महावीर सरन जैन का संस्मरण - राजेन्द्र यादव : खट्टी मीठी यादें

SHARE:

राजेन्द्र यादवः खट्टी और मीठी यादें           प्रोफेसर महावीर सरन जैन कल राजेन्द्र यादव के निधन का दुखद समाचार मिला और राजेन्द्र या...

राजेन्द्र यादवः खट्टी और मीठी यादें

          प्रोफेसर महावीर सरन जैन

कल राजेन्द्र यादव के निधन का दुखद समाचार मिला और राजेन्द्र यादव के साथ जुड़ी घटनाओं की याद आती रही। राजेन्द्र यादव से मेरी पहली मुलाकात केरल के एर्नाकुलम में दिसम्बर, 1965 में हुई थी। उन दिनों केरल विश्वविद्यालय का हिन्दी विभाग त्रिवेन्द्रम (तिरुवनन्तपुरम) में न होकर एर्नाकुलम में स्थित था जिसके अध्यक्ष प्रोफेसर चन्द्रहासन थे। उन्होंने केरल विश्वविद्यालय के तत्वावधान में विश्वविद्यालयों के हिन्दी प्राध्यपकों की संगोष्ठी आयोजित की थी। केरल विश्वविद्यालय की ओर से भारत के विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर यह अनुरोध किया गया था कि वे अपने विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के एक प्राध्यापक को संगोष्ठी के लिए प्रतिनियुक्त करें। प्रतिनियुक्त प्राध्यापक से यह अपेक्षा की गई थी कि वे संगोष्ठी में किसी विषय पर शोध निबंध का वाचन करें। मैंने इस संगोष्ठी में जबलपुर के विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया और “भारतवर्ष में अन्य भाषा शिक्षण की समस्याएँ” शीर्षक शोध निबंध का वाचन किया। इसे केरल की सचित्र हिन्दी पत्रिका “युग प्रभात” ने प्रकाशित किया (वर्ष 10, अंक 10, मार्च, 1966, पृष्ठ 15 – 18)। इस संगोष्ठी में प्रोफेसर चन्द्रहासन ने हिन्दी एवं मलयालम के कुछ रचनाकारों को भी आमंत्रित किया था। हिन्दी के जो रचनाकार इस संगोष्ठी में सम्मलित हुए, उनमें रामधारी सिंह दिनकर, मोहन राकेश एवं राजेन्द्र यादव प्रमुख थे। मेरी राजेन्द्र यादव से यहीं पहली मुलाकात हुई। संगोष्ठी के बाद प्रोफेसर चन्द्रहासन के सहयोगी डॉ. एन. ई. विश्वनाथ अय्यर ने यह प्रस्ताव रखा कि हम त्रिवेन्द्रम रुकते हुए कन्याकुमारी की भी यात्रा करें। सात आठ लोगों ने एक दल के रूप में यात्रा की जिनमें राजेन्द्र यादव भी थे। तीर्थ यात्री के रूप में राजेन्द्र यादव का व्यवहार स्नेहपूर्ण, सौम्य, वत्सल एवं अलमस्त था। पूरी यात्रा में कोई विवाद नहीं हुआ। उनका “प्रेत बोलते हैं” शीर्षक  उपन्यास यद्यपि सन् 1951 में ही प्रकाशित हो गया था मगर इसका संशोधित रूप सन् 1959 में राजकमल प्रकाशन द्वारा “सारा आकाश” नाम से प्रकाशित हुआ। इसके बाद ही यह अधिक चर्चित हुआ। मैंने इसे सन् 1960 के आसपास पढ़ा। मैंने इसकी चर्चा राजेन्द्र यादव से यात्रा के दौरान की। सुनकर राजेन्द्र यादव को अच्छा लगा। उन्होंने मुझे अपनी अन्य प्रकाशित रचनाओं (उपन्यासों, कथा-संग्रहों तथा कविता-संग्रह) के बारे में अवगत कराया। 

मैंने राजेन्द्र यादव को साहित्यिक मुद्दों पर बोलते हुए सुना है और “हंस” में उनकी लिखी हुई टिप्पणियाँ भी पढ़ी हैं। मुझे उनमें अँधेरा अधिक नज़र आया है मगर अपने लेखन में वे सर्वत्र अवसाद, टूटन, वितृष्णा को ही महिमामंडित नहीं करते, उजाला भी बिखेरते हैं। “सारा आकाश” का मध्य वर्ग का पढ़ा लिखा नवयुवक नायक घुटन एवं टूटन के बीच आशा और विश्वास भी कायम रख पाता है। “उखड़े हुए लोग” को पढ़ने के बाद “देशबंधुजी एम. पी. उर्फ नेता भैया”   भ्रष्टाचारी एवं चरित्रहीन नेताओं के जीवन्त प्रतीक के रूप में नज़र आते हैं। चुनाव के समय वे किस प्रकार जनसेवा की कसमें खाते हैं किन्तु सत्ता पाने के बाद क्या क्या दुराचरण करते हैं – इसका बिंब हमारे सामने मूर्तिमान हो उठता है। उपन्यास के सभी पात्रों का चरित्र चित्रण सहज नहीं लगता। शरद और जया का रिश्ता राजेन्द्र यादव के लिए आदर्श हो सकता है मगर यह मेरे गले नहीं उतरता। साम्यवादी विचारधारा के पोषक सूरज को शरद और जया से सहानुभूति हो सकती है मगर दाम्पत्य जीवन की मर्यादा में विश्वास करने वाले व्यक्ति के लिए वे सहानुभूति के पात्र नहीं हो सकते। “कुलटा”  आत्म-कथात्मक शैली में समाज के मध्यवर्गीय जीवन का प्रभावी चित्रण प्रस्तुत करता है। “शह और मात” में उदय एवं सुजाता की प्रेम कहानी का चित्रण जीवन की आस्था का दस्तावेज़ है। कुरूप होने के कारण एक अतृप्त नारी की अनियंत्रणीय काम इच्छाओं की मनोविश्लेषणात्मक प्रस्तुति है -“अनदेखे अनजान पुल”। इसकी कथा में सहज प्रवाह है। इसका शिल्प-विधान अपेक्षाकृत अधिक गठित है। “एक इंच मुस्कान” उपन्यास जिस समय रचा गया, राजेन्द्र यादव पति तथा मन्नू भण्डारी पत्नी की सार्थक भूमिकाओं का निर्वाह करते प्रतीत होते हैं। इसका प्रमाण यह उपन्यास है जिसमें दोनों ने उपन्यास के नायक अमर और उपन्यास की नायिका अमला की प्रेम कथा को क्रमशः अलग अलग लिखकर उनमें तारतम्य बैठाने का यथासाध्य प्रयास किया है। इसमें भी नारी का प्रेम अधिक संयत, सहज, स्वाभाविक और सरस प्रतीत होता है। हो सकता है कि मिलजुलकर लिखने के फलस्वरूप प्रणीत उपन्यास ही बाद में दोनों के दाम्पत्य जीवन की दरार का कारण बना हो। उपदेश देना आसान है; जीवन में उसके अनुरूप आचरण करना दुष्कर।

स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानी साहित्य के इतिहास में सन् 1950 के बाद के प्रथम चरण की जिन कहानिकारों की रचनाओं को “नई कहानी” के नाम से पहचाना जाता है, उनमें जो कहानिकार कहानी के कथ्य और शिल्प में अपेक्षाकृत अधिक नवीनता लेकर आए उसमें तीन रचनाकारों का महत्व निर्विवाद है। मोहन राकेश, राजेन्द्र यादव और कमलेश्वर के नाम सर्वाधिक उभरकर आते हैं। इनके तुलनात्मक अध्ययन करने का यह प्रसंग नहीं है। वैसे भी मेरे लिए तीनों के अपने अपने सकारात्मक गुण हैं और मेरे लिए सम्प्रति यही कहना अभीष्ट है कि “कौ बड़ छोट, कहत अपराधू”। राजेन्द्र यादव के संदर्भ में यही कहना चाहूँगा कि यदि कोई हिन्दी की प्रतिनिधि श्रेष्ठ कहानियों का संग्रह प्रकाशित करना चाहेगा तो उसमें “टूटना” एवं “जहाँ लक्ष्मी कैद है” शीर्षक कहानियों को स्थान देना ही होगा।

राजेन्द्र यादव केन्द्रीय हिन्दी संस्थान की शासी परिषद (ग्वर्निंग कॉउन्सिल) के सन् 1953 से सन् 1955 की अवधि में सदस्य थे। उस अवधि में मेरा उनसे अनगिनत बार मिलना जुलना हुआ। कभी उन्होंने मेरे साथ अपने व्यक्तिगत जीवन के अनेक पहलुओं को बेबाक उजागर किया तो परिषद की बैठकों में कुछ मुद्दों पर अपने मत को दुराग्रह की सीमा तक थोपने का असफल प्रयास भी किया। हमारी तीखी बहसें भी हुईं। मैंने उनके विवादास्पद व्यक्तित्व को जाना ही नहीं, भोगा भी। संस्था का संचालन करते समय हमें संस्था के दूरगामी हितों को ध्यान में रखकर निर्णय लेना होता है। निर्णय बहुमत के आधार पर ही सम्भव हो सकता है। निदेशक को शासी परिषद के समस्त सदस्यों से विचार विमर्श करने के बाद संस्था के हित तथा सदस्यों के बहुमत के विचारों को ध्यान में रककर बहस के मुद्दे तय करना होता है तथा सदस्यों के विचारार्थ तदनुकूल प्रस्ताव पेश करना होता है। यदि सदस्यों में एक या दो सदस्य अलग मत व्यक्त करते हैं तो बैठक का अध्यक्ष को वोटिंग करानी पड़ती है। जिस मत के पक्ष में बहुमत होता है, वह पारित हो जाता है। मैं राजेन्द्र यादव को बैठक के पहले हर मुद्दे पर अपनी ओर से समझाने का पूरा प्रयास करता था। मगर कभी कभी वे जो विचार बना लेते थे, उस पर अड़ जाते थे। उदाहरण के रूप में एक मुद्दे पर मेरे समझाने के बावजूद वे नहीं पिघले। इसकी परिणति यह हुई कि बैठक के बाद उन्होंने तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री को अपनी यह राय लिखकर भेज दी कि अब संस्थान को बंद कर देना चाहिए। संस्थान को बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है। अपने अनुभव के आधार पर मुझे ऐसा लगता है कि जब वे आहत महसूस करते थे तो उनका आक्रोश चरम पर पहुँच जाता था। तप्त लौह पिण्ड की भाँति वे इतना दहकते थे कि उसमें अकल्पित भी कर जाते थे। मगर शांत भी वे उसी तरह हो जाते थे और तब लगता था कि हमारे सम्बंधों में कोई दरार नहीं आई है। 

मैं इस अवसर पर उनके साथ व्यतीत मधुर स्नेहिल क्षणों को ही याद करना चाहता था मगर तीखे एवं खट्टे क्षणों की यादें भी उतनी ही प्रखर हैं कि चाहकर भी उनको भूल नहीं पा रहा हूँ। विनय है, भविष्य में प्रीतिकर स्मृतियाँ ही याद रहें। इसी भावना पूरित संकल्प के साथ उनको नमन करता हूँ।

  -------------------------------------------------------------------------------------------------

प्रोफेसर महावीर सरन जैन

(सेवा निवृत्त निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान)

123, हरि एन्कलेव, चाँदपुर रोड

बुलन्द शहर - 203001               



COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. संस्मरण पसंद आया. यादों के प्रवाह में आप कुछ चुटीली टिप्पणियाँ भी कर गए हैं जो आपकी स्वतंत्र पहचान सी प्रतीत होती है.

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: महावीर सरन जैन का संस्मरण - राजेन्द्र यादव : खट्टी मीठी यादें
महावीर सरन जैन का संस्मरण - राजेन्द्र यादव : खट्टी मीठी यादें
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2013/10/blog-post_1090.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2013/10/blog-post_1090.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content