप्त सा
इतना कहो
          सुन सभी,
          सब ही ग्रहण कर जायें
          मत कहो इतना कि…
          श्रोता ऊब कर उठ जायें। 

          सुन सको
          यदि कुछ ....
          कहीं सुनने का जब अवसर मिले    
          याद रक्खो बस वही
          जिससे न सिर फिर जाये 
          याद मत इतना करो  
          याददाश्त ही मर जाये।


                 मधुरिमा प्रसाद
           इलाहाबाद  २११००४  ( उ.प्र. )

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जय प्रकाश भाटिया


आओ कान्हा , आओ कान्हा, गीता का उपदेश सुना दो,
मन मोहित करने को आ, मुरली की मधुर तान सुना दो,
साग विधुर का राह  देखता  , और सुदामा खड़ा अधीर,
आओ आकर स्वयं पोंछ दो, इनकी आँखों से बहते नीर,
ग्वाल बाल भी खड़े अकेले, कौन खिलाये उनको माखन,
गोपियाँ विरह में डूब रही है, नहीं आप सा उनका साजन ,
गली गली में गाय विचरती, जैसे तुमको खोज रही हैं,
अपने बछड़ों को लेकर, संग वन जाने की सोच रहीं हैं
,
सुन आज के ‘अर्जुन’- गीता का उपदेश सुनाने कैसे आऊँ ,
गली गली में दुर्योधन बसते ,कैसे पापियों को पार लगाऊं ,
पांडव मारे मारे फिरते, कौरवों ने हथिया ली सब जागीर,
अश्लीलता का दौर चल रहा,लड़कियां भूली लाज का चीर,
सखा सभी मतलब के यार, कैसे करूँ सुदामा का उद्धार
जन जन में है द्वेष व्यापक, ऐसी दुनिया को धिक्कार ,
विराजमान हैं कई पूतना ,फुंकार रहें है विषधर कालिया
दींन दुखी को दर दर ठोकर, हैवानों ने सब लूट खा लिया,
सुन मेरे अर्जुन, मैं अब कैसे गीता का उपदेश सुनाऊँ ,
गली गली में कंस विचरते, कैसे पापियों को समझाऊँ,

सुनो मेरे कान्हा,हे मेरे प्रभुवर, तुमसे ही है हम सबकी आस,
हे सर्व शक्ति , हे सर्व कला, भक्तों को यूं ना करो निराश,
आओ कान्हा फिर से आओ, ग्वाल बाल संग खेल रचा दो, 
दुष्टों का फिर कहर ना टूटे,  रक्षा कवच गोवर्धन उठा दो,
युग बदलेगा, हम बदलेंगे, आशा की फिर किरण दिखेगी ,
होगा जब अवतार आपका , हम सब की किस्मत चमकेगी,

आओ कान्हा , आओ कान्हा, फिर गीता का उपदेश सुना दो,
मन मोहित करने को आकर ,फिर मुरली की फिर सुना दो,
--

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विकी दास


बेरोजगारी
अब याद आई हमें दुनियादारी,
चालू रहेगा आगे भी जारी,
कब तक रहें इस आलीशान पद में
जिसका नाम है भैया बेरोजगारी|

बचपन से जवानी में आने को ,
कभी होता था उमंग हमें,
आज हालत कुछ ऐसी है जनाब,
कि ये बेरोजगारी शब्द लगता है कलंक हमें,

न जाने कब मिटेगा ये बेरोजगारी,
निवारण खोज रहा जिसकी दुनिया सारी
इससे तो भला बचपन था हमारा,
जब करते थे घोडे की सवारी|

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बालकवि देवेन्द्रराज सुथार


बिना शौचालय क्योँ रहेँ....

हम गांव-गांव और गली-गली,घर-घर मेँ जायेँगे।
बिना शौचालय वाले घरोँ का,पता हम लगायेँगे।
शौचालय की आवश्यकता को हर घर मेँ समझायेँगे।
स्वच्छ भारत अभियान का दीप सभी मिलकर जलायेँगे॥1॥

क्योँ कोई रहे बिना शौचालय,क्योँ रहे बिना स्वच्छ नर-नार।
शौचालय निर्माण हेतु करेँगे हम मनवार,
ढूंढे से भी ना मिले बिन शौचालय परिवार।
अब सबके रिश्ते बढ जायेँगे,जब हम स्वच्छ भारत बनायेँगे।
स्वच्छ भारत अभियान का दीप सभी मिलकर जलायेँगे॥2॥

काका तेरे बहू-बेटियोँ को,पाठ स्वच्छता का पढायेँगे।
जब घर-घर मेँ होगा शौचालय,तो मर्यादा से रह पायेँगे।
सबको यह ज्ञान सिखायेँगे,जीवन स्वच्छ बनायेँगे।
स्वच्छ भारत अभियान का दीप सभी मिलकर जलायेँगे॥3॥

स्वच्छ भारत अभियान की ज्योति हम जलायेँगे।
स्वच्छ भारत अभियान से,खुले मेँ शौच का अंत करायेँगे।
गांव-गांव और गली-गली को खुशहाली से नहलायेँगे।
स्वच्छ भारत अभियान का दीप सभी मिलकर जलायेँगे॥2॥

-बालकवि देवेन्द्रराज सुथार
devendrasuthar196@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER: 4
  1. आदरणीय रवि जी , हार्दिक आभार एवं नूतन वर्ष की आपको भी अनंत मंगल कामनाएं एवं बधाई |

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  2. नव वर्ष की विशेष भेंट.. सुन्दर सुन्दर.. रस भरी ..भावपूर्ण ...कविताओं का गुलदस्ता और क्या चाहिये किसी संवेदनशील रसिकह्रदय पाठक के लिए नव वर्ष के शुभ अवसर पर इस भेंट के लिए रविजी का धन्यवाद और सभी कवियों का अभिनन्दन और बधाई जिन्होंने इसमें अपना बहुमूल्य योगदान किया

    जवाब देंहटाएं
  3. कभी कभी सराहना के कुछेक शब्द भी किसी पारितोषिक से काम नहीं होते,लेकिन बंधुवर सिर्फ परस्पर बधाई दे कर ही अपने कर्तव्यों से इतिश्री ना कर लें , जो भी जितना भी हम किसी के लिए कुछ कर सकतें है वो करें भी

    जवाब देंहटाएं
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श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड 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रचनाकार: नववर्ष की कविताएँ
नववर्ष की कविताएँ
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